_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 02)*_
_*―――――――――――――――――――――*_
_*( 1 ) इस किताब में पूरी कोशिश की गई है कि इस की इबारत आसान हो और समझने में कोई दिक्कत न हो और कम इल्म लोग औरतें और बच्चे भी इस किताब से फायदा हासिल कर सके फिर भी इल्म बहुत मुश्किल चीज है यह मुमकिन नहीं कि इल्मी दुश्वारियाँ बिल्कुल जाती रहें । किताब पढ़ने पर बहुत से ऐसे मौके आयेंगे कि इल्म वालों से समझने की ज़रूरत पड़ेगी लेकिन इतना फायदा तो जरूर होगा कि इल्म वालों की तरफ तवज्जोह होगी ।*_
_*( 2 ) इस किताब में मसाइल की दलीलें न लिखी जायेंगी कि अव्वल तो दलीलों को समझना हर शख्स का काम नहीं दूसरे दलीलों की वजह से ऐसी उलझन पड़ जाती है कि मसला समझना दुश्वार हो जाता है लिहाजा हर मसअले में हुक्म बयान कर दिया जायेगा और अगर किसी साहब को दलाइल का शौक हो तो वह फतावाए रज़विया शरीफ का मुतालआ ( पढ़ा ) करें कि उसमें हर मसले की ऐसी तहकीक की गई है जिसकी नज़ीर आज दुनिया में मौजूद नहीं और उस में हजारहा ऐसे मसाइल मिलेंगे जिनसे उलमा के कान भी आशना नहीं ।*_
_*( 3 )कोशिश ऐसी की गई है कि इस किताब में इख्तिलाफ का बयान न होगा कि अवाम के सामने जब दो मुखतलिफ बातें पेश हों तो हैरान रह जाते हैं और सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि किस पर अमल किया जाये और बहुत सी ख्वाहिश के बंदे ऐसे भी होते हैं कि जिसमें अपना फायदा देखते हैं उसे इख्तियार कर लेते हैं यह समझ कर नहीं कि यही हक है बल्कि यह खयाल कर के कि इस में अपना मतलब हासिल होता है फिर जब कभी दूसरे में अपना फायदा देखा तो उसे इख्तियार कर लिया और यह नाजाइज है कि यह शरीअत की पैरवी नहीं बल्कि नफ्स की पैरवी है । लिहाजा हर मसअले में सही हुक्म बयान कर दिया जायेगा कि हर शख्स उस पर अमल कर सके अल्लाह तआला तौफीक दे और मुसलमानों को इस से फायदा पहुँचाये ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 6*_
_*🤲 तालिबे दुआँ क़मर रज़ा ह़नफ़ी*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment