_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 010)*_
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_*अब कज़ा या तकदीर की तीन किस्में जिनके बारे में कुछ तफसील से लिखा जाता है*_
_*1). मुबरमे हक़ीक़ी : यह वह कज़ा है जिसकी तबदीली मुमकिन नहीं अगर इस बारे में अल्लाह के खास बन्दे कुछ कहते हैं तो उन्हें वापस कर दिया जाता है जैसा कि जब क़ौमे लूत पर फ़रिश्ते अजाब लेकर आये तो हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने उन काफिरों को अजाब से बचाने के लिए कोशिश की और यहां तक कि, जैसा कि अल्लाह ﷻ ने क़ुर्आन शरीफ में इस बात को इस तरह बताया है कि :*_
_*📝तर्जमा - हमसे कौमे लूत के बारे में झगड़ने लगा। जो बेदीन यह कहते हैं कि अल्लाह के आगे कोई दम नहीं मार सकता और जो लोग अल्लाह की बारगाह में अल्लाह के महबूबों की कोई इज्जत नहीं मानते वह क़ुर्आन के इस टुकड़े को देखें कि अल्लाह ने अपने महबूब की इज्जत और शान को इन अल्फाज में बढ़ाया है कि इब्राहीम हम से झगड़ने लगा।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 9*_
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