Wednesday, November 13, 2019



    _*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 055 📕*_
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                   *_इस्तेहाज़ा का बयान_*

👉🏻 *_वोह खून जो औरत के आगे के मक़ाम से निकले और हैज़ व निफ़ास का न हो वोह इस्तेहाज़ा है। इस्तेहाज़ा का खून बीमारी की वजह से आता है।_*

✍🏻 *_मसअ़ला : हैज़ की मुद्दत ज़्यादा से ज़्यादा दस दिन और दस राते है! और कम से कम तीन दिन और तीन राते रात है। अगर खुन दस दिन, दस रात से कुछ ज्यादा आया,या तीन दिन, तीन रात से कुछ भी कम आया तो वोह खून हैज़ का नही इस्तेहाज़ा का है। अगर किसी औरत को पहली मर्तबा हैज़ आया है तो दस दिन, दस रात  हैज़ है, और   बाद का इस्तेहाज़ा है ! और अगर पहले उसे हैज़ आ चुके है और आ़दत दस दिन, दस रात से कम की थी तो आ़दत से जितने ज़्यादा दिन आया वोह इस्तेहाज़ा है। उसे यूं समझिए  कि किसी औरत को पाँच दिन, पॉंच रात  की आ़दत थी (यानी उसे हमेशा हैज़ पाँच दिन पॉंच रात आता   फिर बंद हो जाता था) लेकिन अगर बाराह दिन आया तो पॉंच दिन व रात (जो आदत के थे) बाकी सात दिन व सात  राते इस्तेहाज़ा के है । और अगर हालत मुक़र्रर न थी बल्कि हैज़ कभी चार दिन, कभी पाँच दिन, और कभी छह दिन वगैरह आता था, तो पिछली मर्तबा जितने दिन आया इतने ही दिन हैज़ के समझे जाएंगे और बाकी इस्तेहाज़ा के।_*

📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 42, कानूने शरीयत सफ नं 52]_*
 
✍🏻 *_मसअ़ला : इस्तेहाज़ा मे नमाज़ माफ नही (बल्कि नमाज़ छोड़ना गुनाह है) न ही रमजान शरीफ के रोजे माफ है, ऐसी हालत मे औरत से जिमाअ भी हराम नही।_*

*_✍🏻 मसअ़ला : अगर इस्तेहाज़ा का खून इस क़दर आ रहा हो कि इतनी मोहलत नही मिलती कि वुज़ू करके फ़र्ज़ नमाज़ अदा कर सके, तो एक वुज़ू से इस एक वक्त़ में जितनी नमाज़े चाहे पढ़े, खून आने से भी इस पूरे वक्त़ के अंदर वुज़ू न जाऐगा अगर कपड़ा वगै़रह रख कर नमाज़ पढ़ने तक खून रोक सकती है तो वुज़ू करके नमाज़ पढ़े।_*

📕 *_[कानूने शरीयत, जिल्द नं , सफा नं 54,]_*

            *_💎 तहारत का बयान 💎_*
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*_💎 अल्लाह रब्बुल इज्जत इर्शाद फरमाता है..._*

*_اِنَّ اللّٰہَ یُحِبُّ التَّوَّابِیۡنَ  وَ یُحِبُّ الۡمُتَطَہِّرِیۡنَ ﴿۲۲۲﴾_*

*_💎 "बेशक अल्लाह! पसंद करता है, बहुत तौबा करने वालो को, और पसंद करता है सुथरो को!"_*

📕 *_[ सुरह ए बखराह आयत 222, तर्जुमा कंजुल इमान]_*

*_📚 हदिस :_* _अल्लाह के रसुल ﷺ इर्शाद फरमाते है..........._  *_"पाकीजगी आधा इमान है!"_*
          _और फर्माते है........ हमारे प्यारे आका ﷺ_    *_" दीन की बुनियाद पाकीजगी पर है!"_*

📕 *_[ किमीया ए सआदत सफ नं 132]_*

✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*

📮 *_जारी है..._*
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