Monday, August 26, 2019



  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 099)*_
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                *आखिरत और हश्र का बयान*

*☝️‌काफिर मुँह  के बल चलते चलते मैदाने हश्र में जायेंगे  किसी को फ़रिश्ते घसीट कर ले जायेंगे किसी को आग घेर कर लायेगी  यह हश्र का मैदान मुल्के शाम की ज़मीन पर काइम होगा ज़मीन ताँबे की होगी और इतनी चिकनी और बराबर होगी कि एक किनारे पर राई का दाना गिर जाये ते दूसरे किनारे से साफ दिखाई देगा  उस दिन सूरज एक मील की दूरी पर होगा  इस ह़दीस के रिवायत करने वाले कहते हैं कि पता नहीं मील का मतलब सुर्मे की सलाई है या रास्ते की दूरी है  अगर रास्ते की दूरी भी मान ली जाये तो भी सूरज बहुत करीब होगा*

_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 34 35*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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