_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 122)*_
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_*जन्नत का बयान*_
_*जाये , चाँद सूरज की रौशनी मंद पड़ जाये और पूरी दुनिया उसकी खुश्बू से भर जाये । एक रिवायत - में यह भी है कि अगर हूर अपनी हथेली ज़मीन और आसमान के बीच निकाले तो सिर्फ हथेली की खुबसूरती को देख कर लोग फितने में पड़ जायेंगे । अगर जन्नत की कोई ज़री बराबर भी चीज़ दुनिया में आ जाये तो आसमान ज़मीन सब में सजावट पैदा हो जाये । जन्नती का कंगन चाँद सूरज और तारों को*_ _*मांद कर दे । जन्नत की थोड़ी सी जगह जिस में कूड़ा रख सकें वह पूरी दुनिया से बेहतर है । जन्नत की लम्बाई चौड़ाई के बारे में किसी को कुछ पता नहीं ।अल्लाह और उसके रसूल ज़्यादा अच्छा जानते हैं । मुख्तसर यह है कि जन्नत में सौ दर्जे हैं । एक दर्जे से दूसरे दर्जे में इतनी दूरी है कि जैसे जमीन से आसमान तक । तिर्मिज़ी शरीफ की एक हदीस का मतलब यह है कि जन्नत के एक दर्जे में अगर सारा आलम समा जाये तो फिर भी जगह बाकी रहेगी जन्नत में एक इतना बड़ा पेड़ है कि अगर उसके साये में कोई सौ बरस तक तेज़ घोड़े से चलता रहे फिर भी वह साया खत्म न होगा । जन्नत के दरवाज़ों की चौड़ाई इतनी होगी कि उसके एक सिरे से दूसरे सिरे तक तेज़ धोड़े से सत्तर साल का रास्ता होगा । फिर भी जन्नत में जाने वाले इतने ज़्यादा होंगे कि मोंढे से मोंढा छिलता होगा बल्कि भीड़ से दरवाज़ा चरचराने लगेगा । जन्नत में तरह तरह के साफ सुथरे ऐसे महल होंगे कि अन्दर की चीजें बाहर से और बाहर की चीजें अन्दर से दिखाई देंगी ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 40/41*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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