Tuesday, April 28, 2020


  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 45)*_
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_*💫गुस्ल किन चीजों से फर्ज होता है ? 👉🏻(भाग 5)*_

_*💫मसअला : - औरत को नहाने या वुजू के लिये पानी मोल लेना पड़े तो उसकी कीमत शौहर के ज़िम्मे है जबकि औरत पर गुस्ल और वुजू वाजिब हो या बदन से मैल दूर करने के लिए नहाये ।*_

_*💫मसअला : - जिस पर गुस्ल वाजिब है उसे चाहिए कि नहाने में देर न करे हदीस शरीफ में है कि जिस घर में जनबी हो उसमें रहमत के फरिश्ते नहीं आते और अगर इतनी देर कर चुका कि नमाज़ का आखिरी वक़्त आ गया लो अब फौरन नहाना फर्ज है क्यूँकि अगर देर करेगा तो गुनाहगार होगा । और अगर खाना खाना चाहता है या औरत से जिमा करना चाहता है तो वुजू कर ले या हाथ मुँह धो ले या कुल्ली कर ले और अगर वैसे ही खा पी लिया तो गुनाह नहीं मगर मकरूह है और मुहताजी लाता है और बे नहाये या बे वुजू किये जिमा कर लिया तो भी गुनाह नहीं मगर जिस को एहतिलाम हुआ हो बे नहाये उसे औरत के पास न जाना चाहिए ।*_

 _*💫मसअला : - मजानम अगर रात को जुनुब हुआ तो अच्छा यही है कि फज्र तुलू होने से पहले नहा ले ताकि रोजे का हर हिस्सा जनाबत से खाली हो और अगर नहीं नहाया तो भी रोजा तो हो ही जायेगा मगर अच्छा यह है कि गरारा कर ले और नाक में जड़ तक पानी चढ़ा ले । यह दोनो काम फर्ज से पहले कर ले कि रोजे में न हो सकेंगे और अगर नहाने में इतनी देर की कि दिन निकल आया और नमाज कजा कर दी तो यह और दिनों में भी गुनाह है आर रमज़ान में तो और ज्यादा ।*_

_*💫मसअला : - जिसको नहाने की जरूरत हो उसको मस्जिद में जाना , तवाफ करना , कुर्आन शरीफ छूना , अगर्चे उसका सादा हाशिया या जिल्द या छोली छुए या बे छुये देख कर , या जुबानी पढ़ना या किसी आयत का लिखना या आयत का तावीज़ लिखना या ऐसा तावीज छूना या ऐसी अंगूठी पहनना जिस में हुरूफे मुकत्तआत हों हराम है ।*_

_*💫मसअला : - अगर कुर्आन शरीफ जुज़दान में हो तो जुज़दान पर हाथ लगाने में हरज नहीं ऐसे ही रुमाल वगैरा किसी ऐसे कपड़े से पकड़ना जो न अपना ताबे हो न कुर्आन मजीद का तो जाइज़ है कि कुर्ते की आस्तीन , दुपट्टे के आँचल से यहाँ तक कि चादर का एक कोना उसके मोंढे पर है तो दूसरे कोने से छूना हराम है क्योंकि यह सब उसके ताबे हैं और जैसे चोली कुर्आन शरीफ के ताबेअ है तो उसका छूना भी हराम है ।*_

_*💫मसअला : - आगर कुर्आन की आयत दुआ की नियत से या तबर्रुक के लिए पढ़े जैसे:-*_
_*بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ*_

_*📝तर्जमा : - " अल्लाह के नाम से शुरू जो निहायत मेहरबान रहमत वाला " या अल्लाह तआला का शुक्र अदा करने या छींक आने के बाद :-*_
_*الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ*_
_*पढ़े ।*_

_*📝तर्जमा : - " सब खूबियाँ अल्लाह को जो मालिक सारे जहान वालो का ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 36/37*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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