_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 57)*_
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_*34: 💫मसअला : - डोल भरा हुआ निकलना ज़रूरी नहीं अगर कुछ पानी छलक कर गिर गया या टपर कर गिर गया मगर जितना बचा वह आधे से ज्यादा है तो वह पूरा ही डोल गिना जायेगा ।*_
_*35: 💫मसअला : - अगर डोल मुकर्रर है मगर जिस डोल से पानी निकाला वह उससे छोटा या बड़ा है या डोल मुकर्रर नहीं और जिससे निकाला वह एक साअ से कम या ज्यादा है तो इन सूरतो में हिसार कर के उसे मुकर्रर या एक साअ के बराबर कर लें ।*_
_*36: 💫मसअला : - अगर कुँए से मरा हुआ जानवर निकला तो अगर उसके गिरने और मरने का वक़्त मालूम है तो उसी वक़्त से पानी नाजिस है उसके बाद अगर किसी ने उससे वुजू या गुस्ल किया तो न वुजू हुआ और न गुस्ल । उस वुजू और गुस्ल से जितनी नमाजें पढ़ीं सब को लौटाये क्यूँकि वह नमाजें नहीं हई ऐसे ही उस पानी से कपड़े धोये या किसी और तरीके से उसके बदन या कपड़े में लगा तो कपड़े और बदन का पाक करना ज़रूरी है और उनसे जो नमाजें पढ़ीं उनका लौटाना फर्ज है । और अगर वक़्त मालूम नहीं तो जिस वक़्त देखा गया उस वक़्त से नाजिस करार पायेगा अगर्चे फला फटा हो और उससे पहले पानी नाजिस नहीं और पहले जो वुजू या गुस्ल किया या कपड़े धोये तो कुछ हर्ज नहीं आसानी के लिए इसी पर अमल है ।*_
_*37: 💫मसअला : - जो कुँआ ऐसा है कि उसका पानी टूटता ही नहीं चाहे जितना ही पानी निकालें और उसमें नजासत पड़ गई या उसमें कोई ऐसा जानवर मर गया जिसमें कुल पानी निकालने का हुक्म है तो ऐसी हालत में हुक्म यह है कि मालूम कर लें कि उसमें पानी कितना है वह सब निकाल लिया जाये , निकालते वक़्त जितना ज़्यादा होता गया उसका कुछ लिहाज़ नहीं और यह मालूम कर लेना कि इस वक़्त कितना पानी है उसका एक तरीका तो यह है कि दो परहेज़गार मुसलमान जिनको यह महारत हो कि पानी की चौड़ाई गहराई देखकर बता सकें कि इस कुँए में इतना पानी है वह जितने डोल बतायें उतने निकाले जायें । और दूसरा तरीका यह है कि उस पानी की गहराई किसी लकड़ी या रस्सी से ठीक तरीके से नाप लें और कुछ लोग फुर्ती से सौ डोल निकालें फिर पानी नापें जितना कम हुआ उसी हिसाब से पानी निकाल लें , कुँआ पाक हो जायेगा । उसकी मिसाल यह है कि पहली बार नापने से मालूम हुआ कि पानी जैसे दस हाथ है फिर सौ डोल में एक हाथ कम हुआ तो दस हाथ में दस सौ यानी एक हजार डोल हुए ।*_
_*38: 💫मसअला - जो कुआँ ऐसा है कि उसका पानी टूट जायेगा मगर उसमें उसके फट जाने या दूसर नुकसान का खतरा है तो भी उतना ही पानी निकाला जाये जितना उस वक़्त उस में मौजूद है पाना तोड़ने की ज़रूरत नहीं ।*_
_*39: 💫मसअला : - कुँए से जितना पानी निकालना है उसमें इख्यार है कि एक दम से उतना निकालें या थोड़ा - थोड़ा कर के दोनों हालतों में पाक हो जायेगा ।*_
_*40: 💫मसअला : - मुर्गी का ताज़ा अन्डा जिस पर अभी रतूबत लगी हो पानी में पड़ जाये तो नाजिस न होगा यूँही बकरी का बच्चा पैदा होते ही पानी में गिरा और मरा नहीं जब भी नापाक न होगा ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 46/47*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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_*34: 💫मसअला : - डोल भरा हुआ निकलना ज़रूरी नहीं अगर कुछ पानी छलक कर गिर गया या टपर कर गिर गया मगर जितना बचा वह आधे से ज्यादा है तो वह पूरा ही डोल गिना जायेगा ।*_
_*35: 💫मसअला : - अगर डोल मुकर्रर है मगर जिस डोल से पानी निकाला वह उससे छोटा या बड़ा है या डोल मुकर्रर नहीं और जिससे निकाला वह एक साअ से कम या ज्यादा है तो इन सूरतो में हिसार कर के उसे मुकर्रर या एक साअ के बराबर कर लें ।*_
_*36: 💫मसअला : - अगर कुँए से मरा हुआ जानवर निकला तो अगर उसके गिरने और मरने का वक़्त मालूम है तो उसी वक़्त से पानी नाजिस है उसके बाद अगर किसी ने उससे वुजू या गुस्ल किया तो न वुजू हुआ और न गुस्ल । उस वुजू और गुस्ल से जितनी नमाजें पढ़ीं सब को लौटाये क्यूँकि वह नमाजें नहीं हई ऐसे ही उस पानी से कपड़े धोये या किसी और तरीके से उसके बदन या कपड़े में लगा तो कपड़े और बदन का पाक करना ज़रूरी है और उनसे जो नमाजें पढ़ीं उनका लौटाना फर्ज है । और अगर वक़्त मालूम नहीं तो जिस वक़्त देखा गया उस वक़्त से नाजिस करार पायेगा अगर्चे फला फटा हो और उससे पहले पानी नाजिस नहीं और पहले जो वुजू या गुस्ल किया या कपड़े धोये तो कुछ हर्ज नहीं आसानी के लिए इसी पर अमल है ।*_
_*37: 💫मसअला : - जो कुँआ ऐसा है कि उसका पानी टूटता ही नहीं चाहे जितना ही पानी निकालें और उसमें नजासत पड़ गई या उसमें कोई ऐसा जानवर मर गया जिसमें कुल पानी निकालने का हुक्म है तो ऐसी हालत में हुक्म यह है कि मालूम कर लें कि उसमें पानी कितना है वह सब निकाल लिया जाये , निकालते वक़्त जितना ज़्यादा होता गया उसका कुछ लिहाज़ नहीं और यह मालूम कर लेना कि इस वक़्त कितना पानी है उसका एक तरीका तो यह है कि दो परहेज़गार मुसलमान जिनको यह महारत हो कि पानी की चौड़ाई गहराई देखकर बता सकें कि इस कुँए में इतना पानी है वह जितने डोल बतायें उतने निकाले जायें । और दूसरा तरीका यह है कि उस पानी की गहराई किसी लकड़ी या रस्सी से ठीक तरीके से नाप लें और कुछ लोग फुर्ती से सौ डोल निकालें फिर पानी नापें जितना कम हुआ उसी हिसाब से पानी निकाल लें , कुँआ पाक हो जायेगा । उसकी मिसाल यह है कि पहली बार नापने से मालूम हुआ कि पानी जैसे दस हाथ है फिर सौ डोल में एक हाथ कम हुआ तो दस हाथ में दस सौ यानी एक हजार डोल हुए ।*_
_*38: 💫मसअला - जो कुआँ ऐसा है कि उसका पानी टूट जायेगा मगर उसमें उसके फट जाने या दूसर नुकसान का खतरा है तो भी उतना ही पानी निकाला जाये जितना उस वक़्त उस में मौजूद है पाना तोड़ने की ज़रूरत नहीं ।*_
_*39: 💫मसअला : - कुँए से जितना पानी निकालना है उसमें इख्यार है कि एक दम से उतना निकालें या थोड़ा - थोड़ा कर के दोनों हालतों में पाक हो जायेगा ।*_
_*40: 💫मसअला : - मुर्गी का ताज़ा अन्डा जिस पर अभी रतूबत लगी हो पानी में पड़ जाये तो नाजिस न होगा यूँही बकरी का बच्चा पैदा होते ही पानी में गिरा और मरा नहीं जब भी नापाक न होगा ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 46/47*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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