Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 028 📕*_
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           🚗 *_[रुख्सती का बयान]_* 🚗

         👉🏻 *_..... जब कोई शख़्स अपनी लड़की की शादी करें। तो रुख्सती के वक्त़ के अपनी लड़की व दामाद [दुल्हा व दुल्हन] दोनो को अपने पास बुलाऐ फिर उसके बाद एक प्याले [गिलास] मे पानी लेकर येह दुआ पढ़ें......._*

*اَلّٰلهُمّٰ اِنِىّ اُعِىیْذُهَا بِكَ وَذُرِِّیِّتَھَاَ مِنَ الشَّیْطَانِ الرَّجِيمِ*

✍🏻 *_[तर्जुमा :-]....  एे अल्लाह!  मेेैे तेरी पनाह में देता हूँ इस लड़की को, और इसकी [जो होगी] औलादों को मरदूद शैतान से ।_*

  👉🏻 *_इस दुआ को पढ़ने के बाद प्याले में दम करें उस के बाद पहले अपनी लड़की [दुल्हन] को अपने सामने खड़ा करे और फिर उस के सिर पे पानी के छींटे मारे फिर सीने और उस की पीठ पर छींटे मारे । उसके बाद इसी तरह दामाद [दूल्हे] को भी बुलाए और प्याले में दूसरा पानी ले कर यह दुआ पढ़ें।......_*

*اَلّٰلهُمّٰ اِنِىّ اُعِىیْذُهْ بِكَ وَذُرِِّیِّتَهْ مِنَ الشَّیْطَانِ الرَّجِيمِ*

✍🏻 *_[तर्जुमा :-]....  एे अल्लाह! मै तेरी पनाह में देता हूँ इस लड़के को, और इसकी [जो होगी] औलादें उन को शैतान मरदूद से।_*

       👉🏻 *_पानी पर दम करने के बाद पहले की तरह अपने दामाद के सर और सीने पर फिर पीठ पर छींटे मारे और उस के बाद रुख़सत कर दें।_*

_📕 *हिसने हिसीन, सफा नं 163*_

✍🏻 *_[हदीस :-]....   हज़रत इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन मुहम्मद बिन जज़री शाफ़अ़ई  [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] अपनी किताब "हिसने हिसीन" मे हदीस नक़्ल फरमाते है। के......._*

 📚  *_"जब  रसूलुल्लाह ﷺ ने हज़रत मौला अली कर्मल्लाहु  वज्हुल करीम का निकाह खातुन ए जन्नत हज़रत फातिमतुज्जहुरा  [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] से कर दिया तो आप उन के घर तशरीफ ले गए और हज़रत फा़तिमा से फरमाया "थोड़ा सा पानी लाओ"। चुनांचे वह एक लकड़ी के प्याले में पानी लेकर हाजिर हुई आप ने उन से वह प्याला लिया और एक घूँट पानी दहने मुबारक [मुँह शरीफ] में ले कर प्याले में ही डाल दिया और इरशाद फरमाया "आगे आओ" । हज़रत फा़तिमा सामने आ कर खड़ी हो गई तो आपने उन के सर पर और सीने पर वोह पानी छिड़का और यह दुआ फरमाई  [वह दुआ जो उपर लिखी हैं!] और उस के बाद फरमाया "मेरी तरफ पीठ करो"। चुनान्चे वह आपकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई तो आपने बाकी पानी भी आपने यही दुआ पढ़ कर पीठ पर छिड़क दिया। इसके बाद आप ने हज़रत अली के जानिब रूख़ करके फरमाया........"पानी लाओ"। हज़रत अली कहते है कि। मै समझ गया जो आप चाहते हैं चुनांचे मैंने भी प्याला भर कर पानी पेश किया ! आप ने फरमाया...... "आगे आए"। मै आगे आया, आप ने वही कलिमात पढ़ कर और प्याले में कुल्ली करके मेरे सर और सीने पर पानी के छींटे दिये और फिर वही दुआ पढ़कर मेरे मोंडो  [कंधों] के दर्मियान पानी के छींटे दिये उस के बाद फरमायाव"अब अपनी दुल्हन के पास जाओ"_*

_📕 *हिस्ने हसीन, सफा नं 164*_

✍🏻 *_[नोट :-].... पानी पर सिर्फ़ दुआ कर के ही दम करें उस में कुल्ली न करें। सरकार ﷺ का लुआबे दहन हुआ मुबारक पानी पाक़ ही नही बल्कि बाइसे बरक़ात है। और बीमारियों से शिफ़ा देने वाला और ज़हन्नम की आग के हराम होने का सबब हैं। (वल्लाहु तआला आलम)_*

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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