_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 125)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
_*जन्नत का बयान*_
_*हर आदमी की खुराक सौ आदमियों की होगी और हर एक को सौ बीवियों के रखने की ताकत दी जायेगी । हर वक़्त जुबान से तस्बीह व तकबीर वगैरा बिना इरादे के बिना मेहनत के जैसे साँस चलती है उसी तरह आदमी की जुबान से अल्लाह की तस्बीह और तकबीर जारी रहेगी । हर जन्नती के सिरहाने दस हज़ार खादिम खड़े होंगे । इन खादिमों के एक हाथ में चाँदी का प्याला और दूसरे हाथ में सोने का प्याला होगा और हर प्याले में नई नई नेमतें होंगी । जन्नती जितना खाता जायेगा । उन चीज़ों की लज्जत बढ़ती जायेगी । हर लुकमे और निवाले में सत्तर मज़े होंगे । हर एक मज़ा अलग अलग होगा और जन्नती सब को एक साथ महसूस करेंगे । न तो जन्नतियों के कपड़े मैले होंगे और न उनकी जवानी ढलेगी । जन्नत में जो पहला गिरोद जायेगा उनके चेहरे चौदहवीं रात के चाँद की तरह चमकते होंगे । दूसरा गिरोह वह जैसे कोई निहायत रौशन सितारा । जन्नतियों के दिल में कोई भेद भाव न होगा । आपस में सब एक दिल होंगे । जन्नतियों में से हर एक को खास हूरों में से कम से कम दो बीविया ऐसी मिलेंगी कि सत्तर सत्तर जोड़े पहने होंगी फिर भी उन जोड़ों और गोश्त के बाहर से उनकी पिंडलियों का गूदा दिखाई देगा जैसे सफेद गिलास में सुर्ख शराब दिखाई देती है । यह इसलिए कि अल्लाह ने उन हूरों को याकूत की तरह कहा है और याकूत में अगर छेद कर के धागा डाला जाये तो ज़रूर बाहर से दिखाई देगा ।*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 42*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment