_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 052 📕*_
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*_⚠हैज़ में औरत अछूत क्यों❓_*
*✍🏻 _कुछ लोग औरत को हालते हैज़ (माहवारी) में ऐसा नापाक और अछुत समझ लेते है के, उसके हाथ का छुआ पानी, खाने पिने से परहेज करते है! यहॉ तक के उसके साथ बैठना भी छोड देते है! यह आम खयाल है की जिस कमरे मे हाईजा औरत हो वह कमरा नापाक है और अगर ऐसे मौके पर किसी बुजुर्ग की फातीहा आ जाए तो उस घर मे फातीहा नही होती! या अगर फातीहा दी भी जाए तो यह खयाल रखा जाता है के ऐसी औरत का हाथ भी इन चिजो को नही लगना चाहीये जो फातीहा के लिये रखी जाती है! गरज के हाइजा औरत के के मुतअल्लीक कई तरह की जाहीलाना बाते आज कौम ए मुस्लीम मे देखी जा सकती है! यह सब लग्व व फुजुल व जेहालत है! याद रखीये हाइजा औरत फातीहा का खाना पका सकती है, इसमे कोई कबाहत नहीं, हॉ फातीहा नहीं दिला सकती की इसमे कुरआने करीम की सुरते पढी जाती है_*
*_👉🏻 ऐसे लोग जो हालते हैज मे औरत को अछुत समझते है, उनके मुतअल्लीक शहज़ाद-ए-आला हज़रत हुज़ूर मुफ़्ती-ए-आज़मे हिन्द [रहमतुल्लाह तआला अलैह] अपने फ़तवे में इरशाद फरमाते है ........_*
💫 *_"जो लोग ऐसा करते है वह नाजाइज़ व गुनाह का काम करते है, और मुशरेकीन यहूद, मजुस की रस्मे मरदूद की पैरवी करते है। हालते हैज़ मे सिर्फ़ सोहबत करना नाजाइज़ है बस इससे परहेज़ ज़रूरी है ! मुशरेकीन, यहूद, और मजूस की तरह हैज़ वाली औरत को Sweeper से भी बदतर समझना बहुत ना पाक ख़याल निरा, जुल्म अजीम वबाल है, यह उन की मनघडत है।_*
📕 *_फ़तावा-ए-मुस्तफ़्विया, जिल्द नं 3, सफा नं 13_*
📚 *_हदीस : उम्मुल मोमीनिन हजरत आइशा सिद्दीका रजी अल्हाहु तआला अन्हा इर्शाद फरमाती है....._*
💫 *_हुजुर ए अक्रम ﷺ ने मुझ से फरमाया की "ए आइशा! हाथ बढाकर मस्जीद से मुसल्ला उठा कर दो" मैने अर्ज किया "मै हैज से हु!" हुजुर ﷺ ने फरमाया "तुम्हारा हैज तुम्हारे हाथ मे नही!"_*
📕 *_सही मुस्लीम शरीफ जिल्द नं 1, किताबुल हैज, बाब नं 3 सफा नं 143_*
📚 *_हदीस : हालते हैज़ मे सोहबत करना बहुत बड़ा गुनाह हराम व नाजाइज़ है! लेकिन औरत का बोसा ले सकते है। ख़बरदार बात बोस व कनार तक ही रहे उससे आगे मुबाशरत तक न पहुँच जाए। इसी तरह एक ही प्लेट में साथ खाने पीने यहां तक कि हाइजा औरत का झूठा खाने पीने मे भी कोई हर्ज नही है। गरज कि औरत से वैसा ही सुलूक रखे जैसा आम दिनो मे रहता है।_*
📕 *_मुलख्खस तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, सफा नं 136_*
📚 *_हदीस : उम्मुल मोमीनिन हजरत आइशा सिद्दीका रजी अल्हाहु तआला अन्हा इर्शाद फरमाती है....._*
💫 *_"जमानाए हैज (हैज के दौरान) मे मै पानी पिती फिर हुजुर ﷺ को देती तो जिस जगह मेरे लब लगे होते हुजुर ﷺ वही दहने मुबारक रख कर पीते, और हालते हाज मे मै हड्डी से गोश्त मुंह से तोड कर खाती फिर हुजुर ﷺ को देती तो हुजुर ﷺ अपना दहन शरीफ उस जगह पर रखते जहॉ मेरा मुंह लगा था!"_*
✍🏻 _*मसअ़ला : हालते हैज़ मे औरत के साथ शौहर का सोना जाइज़ है। और अगर साथ सोने में शहवत (Sex) का ग़लबा और अपने आपको को क़ाबू मे न रखने का शुबह (शक) हो तो साथ न सोए । और अगर खुद पर ऐतमाद व पक्का यक़ीन हो तो साथ सोना गुनाह नही है।*_
📕 *_बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 74_*
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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