_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 030 📕*_
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🔥 *_[ एक बडी गलत फहमी]_* 🔥
*✍🏻 _कुछ लोगों का खयाल है कि जब किसी कुवांरी से पहली बार सोहबत (शारीरी संबध) की जाए तो उससे (शर्मगाह से) खून निकलना जरूरी है। चुनांचे यह खून का आना उसके बाइस्मत पाक दामन (पवित्र) होने का सबूत समझा जाता है। अगर खून नही देखा गया तो औरत बदचलन, आवारा समझी जाती है। और औरत के बाइस्मत होने और उसकी दोशीजगी पर शुबह (शक) किया जाता है। कभी कभी यह शक जिन्दगी को कड़वा और बद मज़ा कर देता है। नौबत तलाक़ तक जा पहुँचती है। मुमकीन है इसका बयान जाहीर तबियत वालो को बुरी मालुम हो लेकीन तजरेबा शाहीद (गवाह) है के सैंकडो जिंदगिया इसी शक व शुबाह की बिना पर तबाह हो चुकी है! लिहाजा इस मसले पर रौशनी डालना निहायत जरुरी है! क्या अजब की हमारे इस मज्मुन (Chapter) को पढने के बाद कोई तलाक नामी दरीयॉ मे गोता जन (डुबकर) हो कर अपनी खुशियो को मौत के घाट उतारने से बच जाए!_*
*💫 _कुंवारी लड़कियों के मकामे मख्सूस (शर्मगाह) में अन्दर की जानीब एक पतली सी झिल्ली होती है ! जिसे पर्दा-ए-इस्मत या पर्दा-ए-बुकारत (Hymen) वगैरह कहते है। इस झिल्ली मे एक छोटा सूराख होता है जिसके जरिए लड़की के बालिग होने पर हैज़ (माहवारी) का खून अपने खास दीनो मे खारीज होता रहता है।_*
*👉 _शादी के बाद जब कोई मर्द ऐसी कुवांरी से पहली बार सोहबत करता है तो मर्द के ऊज़ू-ए-तनासुल के उस से टकराने की वजह से वह झिल्ली फट जाती है इस मौके़ पर औरत को थोड़ी तकलीफ़ होती है और थोड़ा सा खून भी खारिज होता है। फिर यह झिल्ली (पर्दा) हमेशा के लिए खत्म हो जाता है।_*
*👉🏻 _चूँकि यह झिल्ली पतली और नाज़ुक होती है तो कई मर्तबा किसी कुवांरी की यह मामूली चोट, या किसी हादसे की वजह से या कभी कभी खुद ब खुद भी फट जाती है। आजकल बहुत सी लड़कियाँ साइकल वगै़रह चलाती है, कुछ खेल कूद कुछ कसरत वगै़रह भी करती है जिसकी वजह से भी यह झिल्ली कई मर्तबा फट जाती है! जाहीर है ऐसी लडकियो की जब शादी होती है तो मर्द कुछ (खून) न पाकर शक मे मुब्तला हो जाता है_*
*👉🏻 _किसी किसी औरत की यह झिल्ली ऐसी लचक़दार होती है कि सोहबत के बाद भी नही फटती और सोहबत करने में रुकावट भी पैदा नही करती। और न ही खून खारिज होता है। लाखों में से किसी एक औरत की यह झिल्ली इतनी मोटी और सख़्त होती है कि फटती नही जिसके लिए (Operation) की ज़रूरत पड़ती है। लिहाजा किसी शख्स की शादी ऐसी कुवांरी से हो जिससे पहली मर्तबा कराबत (शरीर संबध) होने पर खुन जाहीर न हो, तो जरुरी नही के वह आवारा, अय्याश व बदचलन रह चुंकी हो, इसलिये उसकी इस्मत, पाकदामनी पर शक करना किसी भी सुरत मे जाइज नही! जब तक की बदचलन होने का शरई सुबुत गवाहो के साथ ना हो_*
✍🏻 _*फिक़ह की मशहूर किताब "तन्वीरूल अब्सार" मे है!....*_
*💎💎 _जिस का पर्दा-ए-इस्मत कूदने हैज़ आने या ज़ख़्म या उमर ज़्यादा होने की वजह से फट जाए वह औरत हक़ीक़त में बकेरा (कुंवारी पाक दामन) है"।_*
📕 *_तन्वीरूल अबसार, बाहवाला, फ़तावा-ए-रज़वीया, जिल्द नं 12, सफा नं 36_*
*_सुहाग रात की बातें दोस्तों से कहना_*
*👉 _कुछ लोग अपने दोस्तों को पहली रात (सुहाग रात) में बीवी के साथ की हुई बातें मज़े ले कर सुनाते हैं। दुल्हा अपने दोस्तों को बताता है और दुल्हन अपनी सहेलियों को बताती है! और सुनाने वाला और सुनने वाला इसे बडी दिलचस्पी के साथ मजे ले ले कर सुनते है! यह बहुत ही जाहिलाना तरीक़ा है भला इस से ज़्यादा बेशर्मी और बेहयाई की बात और क्या हो सकती है।_*
📚 *_हदीस :- जमाने जाहिलियत मे लोग अपने दोस्तों को और औरतें अपनी सहेलियों को रात में की हुई बातें और हरकतें बताया करते थे। चुनान्चे जब हुजुर ﷺ को इस बात की ख़बर हुई तो आप ने इसे सख़्त नापसन्द फ़रमाया और इरशाद फ़रमाया......_*
*_"जिस किसी ने सोहबत की बातें लोगों में बयान की उस की मिसाल ऐसी है जैसे शैतान औरत, शैतान मर्द से मिले और लोगों के सामने ही खुले आम सोहबत करने लगे"।_*
_📕 *अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 2, बाब नं 127, हदीस नं 407, सफा नं 155*_
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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