_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 031)*_
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_*☝🏻अक़ीदा - अम्बिया ए किराम तमाम मखलूकात यहाँ तक कि रसूलों और फरिश्तों से भी अफजल है। और वली कितना ही बडे मरतबे और दर्जे वाला हो किसी नबी के बराबर नहीं हो सकता। शरीअत का कानून है कि जो कोई गैर नबी को नबी से ऊँचा या नबी के बराबर बताये वह काफिर है।*_
_*☝🏻अक़ीदा - नबी की ताज़ीम फर्ज़े ऐन यानी हर एक पर फर्ज बल्कि तमाम फर्ज़ों की अस्ल है। यहा। तक कि अगर कोई नबी की अदना सी भी तौहीन करे काफिर है।।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 16*_
_*🖋तालिब-ए-दुआ : मुशाहिद रज़ा अज़हरी*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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