Tuesday, April 28, 2020



  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 41)*_
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_*💫गुस्ल किन चीजों से फर्ज होता है ? 👉🏻(भाग 1)*_

_*👉🏻1 : - मनी का अपनी जगह से शहवत ( सम्भोग की ख्वाहिश की हालत को शहवत में होना कहते हैं ) के साथ जुदा होकर उज्व से निकलना गुस्ल के फर्ज होने का सबब है ।*_

_*💫मसअला : - अगर मनी शहवत के साथ जुदा न हुई बल्कि बोझ उठाने या ऊँचाई से गिरने की वजह से निकली तो नहाना वाजिब नहीं हाँ वुजू जाता रहेगा ।*_

_*💫मसअला : - अगर मनी अपनी जगह से शहवत के साथ निकली मगर उस आदमी ने अपने आले ( लिंग ) को ज़ोर से पकड़ लिया कि बाहर न हो सकी फिर शहवत खत्म होने के बाद उसने छोड़ दिया । अब मनी बाहर हुई तो अगर्चे मनी का बाहर निकलना शहवत से न हुआ मगर चुंकि अपनी जगह से शहवत के साथ निकली है लिहाज़ा गुस्ल वाजिब है इसी पर अमल है ।*_

_*💫मसअला : - अगर मनी कुछ निकली और पेशाब करने या सोने या चालीस कदम चलने से पहले नहा लिया और नमाज़ पढ़ ली अब बाकी मनी निकली तो नहाना ज़रूरी है क्योंकि यह उसी मनी का हिस्सा है जो अपनी जगह से शहवत के साथ जुदा हुई थी और पहले जो नमाज पढ़ी थी वह हो गई उसके लौटाने की ज़रूरत नहीं और अगर चालीस कदम चलने या पेशाब करने या सोने के बाद गुस्ल किया फिर मनी बिला शहवत के निकली तो गुस्ल जरूरी नहीं और यह पहली का बकिया नहीं कही जायेगी ।*_

_*💫मसअला : - अगर मनी पतली पड़ गई कि पेशाब के वक़्त या वैसे ही कुछ कतरे बिला शहवत निकल आये तो गुस्ल वाजिब नहीं अलबत्ता वुजू टुट जायेगा ।*_

_*👉🏻2 : - एहतिमाल यामी सोते से उठा और बदन या कपड़े पर तरी पाई और इस तरी के मनी या मज़ी होने का यकीन या एहतिमाल ( शक ) हो तो गुस्ल वाजिब है अगर्चे ख्वाब याद न हो और अगर यकीन है कि यह न मनी है और न मजी बल्कि पसीना या पेशाब या वदी या कुछ और है तो अगर्चे एहतिलाम याद हो और इन्जाल ( यानी मनी का निकलना ) का मज़ा ध्यान में हो गुस्ल वाजिब नहीं और अगर मनी न होने पर यकीन करता है और मज़ी का शक है तो अगर ख्वाब में एहतिलाम होना याद नहीं तो गुस्ल नहीं वरना है ।*&

 _*💫मसअला : - अगर एहतिलाम याद है मगर उसका कोई असर कपड़े वगैरा पर नहीं तो गुस्ल वाजिब नहीं होगा ।*_

_*💫मसअला : - अगर सोने से पहले शहवत थी आला काइम था अब जागा और एहतिलाम का असर पाया और मज़ी होने का ज्यादा गुमान है और एहतिलाम याद नहीं तो गुस्ल वाजिब नहीं जब तक कि उसके मनी होने का ज़्यादा गुमान हो जाये और अगर सोने से पहले शहवत ही न थी या थी मगर सोने से पहले दब चुकी थी और जो निकला उसे साफ कर चुका था तो मनी के यकीन की जरूरत नहीं बल्कि मनी के एहतिमाल ( शक ) से ही गुस्ल वाजिब हो जायेगा । यह मसला ज़्यादा वाकेअ होता है और लोग इससे बेखबर हैं इसलिये इस चीज़ का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 33/34*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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