_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 051 📕*_
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*_हालत ए हैज़ मे मुबाशरत (सोहबत) हराम है!_*
✍🏻 _*हजरत इमाम मुहम्मद गजाली रदि अल्लाहु तआला अन्हु इर्शाद फरमाते है.......*_
💫 _*"इल्मे दीन जो नमाज रोजा, तहारत वगैरह मे काम आता है, औरत को सिखाए! अगर न सिखाएंगा तो औरत को बाहर जाकर आलीम ए दीन से पुछना वाजीब और फर्ज है! अगर शौहर ने सिखा दिया है तो उसकी इजाजत के बगैर बाहर जाना और किसी से पुछना औरत को दुरूस्त नही, अगर दीन सिखाने मे कसुर करेंगा तो खुद गुनाहगार होंगा की हक तआला ने इर्शाद फरमाया.. ए इमान वालो! अपनी जानो और अपने घर वालो को जहन्नम की आग से बचाओ!*_
📕 *_किमीया ए सादात, सफा नं 265_*
👉 *_हालते हैज मे औरत से सोहबत करना सख्त हराम है! जो की कुरआन से साबीत है! अल्लाह अज्जा व जल्ला और उसके रसुल ﷺ ने ऐसे शख्स से बेजारी का इजहार फरमाया है, जो हाइजा औरत से हम बिस्तरी करता है!_*
*_🔵[हैज़ में मुबाशरत से नुकसान]🔵_*
👉🏻 _*हकीमों ने लिखा है कि औरत से हैज़ की हालत में सोहबत करने से मर्द और औरत को जुज़ाम (कोढ) की बीमारी हो जाती है। और कुछ हकीमों का कहेना है, कि हैज़ की हालत में सोहबत किया और अगर हमल ठहर गया तो औलाद नाकिस (अधूरी) या फिर जुजामी पैदा होगी।*_
📕 *_इहया उल उलुम, जिल्द नं 2, सफा नं 95_*
👉🏻 _*हालते हैज़ मे सोहबत करने से औरत को सख्त नुक्सान है, क्योंकि औरत की फरज से लगातार गंदा खून खारीज होता रहता है, जिस की वजह से वह मकाम नर्म और नाजुक़ हो जाता है! अब अगर ऐसी हालत मे जिमा किया गया तो इस मकाम मे रगड की वजह से वहां ज़ख़्म बन जाता है! फिर मजीद यह की जख्म मे गर्मी की वजह से पीप भर जाता है! बाद मे मुख्तलीफ बिमारीयॉ पैदा होने लगती है!*_
👉🏻 _*हकीमो के मुताबीक हैज मे मुबाशरत करने से (सोजीशे रहम, सुजाक व आतिश्क) जैसे मर्ज लाहिक हो जाते है! इसलिये हालते हैज मे जिन्सी इख्तिलात सेहत के लिये नुक्सानदेह है!*_
✍🏻 _*मसअ़ला : औरत हैज़ की हालत मे है और मर्द को शहवत (Sex) का ज़ोर है, और डर यह है कि कही जिना मे न फंस जाऊ, तो ऐसी हालत मे औरत के पेट पर अपने आले (लिंग) को मस कर के इंजाल कर सकता है, जो जाइज़ है लेकिन रान पर नाजाइज़ है कि हालते हैज़ मे नाफ़ के नीचे से घुटने तक अपनी औरत के बदन से फाइदा हासील नही कर सकता।*_
📕 *_इहया उल उलुम, जिल्द नं 2, सफा नं 95, फ़तावा-ए-अफ़्रीक़ा, सफा नं 171_*
👉🏻 *_याद रहे यह मसअ़ला ऐसे शख़्स के लिए है जिसे ज़िना हो जाने का गालीब गुमान हो तो वह इस तरह से फरागत हासिल कर सकता है। लेकिन सब्र करना और उन दिनों (हैज) मे सोहबत से परहेज करना ही अफ़जल है।_*
📕 *_बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1 सफा नं 42_*
_*बाकी अगले पोस्ट में....*_
_*📮 जारी रहेगा इंशा'अल्लाह....*_
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