Wednesday, November 13, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 054 📕*_
―――――――――――――――――――――

  *_❌दुबूर (पीछे के मकाम) में सोहबत ❌_*

👉🏻 *_कुछ कम अक़्ल जाहिल, हालते हैज़ मे औरत से उस के दुबुर (पीछे के मक़ाम, पाख़ाने की जगह) में सोहबत कर बैठते है और दीन व दुनिया दोनो अपने ही हाथों बरबाद करते है। होश में आईये यह कोई मामूली सा गुनाह नही बल्कि शरीअ़त मे सख़्त हराम है और गुनाहे कबीरा है। बल्कि कुछ हदीसो में तो इस फे'ल को कुफ़्र तक बताया गया है।_*

📚 *_हदीस : हज़रत अबु ज़र [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फरमाया.........._*

💎 *_"पीछे के मकाम मे    औरत से वती (सोहबत) करना हराम है।"_*

📕 *_[मुस्नदे इमामे आ़ज़म, सफा नं 223,]_*

📚 *_हदीस : हज़रत अबू ह़ुरैरा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है की ..... रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फरमाया.........._*

💎 *_"जिस ने औरत या मर्द से उस के पीछे के मुक़ाम में (जाइज़ समझते हुए) सोहबत की उस ने यक़ीनन कुफ़्र किया"।_*

📕 *_[अबूूदाऊद शरीफ, अहमद शरीफ, नसाई शरीफ वगै़रा]_*

📚 *_हदीस :_*   *_रसूलुल्लाह ﷺ_* _ने इर्शाद फरमाया........._

*_لاينظر الله يوم القيامة إلى رجل أتى رجلاً، أو امرأة في دّبرها_*

💎 *_"अल्लाह तआ़ला क़ियामत के दिन ऐेैसे शख़्स की तरफ़ नज़रे रहमत नही फरमाएगा जिसने औरत के पीछे के मक़ाम से सोहबत की"।_*

📚 *_[ बुखारी शरीफ, तिर्मिज़ी शरीफ, अबूू दाऊद शरीफ, इब्ने माज़ा शरीफ, मुस्लिम शरीफ, नसाई शरीफ (जिसे स्याह ए सित्ता शरीफ कहा गया है मोअत्तेबर हदिस की  (6) किताबे]_*

📚 _*हदीस : हज़रत अबू ह़ुरैरा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है की ..... रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फरमाया........*_

💎 *_"दुबूर (पिछे के मकाम ) मे जिमा करने वाला मलऊन है"!_*

📕 *_[अबूू दाऊद शरीफ, जिल्द 2, बाब नंबर 123, हदीस नं 395]_*

💫 _*इमाम मुहम्मद गजाली रदी अल्लाहु तआला अन्हु नक्ल फरमाते है.........*_

👉  *_"औरत के दुबुर मे (सोहबत) दुरुस्त नही, इसलिये की उसका हराम होना ऐसा ही है जैसे हैज मे जिमा हराम है! दूबूर (पिछे के मकाम) मे जिमा से औरत को तक्लीफ पहुंचती है!चुनांचे उसका हराम व नाजाईज होना यह निस्बते हैज की हुरमत से ज्यादा सख्त तर है!"_*

📕 *_[इहया उल उलुम,  जिल्द 2, सफा नं  95]_*

_*अगर हम गौ़र करे तो मालूम होगा कि अक़्ल की रू से भी यह काम निहायत ही गंदा और ना पसंदीदा है। हर मिजाजे सलीम और तबअे मुस्तकीम इससे  खुद ब खुद घिन आती है। और इसको एक करीह, बदमजा काम जानती है! उलमा-ए-किराम ने औरत से उस के दुबुर मे सोहबत करने के होनेवाले कई नुक़्सानात पर तफ्सीली तब्सीरा  किया है जिनमें से चंद यहाँ बयान किये जाते हैं।*_
✍🏻 *_अव्वल तो यह गिलाज़त, और गन्दगी के निकलने का मकाम है! वती (सोहबत) की लज्जत व लुत्फ अंदोजी को इस गंदगी और गिलाजत की जगह से क्या इलाका (काम)! बल्के ऐसे मौके पर तो इंसान लताफत व पाकीजगी को मुतलाशी (ढुढना) होता  है!_*

✍🏻 *_दूसरा यह कि वती औरत का मर्द पर एक हक होता है! और वह हक इस शक्ल मे तबाह होता है_* 

✍🏻 *_तीसर यह कि कुदरत ने इस मकाम को इस बुरे, बेहुदा काम के लिये नही बनाया है, गोया ऐसे काम का इर्तिकाब  कुदरत के बनाए हुए उसुल (नियम) से बगावत करना है!_*

 ✍🏻 *_चौथा यह की मर्द के लिये जिमा की यह शक्ल निहायत ही मुजीर सेहत (सेहत के लिये नुक्सान देह) है! हालीया रिसर्च (AIDS) Acquired Amino Deficiency Syndrome होने की भी एक वजह है!_*

 ✍🏻 *_पॉंचवा यह है कि इस सूरत में ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) की रगो और जिस्म के दूसरे हिस्सों पर ख़िलाफ़े फितरत जोर पड़ता है जो रगों के लिए नुकसानदेह है! इस तरह के दिगर कई और ऐब, नुक़्सानात व बुराईयॉ के पेशे नजर  शरीयत ने इस काम को हराम करार दिया है और इस अमले बद से मना किया है!_*       

✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*

📮 *_जारी है..._*
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

No comments:

Post a Comment

Al Waziftul Karima 👇🏻👇🏻👇🏻 https://drive.google.com/file/d/1NeA-5FJcBIAjXdTqQB143zIWBbiNDy_e/view?usp=drivesdk 100 Waliye ke wazai...