_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 056 📕*_
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_*गुस्ल कब फर्ज होता है*_
👉🏻 *_गुस्ल पॉंच चीजों से फर्ज होता है! यानी इन पॉंच चीजो मे से कोई एक भी सुरत पायी जाए तो गुस्ल फर्ज है! हर एक के बारे मे तफ्सील यह है!_*
1⃣ *_मनी निकलने से : मर्द ने औरत को छुआ, या देखा, या सिर्फ औरत के खयाल से ही मजे के साथ मनी (विर्य) अपने मकाम से निकली तो गुस्ल फर्ज हो गया! चाहे सोते मे हो या जागते मे, इसी तरह औरत ने मर्द को छुआ, या देखा, या उसका खयाल लाई और लज्जत के साथ मनी निकली तो औरत पर भी गुस्ल फर्ज हो गया!_*
💫 *_इन तमाम बातो का हासील यही है की अगर शहवत और मजे के साथ मनी अपने मकाम से निकले चाहे औरत से हो या मर्द से तो गुस्ल फर्ज हो जाता है_*
2⃣ *_एहतलाम से : यानी सोते मे मनी का निकलना जिसे (Nightfall) भी कहते है, इससे भी गुस्ल फर्ज हो जाता है! यह मर्द और औरत दोनो को होता है! चुनांचे हदीस पाक मे है......_*
*_📚 हदीस : हजरत उम्मे सलमा रदी अल्लाहु तआला अन्हा ने रसुल ए करीम ﷺ से अर्ज किया... "या रसुलुल्लाह! अल्लाह तआला हक बात बयान करने मे हया नही फरमाता, जब औरत को एहतलाम हो जाए यानी वह मर्द को ख्वाब मे देखे तो उसके लिये गुस्ल जरुरी है"? हुजुर ﷺ ने इर्शाद फरमाया...... " हॉं अगर वह तरी (गिलापन) देखे तो गुस्ल करे"!_*
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 195, हदीस नं 275, सफ नं 193, तिर्मीजी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 89, हदीस नं 114, सफ नं 130]_*
*_✍🏻 मस्अला : रोजे की हालत मे था, और एहतलाम हो गया, तो रोजा न टुटा और न ही रोजे मे कोई खराबी आई, लेकीन गुस्ल फर्ज हो गया!_*
📕 *_[बहार ए शरीयत, व कानुन ए शरीयत]_*
*_3⃣ मुबाशरत (सोहबत) करने से : मर्द ने औरत से जिमाअ किया और अपने आले (लिंग) को औरत के आगे के मकाम (योनी) मे हश्फा दाखील किया चाहे शहवत के साथ हो या बगैर शहवत, इंजाल (Discharge) हो या न हो (सिर्फ मर्द का अपने उज्व (लिंग) को औरत की फरज (योनी) मे हश्फा तक दाखील कर देने से ही) मर्द और औरत दोनो पर गुस्ल फर्ज हो गया!_*
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 201, हदीस नं 284, सफ नं 195]_*
*_4⃣ हैज के बाद : औरत को हैज का खुन आना जब बंद हो जाए, तो उसके बाद उसे गुस्ल करना फर्ज है!_*
*_5⃣ निफास के बाद : औरत को बच्चा पैदा करने के बाद जो खुन फरज से आता है, उसे निफास कहते है! उस खुन के बंद हो जाने के बाद औरत पर गुस्ल करना फर्ज है! यह जो मशहुर है की औरत बच्चा पैदा करने के चालीस दिन बाद पाक होती है, यह गलत है! (उसकी तफ्सील और निफास का मुफस्सल बयीन आगे आएंगा)_*
📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1 सफ नं 38]_*
*_💫 इन पॉंच चिजो से गुस्ल फर्ज हो जाता है! इसके अलावा चंद जरुरी मसाइल है जिनका जानना और याद रखना हर मुसलमान को जरुरी है!_*
*_1⃣ मनी : मनी वह है जो शहवत के साथ निकलती है!_*
*_2⃣ मजी : मजी वह है जो बगैर मजा के ऐसे ही उज्व ए तनासुल (लिंग) मे से चिप-चिपा सा माद्दा निकलता है! नरीयल के तेल की तरह का माद्दा कभी कब्ज से कभी हाज्मे की खराबी से भी निकलता है!_*
*_3⃣ वदी : गाढे पेशाब को कहते है, जो गालीबन देखने मे गाढे दुध की तरह होता है!_*
*_💫मनी निकलने से गुस्ल फर्ज होता है, जब की मजी और वदी के नीकलने से गुस्ल फर्ज नही होता लेकीन वुजु टुट जाता है!_*
*_✍🏻 मस्अला : अगर मनी इतनी पतली पड गई के पेशाब के साथ या वैसे ही कुछ कतरे बगैर शहवत (बगैर मजे) के निकल जाए तो गुस्ल फर्ज न हुआ!_*
📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1 सफ नं 38]_*
*_✍🏻 मस्अला (बिमारी से मनी निकलना) : किसी ने बोझ उठाया, या ऊंचाई से निचे गिरा, या बिमारी की वजह से बगैर किसी मजे के मनी निकल गई तो गुस्ल फर्ज न हुआ, अल्बत्ता वुजु टुट गया!_*
📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1 सफ नं 38]_*
✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*
📮 *_जारी है..._*
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