Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 002 📕*_
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_*[आयत :--]अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इरशाद फरमाता है!----*_

_*👉🏻 तर्जुमा :- तो निकाह मे लाओ जो औरतें तुम्हें खुश आए!*_

_*📕 तर्जुमा कन्जुल इमान पारा 4, सूरए निसा, आयात नं 3*_

_*✍🏻  [हदीस :-].... नूरे मुजस्सम, रसूले खुदा, हबीबे किब्रिया, नबी-ए-रहमत, शाफ-ए-महशर, फख़रे दो आलम, फख़रे बनी -ए-आदम, मालिके दो जहाँ, ख़ातमुल अम्बिया, ताजदारे मदीना राहते कल्बो सीना, जनाबे अहमदे मुज़्तबा, मुहम्मद मुस्तफा ﷺ ने इरशाद फरमाया-------*_

_*👉🏻 निकाह मेरी सुन्नत है!*_

_*📕 इब्ने माज़ा जिल्द 1, हदीस नं 1913, सफा नं 518*_

_*📚 [हदीस :-]....और इरसाद फरमाते है हमारे मद़नी आक़ा ﷺ-------*_

_*👉🏻 "बन्दे ने जब निकाह कर लिया तो आधा दीन मुक़म्मल हो जाता है। अब बाकी आधे के लिए अल्लाह तआला से डरे" ।*_

_*📕 मिश्कात शरीफ जिल्द 2, हदीस नं 2962, सफा नं 72*_

_*📚 [हदीस :-]....हज़रत सहल बिन सअ़द [रदिअल्लाहो तआला अन्हे] से रिवायत है। कि नबी-ए-करीम ﷺ ने इरसाद फरमाया-----*_

_*👉🏻 "निकाह करो चाहे [महेर देने क लिए ] एक लोहे की अँगूठी ही हो ।"*_

_*📕 बुखारी शरीफ जिल्द 3, हदीस नं 136, सफा नं 80*_

_*📚  [हदीस :-].... हज़रत अब्दुल्ला बिन मसऊद [रदिअल्लाहो तआला अन्हो] से रिवायत है। सरकार ﷺ ने इरशाद फरमाया------*_

_*👉🏻  "एे ज़वानो तुम मे से जो औरतों के हुक़ूक़ [हको़ को] अदा करने की ताक़त रखता हो तो वोह निकाह जरूर करे। क्यों कि यह निगाह को झुक़ाता और शर्मगाह की हिफ़ाज़त करता है जो इसकी ताक़त न रखे वोह रोज़ा रखे क्यों कि यह शहवत [वासना sex] को कम करता है।"*_

_*📕 बुखारी शरीफ जिल्द 3, सफा नं 52, तिर्मिज़ी शरीफ जिल्द 1, सफा नं 553*_

_*✍🏻 [मसअला :-].... शहवत का गल़्बा [ज़वानी का जोश] ज़्यादा है और मआजअल्लाह अंदेशा है की जिना (निकाह किये बिना किसी भी शादीशुदा या गैर शादी शुदा औरतो से नाजायज शारीरीक सबंध बनाना या जबरदस्ती किसी भी औरत को वासना का शिकार बनाना) हो जाएंगा! और बीवी का महेर व ख़र्चा वगै़रह दे सकता है तो निकाह करना वाज़िब है। यु ही जब की अजनबी औरत की तरफ निगाह उठने से रोक नही सकता या माआजअल्लाह! हाथ से काम लेना पडेगा  (हस्तमैथुन किया तो भी गुनाह मे मुब्तीला होंगा) तो निकाह करना वाजीब है!*_

_*✍🏻  [मसअला :-]....   यह यक़ीन है कि निकाह नही करेगा तो ज़िना वाके हो जाएगा तो ऐसी हालत मे  निकाह करना फ़र्ज़  है।*_

_*✍🏻  [मसअला]....अगर यह अंदेशा (डर) है कि निकाह करेंगा तो बीवी का महेर, खर्चा वगैरह नही दे सकेंगा तो एसी हालत मे निकाह करना मक़रूह है।*_

_*✍🏻 [मसअला].... यक़ीन है कि महेर और खर्चा दे ही नही सकेगा तो ऐसी हालत में निकाह करना हराम है।*_

_*📕 बहारे शरीअ़त जिल्द 2, हिस्सा 7, सफा नं 6, (Android-software करीना-ए-जिंदगी) क़ानूने शरीअ़त जिल्द 2, सफा नं 44*_

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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