_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 020 📕*_
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💫 *_शादी की रस्मे_* 💫
*✍🏻 _शादी में तरह तरह की रस्में बरती जाती है! हर मुल्क में नई रस्म, हर क़ौम और हर खानदान का अपना अलग रिवाज! यह कोई नही समझता है के शरअन यह रस्में कैसी है! मगर यह ज़रूर है के रस्मों की पाबन्दी उसी हद तक की जाए कि किसी हराम काम में मुब्तला न हो । कुछ लोग रस्मों की इस कदर पाबन्दी करते है कि नाजाइज़ व हराम काम को भले ही करना पड़े मगर रस्म न छुटने पाए।_*
*👉🏻 _हमारे मुल्क में आम तौर पर बहुत सी रस्मों की पाबंदी की जाती है। जैसे ........रतजगा, हल्दी खेलने की रस्म, नहारी, शादी के रोज़ या बाद मे जुवा खेलना, शराब पीना, ढोल बाजे, नाचना गाना, गाने बाजो और पटाखो के साथ बारात निकालना, विडीयो रिकार्डींग वगैरह, वगैरह जबकि इन रस्मों में बेपर्दगी, छिछोरापन, अय्याशी और हराम कामों का वज़ूद होता है! जवान लडके लड़कियाँ हल्दी खेलते हैं नाचते गाते है बेहुदा हँसी मजाक़ और तरह तरह की तहजीब से गिरी हुई हरकत करते हैं। अगर इन तमाम रस्मों की पाबन्दी के लिए रुपए न हो तो सूद पर रुपए लेने से भी नही चूकते ।_*
*👉🏻 _यहां मुमकिन नहीं की हर रस्म पर अलग अलग उनवान कायम करके तफ्सीली बहस की जाए! लिहाजा हम यहॉ चंद हदीसे पेश करते हैं। इन्साफ़ पसन्द के लिए इसी क़द्र क़ाफी और हटधर्म और ज़ाहिल के लिए पूरा क़ुरआन व अहादीस के ख़ज़ाने भी नाक़ाफी!_*
*_अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इरशाद फरमाता है....._*
💎 💎 *_"और फ़ुजूल न उड़ा बेशक (फुजुल) उड़ाने वाले शैतानो के भाई है, और शैतान अपने रब का बड़ा नाशुक्रा है।_*
📕 *_कुरआन तर्जुमा कन्जुल इमान, सूरह ए बनी इस्राईल़, आयत नं 26/27_*
📚 *_[हदीस :-] हुजुर ﷺ ने इरशाद फरमाया....._*
*💎 _"जिसने जुवा खेला गोया उस ने ख़िन्ज़ीर [सुवर] के गोश्त व खून मे हाथ धोया" ।_*
📕 *_मुस्लिम शरीफ, अबूूदाऊद शरीफ, मुका़शेफातुल क़ुलूब, बाब नं 99, सफा नं 635_*
📚 *_[हदीस :-] नबी-ए-करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया....._*
*💎 _"सब से पहले गाना इब्लीस [शैतान, मरदूद] ने गाया"!_*
📚 *_[हदीस :-] हज़रत इमाम मुजाहिद [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] फरमाते है..._*
*👉🏻 _"गाने बाजे शैतान की आवाजें है जिसने इन्हें सुना गोया उस ने शैतान की आवाज सुनी"।_*
_📕 *[हादीयुन्नास फ़ी रूसूमिल एेरास, सफा नं 18*_
📚 *_[हदीस :-] हज़रत शफीक बिन सलमा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] रिवायत करते है..._*
💫 *_हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने इरशाद फरमाया...._*
💫 *_"गित, गाने, ढोल बाजे दिल मे यु निफाक उगाते है! जैसे पानी सब्जा उगाता है!"_*
✍🏻 _*[मसअ़ला :-] उबटन मलना जाइज़ है। और दुल्हा की उम्र नव दस साल की हो तो अजनबी औरतों का उसके बदन में उबटन मलना भी गुनाह नही! हाँ बालिग़ के बदन पर ना महरम औरतों का मलना ना जाइज़ है और बदन को हाथ तो माँ भी नही लगा सकती! यह हराम और सख़्त हराम है। और औरत व मर्द के दर्मियान शरीअ़त ने कोई मुँह बोला रिश्ता न रखा यह शैतानी व हिन्दुवानी रस्म है।*_
_📕 *फ़तावा-ए-रज़वीया जिल्द नं 9, सफा नं 170*_
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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