Wednesday, November 13, 2019



  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 01 (पोस्ट न. 171)*_
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                 _*🕌इमामत का बयान👑*_

_*☝️अकीदा : - हज़रते आइशा सिद्दीका रदियल्लाहु तआला अन्हा कतई जन्नती हैं और आख़िरत में भी यकीनी तौर पर महबूबे खुदा की महबूब दुल्हन हैं जो उन्हें तकलीफ दे वह रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को ईज़ा देता है और हज़रते तल्हा और हज़रते जुबैर रदियल्लाहु तआला अन्हुमा तो अशरा मुबश्शिरा में से हैं । इन साहिबों से हज़रते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु के मुकाबले की वजह से खताए इजतेहादी वाके हुई मगर यह लोग आखिर कार उनकी मुखालफ़त और मकाबले से बाज़ आगये थे और रुजू कर लिया था । शरीअत में मुतलक बगावत तो इमामे बरहक से मुकाबले को कहते हैं । यह मुकाबला चाहे ' इनादी हो या ' इजतेहादी लेकिन इन हज़रात के रुजू कर लेने यानी बगावत से फिर जाने की वजह से उन्हें बागी नहीं कहा जा सकता वह बेशक जन्नती हैं । हजरते अमीरे मुआविया रदियल्लाहु तआला अन्हु के गिरोह को शरीअत के एतिबार से बागी लश्कर कहा जाता था मगर अब जबकि बागी का मतलब मुफसिद और सरकश हो गया है और यह अल्फाज गाली समझा जाने लगा है इसलिये अब किसी सहाबी के लिये बागी का अल्फाज़ इस्तेमाल किया जाना जाइज़ नहीं ।*_

 _*☝️अकीदा : - उम्मुल मोमिनीन आइशा सिददीका रदियल्लाहु तआला अन्हा रब्बुल आलमीन के महबूब की महबूबा हैं । उन पर इफ्क से अपनी ज़बान गन्दी करने वाला यकीनी तौर पर काफ़िर मुरतद है । और इसके सिवा और तअ्न करने वाला राफिजी तबर्राई , बद्दीन और जहन्नमी है ।*_

_*☝️अकीदा : - हजरते इमामे हसनैन रदियल्लाहु तआला अन्हुमा यकीनी तौर पर ऊँचे दर्जे के शहीदों में से हैं । उनमें से किसी की शहादत का इन्कार करने वाला गुमराह और बद्दीन है ।*_

_*बहारे शरिअत हिस्सा 1, सफा 69*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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