Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 003 📕*_
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       _*[किन लोगों से निकाह ज़ायज़ नही]*_

_* ✍🏻 ....दुनिया में इन्सान के वज़ूद को बाकी रख़ने के लिए क़ानूने खुदा के मुताबिक़ दो गै़र जिन्स [ Different sex, मर्द और औरत ] का आपस में मिलना ज़रूरी है लेकिन उसी खु़दा के कानून के मुताबिक़ कुछ ऐसे भीे इन्सान होते है। जिनका जिन्सी तौर पर मिलना कानूने खुदा के ख़िलाफ़ है।*_

_*✍🏻 [आयात :-].... चुनान्चे हमारा और सबका  ख़ुदा अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इरशाद फरमाता है।*_

_*👉🏻 तर्जुमा :-  हराम हुई तुम पर तुम्हारी माँऐ, और बेटियाँ, और बहनें, और फूफियाँ, और खालाऐं, और भतीज़ियाँ, और भांज़ियाँ, और तुम्हारी माँऐ जिन्होंने दूध पिलाया और दूध की बहनें,और औरतों की माँऐ।------*_

_*📕 तर्जुमा ए कुरआन कन्जुल इमान, पारा 4, सूर ए निसा, आयात नं 23*_

               _*......क़ुरआने करीम की इस आयात से मअ़लूम हुआ  कि माँ, बेटी, बहन, फुफी, ख़ाला, भतीज़ी, भांजी, दादी, नानी, पोती, नवासी, सगी सास, वगैरह से निकाह करना हराम है।*_

_*✍🏻 [मसअला :-].... माँ सगी हो या सौतेली, बेटी सगी हो या सौतेली, बहन सगी हो या सौतेली, इन सब से निकाह करना हराम है। इसी तरह दादी, परदादी, नानी, परनानी, पोती, परपोती, नवासी, परनवासी, बीच में चाहे कितनी ही पुस्तों [पीढ़ियों ] का फासला हो, इन सब से निकाह करना हराम है।*_

_*✍🏻 [मसअला :-]....  फूफी, फूफी की फूफी, खाला, खाला की खाला, भतीज़ी, भान्ज़ी, भतीज़ी की लड़की, उसकी नवासी, पोती, इसी तरह भान्ज़ी की लड़की, उसकी पोती, नवासी, इन सब से भी निकाह करना हराम है।*_

_*📕 बहारे शरीअ़त जिल्द 2, हिस्सा 7, सफा नं 23, (Android software) कानूने शरीअ़त जिल्द 2, सफा नं 47*_

_*📚 [हदीस :-]... हज़रत अमरा बिन्त अ़ब्दुर्रहमान व मौला अली [रदिअल्लाहो तआला अन्हुमा ] से रिवायत है। कि नबी-ए-करीम ﷺ  ने इरशाद फरमाया-----*_

_*💫  "रज़ाअ़त [ दूध के रिश्तों] से भी वही रिश्ते हराम हो जाते हैं जो विलादत से हराम हो जाते हैं।*_

_*📕 बुखारी शरीफ जिल्द 3, सफा नं 62, तिर्मिज़ी शरीफ जिल्द 1, सफा नं 587*_

            _*....यानी किसी औरत का दूध बचपन के आलम मे पिया हो तो उस औरत से माँ का रिश्ता हो जाता है। अब उसकी बेटी, बहन है उससे निकाह हराम है। यानी जिस तरह सगी माँ के जिस रिश्तेदारों से निकाह करना हराम है। उसी तरह उस दूध पिलाने वाली के रिश्तेदारों से भी निकाह करना हराम है।*_

_*✍🏻 [मसअला :-].... निकाह हराम होने के लिए ढ़ाई बरस का ज़माना है कोई औरत किसी बच्चे को ढाई बरस के अन्दर अगर दूध पिलाएगी तो निकाह हराम होना साबित हो जाएगा। और अगर ढाई बरस की उमर के बाद पिया तो निकाह हराम नही । अगर्चे बच्चे को ढाई बरस के बाद दूध पिलाना हराम है।*_

_*📕 बहारे शरीअ़त जिल्द 2, हिस्सा नं 7, सफा नं 37, (Android software), कानूने शरीअ़त जिल्द 2, सफा नं 50*_

_*✍🏻 [हदीस :-].... हज़रत अबूहुरैरा [रदिअल्लाहो तआला अन्हो ] से रिवायत है। कि रसूलुल्लाह ﷺ  ने इरशाद फरमाया----*_

_*💫 "कोई शख्स अपनी बीवी के साथ उसकी भतीज़ी, या भान्जी से निकाह न करे "*_

_*📕 बुखारी शरीफ जिल्द 3, हदीस नं 98, सफा नं 66*_

          _*....औरत [ बीवी ] की बहन, चाहे सगी हो या रज़ाई [यानी दूध के रिश्ते से बहन हो ] या बीवी की खाला, फूफी, चाहे रज़ाई फूफी या खाला हो इन सब से निकाह करना हराम है।*_

_*[हदीस :-].... हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास [ रदिअल्लाहो तआला अन्हुमा ] से इमाम बुखारी [ रदिअल्लाहो तआला अन्हो ] नेे रिवायत किया है-----*_

_*📕 बुखारी शरीफ जिल्द 3, बाब नं 54, सफा नं 48*_

            _*[ क़ाफ़िर मुश्'रिक से निकाह ]*_

_*✍🏻 [आयत :-].... अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इरशाद फरमाता है।-----*_

_*💫 [तर्जुमा :-]....  "और मुश'रिको के निकाह में न दो जब तक वोह ईमान न लाए।*_

_*📕 तर्जुमा कुरआन कन्जुल इमान पारा 2, सूरए बखरा, आयात नं 221*_

_*✍🏻 [ मसअला :- ].... मुसलमान  औरत का निकाह मुसलमान मर्द के सिवा किसी भी मज़हब वाले से नहीं हो सकता।*_

_*📕 कानूने शरीअ़त जिल्द 2, सफा नं 49*_

_*[आयत :-].... अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इरशाद फरमाता है-----*_

_*💫 तर्जुमा :-....  और शिर्क वाली औरतों से निकाह न करो जब तक मुसलमान न हो जाए।*_

_*📕 तर्जुमा कुरआन कन्जुल इमान पारा 2, सूर ए बखरा, आयात नं 221*_

_*✍🏻 [मसअ़ला :-].... मुसलमान का आग की पूज़ा करने वाली,  बुत [मूर्ती] पूज़ने वाली, सूरज़ की पूज़ा करने वाली, सितारों को पूज़ने वाली, इन मे से किसी से निकाह नहीं होगा।*_

_*📕 बहारे शरीअ़त जिल्द 2, हिस्सा नं 7, सफ़ा नं 32, (Android software)*_

                _*....आज के इस दौर में अक्सर हमारे मुस्लिम नौजवान क़ाफ़िर मुश'रिक़ [बुत पूज़ने वाली, गैर मुस्लीम ] औरतों से निकाह करते हैं। और निकाह के बाद उन्हें मुसलमान बनाते है।

यह बहुत गल़त तरीका है और शरीअ़त में हराम है। अव्वल तो निकाह ही नही होता क्यों कि निकाह के वक्त तो लड़की मुसलमान न थी! काफ़िर मज़हब पर थी।*_
   
        _*याद रखिए क़ाफ़िर मुश'रिक़ औरत से मुसलमान करके शादी करना जायज जरूर है लेकिन येह कोई फ़र्ज़ या वाज़िब  नही है। बल्कि हुज़ूर ﷺ ने इसे पसंद भी नही फरमाया इसकी बहुत सी वज़ूहात उलमा -ए- किराम ने बयान फ़रमायी है जिसमें से चन्द ये है।*_

_*✍🏻 1.... जिस औरत से आपने शादी की वोह तो मुसलमान हो गयी मगर उसके सारे मैक़े वाले क़ाफ़िर ही है और अब चूँकि वह आपकी औरत के रिश्तेदार है। इसलिए वोह उनसे तआ़ल्लुक़ रखती है।*_

_*✍🏻 2.... औरत के नव मुसलमान होने की वजह से औलादौ की तरबियत ख़ालिस इस्लामी ढंग से नहीं हो पाती*_

_*✍🏻 3.... अगर मुसलमान मर्द क़ाफ़िर औरतों से निकाह करेंगे तो मुसलमान औरत को ज़्यादा दिनो तक कुँवारा रहना पड़ेगा और मुसलमानों में मर्दो की क़िल्लत होगी तब जब औरतें ज़्यादा होगी।*_

_*✍🏻 4.... दीने इस्लाम में मुश्'रिकाना रस्म का रिवाज़ बढ़ेगा।*_

           _*....इस तरह की कई बातें हैं जो यहां बयान करना मुमकिन नही - बेहतर यही है कि क़ाफ़िर व  मुश'रिक़ औरतो से निकाह न करे इस से दीन व दुनिया का बड़ा नुकसान है।  इसलिए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने जहाँ मुश'रिक़ औरत से मुसलमान करके निकाह की इज़ाज़त दी वहीं मो'मिन लवंड़ी [ गुलाम लड़की ] से निकाह को ज्यादा बेहतर बताया । ब निस्बत इसके कि का़फ़िर व मुश'रिक़ औरत से निकाह किया जाए।*_

_*✍🏻 मसअ़ला.... जिसमे मर्द व औरत दोनों की अलामतें पायी जाए और यह साबित न हो कि मर्द है या औरत उससे न मर्द का निकाह हो सकता है न औरत का अगर किया गया बातिल [ झूठा ] है*_

_*📕 बहारे शरीअ़त जिल्द 2, हिस्सा नं 7, सफा नं 5, (Android software)*_

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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