_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 104)*_
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_*💠नजासतों के मुतअल्लिक अहकाम💠*_
_*✨नजासत दो किस्म की हैं । एक वह जिसका हुक्म सख्त है उसको गलीजा कहते हैं । दूसरी वह जिसका हुक्म हल्का है उसे खफ़ीफ़ा कहते है ।*_
_*💫मसअला : - नजासते गलीज़ा का हुक्म यह है कि अगर कपड़े या बदन में एक दिरहम से ज्यादा लग जाये तो उसका पाक करना फ़र्ज़ है अगर बे पाक किये नमाज़ पढ़ ली तो होगी ही नहीं और अगर जान बूझकर पढ़ी तो गुनाह भी हुआ और अगर इस्तिकाफ ( हलका समझना ) की नियत से है तो कुफ्र है । और अगर दिरहम के बराबर है तो पाक करना वाजिब है अगर बे पाक किये नमाज़ पढ़ी तो मकरूहे तहरीमी हुई यानी ऐसी नमाज़ का लौटाना वाजिब है और जान बूझ कर पढ़ी तो गुनाहगार भी हुआ अगर दिरहम से कम है तो पाक करना सुन्नत है कि बे पाक किये नमाज़ हो गई मगर सुन्नत के खिलाफ है और उसका लौटाना बेहतर है ।*_
_*💫मसअला : - अगर नजासत गाढ़ी है जैसे पाखाना लीद या गोबर तो दिरहम के बराबर या कम या ज़्यादा के मना यह हैं कि वज़न में उस के बराबर या कम या ज़्यादा हो और दिरहम का वज़न इस जगह शरीअत में साढ़े चार माशे और ज़कात में तीन माशा 1-1-5 रत्ती है और अगर पतली है जैसे आदमी का पेशाब और शराब तो दिरहम से मुराद उसकी लम्बाई चौड़ाई है और शरीअत ने उसकी मिकदार हथेली की गहराई के बराबर बताई यानी हथेली खूब फैला कर बराबर रखें और उस पर आहिस्ता से इतना पानी डालें कि उससे ज्यादा पानी न रुक सके अब पानी का जितना फैलाव है उतना बड़ा दिरहम समझा जाये और उसकी मिकदार तकरीबन यहाँ के 10 रुपये के सिक्के के बराबर है ।*_
_*💫मसअला : - नजिस तेल कपडे पर गिरा और उस वक़्त दिरहम के बराबर न था फिर फैल कर दिरहम के बराबर हो गया तो उस में उलमा को बहुत इख्तिलाफ है लेकिन तरजीह इस बात में । कि पाक करना वाजिब हो गया ।*_
_*💫मसअला : - नजासते खफीफा का यह हक्म है कि कपड़े के जिस हिस्से या बदन के जिस उज्व में नजासत लगी है अगर उसकी चौथाई से कम है ( जैसे दामन में लगी है तो दामन की चौथा से कम , आस्तीन में लगी है तो आस्तीन की चौथाई से कम और ऐसे ही हाथ में हाथ की चौथाई से कम है ) तो माफ है कि उस से नमाज़ हो जायेगी और अगर पूरी चौथाई में हो तो बे धोये नमाज़ न होगी ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 79/80*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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