_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 123)*_
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_*जन्नत का बयान*_
_*जन्नत की दीवारें सोने चाँदी की ईटों और मुश्क के गारे से बनी हैं । ज़मीन जाफरान की होगी । कंकरियों की जगह मोती और याकूत होंगे । एक रिवायत में यह भी है कि जन्नते अद्न की एक ईंट सफेद मोती की , एक लाल याकूत की और एक हरे ज़बरजद की और मुश्क का गार है । घास की जगह जाफ़रान और अम्बर की मिट्टी है । जन्नत में एक मोती का खेमा होगा जिसकी ऊँचाई साठ मील की होगी । जन्नत में पानी , दूध शहद और शराब की चार दरियायें है । उनसे नहरें निकल कर हर एक जन्नती के I में बह रही हैं । जन्नत की नहरें ज़मीन खोद कर नहीं बहती बल्कि ज़मीन के ऊपर जारी हैं । नहरों का एक किनारा मोती का दूसरा याकूत का उन नहरों की ज़मीन खालिस मुश्क की है । जन्नत की शराब दुनिया की शराब की तरह नहीं जिस में कड़वाहट , बदबू और नशा होता है और उसे पीकर लोग बेहोश हो जाते हैं और आपे से बाहर होकर गाली गलौच बकते हैं । जन्नत की शराब इन बातों से पाक है । जन्नत में जन्नतियों को हर किस्म के मज़ेदार खाने मिलेंगे और जो चाहेंगे फौरन उनके सामने मौजूद हो जायेगा ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 41*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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