Tuesday, April 28, 2020

  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 42)*_
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_*💫गुस्ल किन चीजों से फर्ज होता है ? 👉🏻(भाग 2)*_

_*💫मसअला : - बीमारी वगैरह से बेहोशी आई या नशे में बेहोश हुआ और होश आने के बाद कपड़े या बदन पर मज़ी मिली तो वुजू वाजिब होगा गुस्ल नहीं और सोने के बाद ऐसा देखा तो गुस्ल वाजिब है मगर उसी शर्त पर कि सोने से पहले शहवत न थी ।*_

_*💫मसअला : - किसी को ख्वाब हुआ और मनी बाहर न निकली थी कि आँख खुल गई और आले को पकड़ लिया कि मनी बाहर न हुई फिर जब तुन्दी यानी तेज़ी जाती रही छोड़ दिया अब निकली तो गुस्ल वाजिब हो गया ।*_

_*💫मसअला : - नमाज़ में शहवत थी और मनी उतरती मालूम हुई मगर अभी बाहर न निकली थी कि नमाज पूरी होगई अब निकली तो गुस्ल वाजिब होगा मगर नमाज होगई ।*_

_*💫मसअला : - खड़े या बैठे या चलते हुए सो गया जब आँख खुली तो मज़ी पाई ऐसी सूरत में गुस्ल वाजिब है ।*_

_*💫मसअला : - रात को एहतिलाम हुआ जागा तो कोई असर न पाया वुजू कर के नमाज़ पढ़ ली अब उसके बाद मनी निकली तो गुस्ल अब वाजिब हुआ लेकिन नमाज़ हो गई ।*_

_*💫मसअला : - औरत को ख्वाब हुआ तो जब तक मनी फर्जे दाखिल ( औरत के पेशाब की जगह ) से न निकली गुस्ल वाजिब नहीं ।*_

_*💫मसअला : - मर्द और औरत एक चारपाई पर सोये और उठने के बाद बिस्तर पर मनी पाई गई और उनमें से हर एक एहतिलाम का इन्कार करता है तो एहतियात यह होना है कि दोनों गुस्ल कर लें और यही सही है ।*_

_*💫मसअला : - अगर लड़का एहतिलाम के साथ बालिग हुआ तो उस पर गुस्ल वाजिब है ।*_

_*👉🏻3 : - हश्फा यानी ज़कर का सर औरत के आगे या पीछे या मर्द के पीछे दाखिल होना तो दोनों पर गुस्ल वाजिब करता है चाहे शहवत के साथ हो या बगैर शहवत । इन्जाल हो या न हो ( यानी मनी निकली हो या न निकली हो ) शर्त यह है कि दोनों मुकल्लफ यानी आकिल , बालिग हों और अगर एक बालिग हो तो उस बालिग पर फ़र्ज़ है और नाबालिग पर फर्ज नहीं फिर भी गुस्ल का हुक्म दिया जायेगा मसलन मर्द बालिग है लड़की नाबालिग तो मर्द पर फर्ज है और नाबालिगा लड़की को भी नहाने का हुक्म है और लड़का नाबालिग है और औरत बालिगा है तो औरत पर फर्ज है और लड़के को भी नहाने का हुक्म दिया जायेगा ।*_

_*💫मसअला : - अगर हश्फा काट डाला हो तो बाकी उज्व तनासुल में का अगर हश्फे व बराबर दाखिल हो गया जब भी वही हुक्म है जो हश्फा दाखिल होने का है ।*_

_*💫मसअला : - अगर चौपाया या मुर्दा या ऐसी छोटी लड़की से कि जिसकी मिस्ल से सोहबत न के जा सकती हो वती की तो जब तक इन्जाल न हो गुस्ल वाजिब नहीं ।*_

_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 34/35*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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