_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 021 📕*_
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*_व्हिडीयो शुटींग_*
*_आजकल शादी-ब्याह मे व्हिडीयो शुटींग करवाना शादी का एक हिस्सा बन चुका है! उधर काजी साहब निकाह का खुत्बा पढ रहे है, और इधर यह शैतानी आला (व्हिडीयो केमरा) आ खडा हुआ! फिर उसी पर बस नही बल्की अब यह शैतानी आला (Video Camera) जनाने कमरे मे पहुंचा, और हमारी मॉ, बहनो को बेपर्दा करने लगा! वह लोग जिन्होने हमारी मॉ, बहनो को कभी नही देखा था, या जीन से वह पर्दा करती थी वह अब व्हिडीयो के जरीये खुले आम मज्लीस मे दिखाई देने लगी!_*
*_एक शादी हॉल मे व्हिडीयो शुटींग की जा रही थी! और जगह जगह टि. व्ही. सेट रखे हुए थे, जो मंजर को डायरेक्ट टेली कास्ट कर रहे थे! औरतो के क्याम की जगह व्हिडीयो शुटींग की जा रही थी! महेफील मे कोई खातुन गर्मी की वजह से अपने साडी के पल्लु को सिने से हटाकर हवा कर रही थी! के व्हिडीयो केमरे ने उस मंजर को अपने अंदर समेट लिया! एक और तरकीब मे यह वाकीया भी पेश आया की एक खातुन अपने छोटे बच्चे को दुध पिला रही थी! और उसकी तवज्जोह इस बात की तरफ न थी के केमरे का रुख उसकी तरफ भी है! केमरे ने उस मंजर को कैद करने मे कोई कंजुसी नही की! गर्ज के कभी-कभी बेख्याली मे होने की वजह से औरतो के वह मनाजीर भी व्हिडीयो फिल्म की जिनत बन जाते है की, जिसे बाद मे देखने मे शर्म व हया से सर निचे हो जाते है!_*
*_चंद बहाने_*
👉 _जब यह खराबीया मुसलमानो को बताई जाती है तो उनके चंद बहाने होते है! क्या करे साहब हमारी औरते और लडके नही मानते, हम उनकी वजह से मजबुर है! यह बहाना महज बेकार है! हकीकत यह है के आधी मर्जी खुद मर्दो की होती है! तभी तो उनकी औरते और लडके इशारा या नर्मी पाकर जिद करते है! वर्ना मुमकीन ही नही के हमारी मर्जी के बगैर कोई काम हो जाए!_
👉 _दुसरा बहाना यह होता है के हमे उल्माए अहले सुन्नत ने यह बाते बताई ही नही है, और न उस से रोका इसलिये हम लोग इससे गाफील रहे!अब जब की यह रस्मे चल पडी है, लिहाजा उनका बंद होना मुश्कील हो गया है! यकीनन यह बहान भी गलत है! उलमा ए अहले सुन्नत ने इन रस्मो से हमेशा अपने बयान व तकरीर मे मना किया है! इसके मुत्ताल्लीक बुरी रस्मो और बुरी बिदअतो के बारे मे किताबे लिखी है! मसलन_ *_"हदिउन्नासे फीरुसुमिल एरास" मुजव्वजहुन्नजा ला खुरुजन्निसाई", "शिफाउल-वला फी सुवरिल-हबीबे व मजारिहु व नेआलीही" और "अतायन लेकदिरे फी हुक्मीत्तसिवीरे"_* _और आला हजरत रहेमतुल्लाह अलैही ने सैकडो किताबे इन उन्वानात पर तस्नीफ फरमाई है! आखीर मे एक और किताब का नाम सुन लिजीये *"इस्लामी जिंदगी"* जो हजरत हकीमुल उम्मत मुफ्ती अहमद यार खॉं नईमी रहमतुल्लाह अलैह ने खास शादी-ब्याह की रस्मो के मुतअल्लीक लिखी है!_
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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