_*📕 करीना-ए-जिन्दगी भाग - 060 📕*_
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*_🚿गुस्ल करने का तरीका_*
👉🏻 _*ग़ुस्ल में नियत करना सुन्नत है! अगर न भी की तब भी ग़ुस्ल हो जाएगा। ग़ुस्ल की नियत यह है कि "मैं पाक होने और नमाज़ के जाइज़ होने के वास्ते ग़ुस्ल कर रहा हूँ / या कर रही हूँ।*_
👉🏻 *_नियत के बाद पहले दोनों हाथ गट्टो (कलाई) समेत तीन मरतबा अच्छी तरह धोए, फिर शर्मगाह और उसके आस पास के हिस्सों को धोए ! चाहे वहां गंदगी लगी हो या न लगी हो, फिर बदन पर जहाँ जहाँ गन्दगी हो उन जगह को धोए, उस के बाद गरारा करे कि पानी हलक़ के आख़िरी हिस्से, दाँतों की खिड़कीयो, मसूढ़ो वगै़रह में बह जाए, कोई चीज़ दाँतों में अटकी हो तो लकड़ी वगै़रह से उसे निकाल ले, फिर नाक में पानी डाले, इस तरह की नाक की आख़िरी हिस्सा (हड्डी) तक पहुँच जाए और वह नाक में हल्का तेज़ मालुम हो! फिर चेहरा को धोए इस तरह के पेशानी से लेकर ठोढी तक, और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक, फिर तीन मर्तबा कोहनियो समेत हाथों पर पानी बहाए फिर सर का मसह करे, जिस तरह वुज़ू में करते है!_*
*_उस के बाद बदन पर तेल की तरह पानी मले। फिर तीन मर्तबा सर पर पानी डाले फिर तीन मर्तबा सीधे मोन्ढ़े (कान्धे) पर और तीन मरतबा दाएँ मोन्ढ़े पर लोटे या मग वगै़रह से पानी डाले और जिस्म को मलते भी जाए इस तरह कि बदन का कोई हिस्सा सूखा न रहे! सर के बालों की जड़ों, बगल में शर्मगाह और उसके आस पास के हर हिस्सो पर सब जगह पानी पहुंच जाए! इसी तरह औरत अपने कान की बाली, नाक की नथुनी वगैरह को घुमा घुमा कर वहाँ पानी पहुँचाए! सर की जडो तक पानी जरुर पहुंचे! अब आप इस्लामी शरीअ़त के मुताबिक़ पाक हो गये और आपका ग़ुस्ल सही हो गया! इसके बाद साबुन वगै़रह जो भी जाइज़ चीज लगाना हो तो वह लगा सकते है, आखिर में पैर धो कर अलग हो जाए।_*
📕 *_[फ़तावा-ए-रज़्वीया, जिल्द नं 2, सफ नं 18, बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2 सफा नं 36,]_*
✍ *_मसअ़ला : नहाने के पानी में बे वुज़ू शख़्स का हाथ, उँगली, नाखून, या बदन का कोई और हिस्सा पानी में बे धोए चला गया तो वह पानी ग़ुस्ल और वुज़ू के लाएक नही रहा! इसी तरह जिस शख़्स पर (ग़ुस्ल) फ़र्ज़ है उसके जिस्म का भी कोई हिस्सा बे धोए पानी से छू गया तो वह पानी ग़ुस्ल के लाएक नही। इस लिए टाकी वगै़रह का पानी जिस मे घर के कई लोगों के हाथ बगै़र धुले हुए पड़ते है उस पानी से ग़ुस्ल व वुज़ू नही हो सकता! ग़ुस्ल के लिए पहले से ही एहतियात से किसी बाल्टी या ड्रम मे अलग ही नल से पानी भर ले। अगर ऐसी टाकी है जिसमे किसी का हाथ नहीं जाता और उसमे नल वगैरह लगा है, जैसे अमुमन मस्जीद मे होते है या आजकल बिंल्डींग मे छत के उपर प्लास्टीक के बडे-बडे टाकी (Water Tanks) लगाए जाते है, तो ऐसे टाकी के पानी से गुस्ल करना सही है! अगर गुस्ल के पानी मे धुला हुआ हाथ या बदन का कोई हिस्सा पानी में चला गया या छू गया तो कोई हर्ज नही।_*
_*इसी तरह ग़ुस्ल करते वक्त़ यह भी एहतियात रखे कि नापाक बदन से पानी के छींटे बाल्टी में मौजूद पानी जिस से ग़ुस्ल कर रहे है उसमें न जाने पाए*_
📕 *_[कानूने शरीयत, जिल्द नं 1, सफा नं 39,]_*
✍ *_मसअ़ला : ऐसा हौज़ या तालाब जो कम से कम दस हाथ लम्बा, दस हाथ चौड़ा, (यानी कम अज कम 10X10 fits का) हो तो उसके पानी में अगर हाथ या नजासत (गन्दगी) चली गई तो वह पानी नापाक नही होगा, जब तक कि उस का रंग, या मज़ा, और बू (Smell) न बदल जाए। उससे ग़ुस्ल और वुज़ू जाइज़ है। हॉ अगर नजासत इतनी चली गई के पानी का रंग, या मज़ा या बू (Smell) बदल गई तो उस पानी से ग़ुस्ल व वुज़ू न होगा।_*
📕 *_[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 39,]_*
✍🏻 *_बाकी अगले पोस्ट में..._*
📮 *_जारी है..._*
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