Thursday, October 3, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 031 📕*_
―――――――――――――――――――――

             _🍔 *[वलीमा का बयान ]* 🍔_

* 💫 _वलीमा करना सुन्नते मुअक्कदा है (जान बूझकर वलीमा न करने वाला सख्त गुनाहगार है।)_*

📕 *_कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 261_*

*👉 _"वलीमा यह है कि शब ए जुफाफ (सुहागरात) की सुबह को अपने दोस्त, रिशतेदारों, अजीज व अकारीब और मोहल्ले के लोगों को अपने इस्त्ताअत (हैसियत) के मुताबिक दावत करे, दावत करने वालों का मकसद सुन्नत पर अमल करना हो! न यह की वाह-वाही (शोहरत) करना हो।_*

📕 *_कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 2, सफा नं 185_*

📚 *_हदीस :-  हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] का बयान है के मुझ से नबी-ए-करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया...._*
   
 💎 *_"वलीमा करो चाहे एक ही बकरी हो।"_*

_📕 *बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, सफा नं 85, मोता शरीफ, जिल्द नं 2, सफा नं 434*_

* 👉  _इस्तेताअ़त (हैसियत) हो तो कम से कम एक बकरे या बकरी का गोश्त ज़रूर हो के हुजुर ﷺ ने इसे पसंद फरमाया! लेकिन अगर हैसियत न हो। तो अपनी हैसियत के मुताबिक किसी भी क़िस्म का खाना खिला सकते है कि इससे भी वलीमा हो जाएंगा! यह भी जाइज़ है।_*

📚 *_[हदीस :-  हज़रत सफ़िया बिन्त शैबा [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] फरमाती है...._*

*💎 _नबी ए करीम ﷺ ने अपनी बाज़ अज़वाजे मुतहरात (बीवीयों) का वलीमा दो सेर जव के साथ किया था।_*

📕 *_बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, सफा नं 87,_*

    ✍🏻 _*.... सैय्यदना इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] "कीमीया-ए-सआ़दत" में इरशाद फरमाते है.....*_

*💫 _"वलीमा में ताख़ीर (देरी) करना ठीक नही, अगर किसी श़रअई वजह से ताख़ीर हो जाए तो एक हफ़्ते के अन्दर, अन्दर वलीमा कर लेना चाहिए। उस से ज़्यादा दिन गुजरने न पाए।_*

📕 *_कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 261_*

📚 *_हदीस :-  हज़रत इब्ने मसऊद [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है कि नबी-ए-करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया....._*

* 💎 _"पहले दिन का खाना यानी शब ए जुफाफ (सुहाग रात) के दूसरे रोज़ वलीमा करना) वाज़िब है दूसरे दिन का सुन्नत है और तीसरे दिन का खाना सुनाने और शोहरत के लिए है। और जो कोई सुनाने (शोहरत)के लिए काम करेगा। अल्लाह तआला उसे सुनाएगा (यानी इस की सजा उसे मिलेगी)_*

📕 *_तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 746, हदीस नं 1089, सफा नं 559_*

📚 *_हदिस:-  हजरत सईद बिन मुसैय्यीब रदि अल्लाहु तआला अन्हु को वलीमा मे पहले रोज बुलाया गया तो दावत मंजुर फरमा ली! दुसरे रोज दावत दी गई तब भी कुबुल फरमाई! तिसरे रोज बुलाया गया तो दावत मंजुर न की, बुलाने वाले को फरमाया की.... "यह शेखी बघारने वाले और दिखावा करने वाले है!_*

📕 *_अबु दाऊद शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 131, हदीस नं 349, सफा नं 132_*

_*बाकी अगले पोस्ट में....*_

_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

No comments:

Post a Comment

Al Waziftul Karima 👇🏻👇🏻👇🏻 https://drive.google.com/file/d/1NeA-5FJcBIAjXdTqQB143zIWBbiNDy_e/view?usp=drivesdk 100 Waliye ke wazai...