_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 012 📕*_
―――――――――――――――――――――
_*♻ [ निकाह से पहले लड़की देखना ] ♻*_
_*किसी लड़की या औरत को किसी गैर मर्द को दिखाने में कोई हर्ज नही जब वोह उस से शादी का इरादा रखता हो या उसने शादी का पैग़ाम भेजा हो लेकिन, उस मर्द के दूसरे मर्द रिश्तेदारों या दोस्त अ़हबाब को नही दिखाना चाहिए कि वह गैर मरहम है [जिन से पर्दा करना जरूरी है] लिहाज़ा सिर्फ़ लड़के या मर्द और उसके घर की औरतें ही लड़की देखे*_
_*निकाह से पहले लड़की को देखना मुस्तहब है लेकिन इस बात का जरूर ख्याल रखें कि लड़के को लड़की इस तरह दिखाएँ कि लड़की को भनक भी न लगे कि लड़का उसे देख रहा है [यानी खुल्लम-खुल्ला सामने न लाए] अगर इस एहतियात से दिखाया जाएगा तो उसमे कोई हर्ज नहीं बल्की बेहतर है कि बाद में किसी किस्म की ग़लत फ़हमी नही होती*_
_*📚 [ हदीस :- ] हज़रत मुहम्मद सलामा [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] फरमाते हैं*_
_*"मैं ने एक औरत को निकाह का पैग़ाम दिया मैं उसे देखने के लिए उस के बाग में छुप कर जाया करता था यहां तक कि मैंने उसे देख लिया किसी ने कहा "आप ऐसी हरकत क्यों करते हैं हालांकि आप हुज़ूर ﷺ के सहाबी हैं?"*_
_*तो मैंने कहा रसूलुल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया*_
_*"जब अल्लाह ताआ़ला किसी के दिल में किसी औरत से निकाह की ख्वाहिश डाले और वह उसे पैग़ाम दे तो उसकी जाने देखने में कोई हर्ज नहीं"*_
_*📕 इब्ने माज़ा शरीफ, जिल्द नं 1, बाबू नं 597, हदीस नं 1931, सफा 523*_
_*📚 [ हदीस :- ]हजरत जाबिर [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है कि हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फरमाया...*_
_*💎 "जब तुम में से कोई औरत को निकाह का पैग़ाम दे अगर उस औरत को देखना मुम्किन हो तो देख ले"*_
_*📕 अबू दाऊद शरीफ, बाब नं 96, हदीस नंबर 314, जिल्द 2, सफा नं 122*_
_*📚 हदीस हुज़ूर सैय्यदना इमाम बुख़ारी [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] ने अपनी मशहूर किताब "सही बुखारी" जिल्द 3, बाब "किताबुन निकाह" मे निकाह से पहले औरत को देखने के मुत्अ़ल्लिक़ एक ख़ास बाब [Chapter] लिखा है जिसमें यह साबित किया है के निकाह से पहले औरत को देखना जाइज़ है। चुनांचे उस बाब की एक तवील हदीस मे है के-----*_
_*(हदिस अगले पार्ट मे पेश की जाएंगी! इंशा अल्लाह तआला!)*_
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment