_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 40)*_
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_*🚿गुस्ल की सुन्नतें*_
_*🚿गुस्ल के मसाइल के बाद अब गुस्ल की सुन्नतें लिखी जाती है ।*_
_*🌟 1 . गुस्ल की नियत करना ।*_
_*🌟2 . पहले दोनों हाथों को गट्टों तक तीन - तीन बार धोना ।*_
_*🌟3 . चाहे नजासत हो या न हो पेशाब , पाखाने की जगह का धोना ।*_
_*🌟4 . बदन पर जहाँ कहीं नजासत हो उसको दूर करना ।*_
_*🌟5 . फिर नमाज़ की तरह वुजू करना मगर पाँव नहीं धोना चाहिये हाँ अगर चौकी या पत्थर या तख्ने पर नहाये तो पाँव धो ले ।*_
_*🌟6 . फिर पूरे बदन पर तेल की तरह पानी चुपड़ ले खास कर जाड़े के मौसम में ।*_
_*🌟7 . फिर तीन बार दाहिने मोंढे पर पानी बहायें ।*_
_*🌟8 . फिर बायें मोंढे पर तीन बार ।*_
_*🌟9 . फिर सर और तमाम बदन पर तीन बार पानी बहाये ।*_
_*🌟10 . फिर नहाने की जगह से अलग हट कर अगर पाँव नहीं धोये थे तो धो लें ।*_
_*🌟11 . नहाने में किब्ला रुख न हो ।*_
_*🌟12 . तमाम बदन पर हाथ फेरे ।*_
_*🌟13 . तमाम बदन को मले ।*_
_*🌟14 . ऐसी जगह नहाये कि उसे कोई न देखे और अगर यह न हो सके तो नाफ से घुटने तक का छिपाना जरूरी है अगर इतना भी न हो सके तो . तयम्मुम करे मगर ऐसा कम होता है ।*_
_*🌟15 . गुस्ल में किसी तरह की बात न करे ।*_
_*🌟16 . और न कोई दुआ पढ़े । नहाने के बाद तौलिया या रूमाल से बदन पोंछ डालें तो कोई हर्ज नहीं ।*_
_*💫मसअला : - गुस्लखाने की छत न हो या नंगे बदन नहाये बशर्ते कि इहतियात की जगह होता कोई हर्ज नहीं हाँ औरतों को बहुत ज़्यादा इहतियात की ज़रूरत है ।*_
_*🌟17 . औरतों को बैठ कर नहाना बेहतर है ।*_
_*🌟18 . नहाने के बाद फौरन कपड़े पहन लें जितनी चीजें वुजू में सुन्नत और मुस्तहब हैं उतनी ही नहाने में भी हैं मगर सत्र खुला हो तो किब्ले को मुँह करना नहीं चाहिये और तहबन्द व हो तो हर्ज नहीं ।*_
_*💫मसअला : - अगर बहते पानी जैसे दरिया या नहर में नहाया तो थोड़ी देर उसमें रुकने से तीन बार धोने और तरतीब और वुजू यह सब सुन्नतें हैं अदा हो गयीं इसकी भी जरूरत नहीं कि बदन के उज्व को तीन बार हरकत दे और तालाब वगैरा ठहरे पानी में नहाया तो बदन का तीन बार हरकत देने या जगह बदलने से तसलीस यानी तीन बार धोने की सुन्नत अदा हो जायेगी । मेंह में खड़ा हो गया तो यह बहते पानी में खडे होने के हुक्म में है । बहते पानी में वुजू किया तो वही थोड़ी देर उस में उज्व को रहने देना और ठहरे पानी में हरकत देना तीन बार धोने के काइम मकाम है ।*_
_*💫मसअला : - सब के लिये गुस्ल या वुजू में पानी की एक मिकदार मुकर्रर नहीं जिस तरह अवाम में मशहूर है यह महज बातिल है । क्योंकि एक लम्बा चौड़ा आदमी दूसरा दुबला पतला , एक के तमाम बदन पर बाल और दूसरे का बदन साफ एक की घनी दाढी दूसरा बगैर बाल का , एक के सर पर बड़े - बड़े बाल दुसरा मुंडा हुआ और इसी तरह दूसरी चीजों में फर्क है तो सबके लिये पानी की एक मिकदार कैसे मुमकिन है ।*_
_*💫मसअला : - औरत का हम्माम में जाना मकरूह है और मर्द जा सकता है मगर पर्दे का लिहाज़ जरूरी है । लोगों के सामने सत्र खोलना हराम है बगैर जरूरत सुबह तड़के हम्माम को न जाये कि इस तरह एक छुपी हुई बात लोगों पर जाहिर करना होगा ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 32/33*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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