_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 126)*_
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_*जन्नत का बयान*_
_*आदमी अपने चेहरे को उनके रुख्सार में आईने से भी ज़्यादा साफ देखेगा उसके रूख़्सार पर एक मामूली मोती होगा लेकिन उस मोती में इतनी चमक होगी कि उससे पूरब से पश्चिम तक रौशन हो जायेगा जन्नत का कपड़ा दुनिया में पहना जाये तो उसे देखने वाला बेहोश हो जाये । मर्द जब जन्नत की औरतों के पास जाएगा तो उन्हें हर बार कुँवारी पाएगा मगर इसकी वजह से मर्द व औरत किसी को कोई तकलीफ न होगी । हूरों की थूक में इतनी मिठास होगी कि अगर कोई हूर समुन्दर में या सात समुन्दरों में थूक दे तो सारे समुन्दर शहद से ज़्यादा मीठे हो जायेंगे । जब कोई आदमी जन्नत में जायेगा तो उस के सरहाने पैताने दो हूरें बहुत अच्छी आवाज़ से गाना गायेंगी मगर उनका गाना ढोल बाजों के साथ नहीं होगा बल्कि वह अपने गानों में अल्लाह की तारीफ करेंगी । उन की आवाज़ में इतनी मिठास होगी कि किसी ने वैसी आवाज़ न सुनी होगी । और वह यह भी गायेंगी कि हम हमेशा रहने वालिया हैं कभी न मरेंगे हम चैन वालियाँ हैं कभी तकलीफ में न पड़ेंगे और हम राज़ी हैं नाराज़ न होंगे और यह भी कहेंगी कि उस के लिए मुबारक बाद जो हमारा और हम उस के हों । जन्नतियों के सर पलकों और भवों के अलावा कहीं बाल न होंगे । सब बे बाल के होंगे उनकी आँखें सुर्मगी होंगी । तीस बरस से ज़्यादा कोई मालूम न होगा । मामूली जन्नती के लिए अस्सी हज़ार ख़ादिम और बहत्तर हज़ार बीवियाँ होंगी । और उनको ऐसे ताज दिये जायेंगे कि उसमें के कम दर्जे के मेती से भी पूरब से पश्चिम तक चमक हो जायेगी*_
_*📕 बहारे शरीअत, हिस्सा 1, सफा 42*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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