Tuesday, April 28, 2020




  _*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 46)*_
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_*💫गुस्ल किन चीजों से फर्ज होता है ? 👉🏻(भाग  6)*_

_*या परेशानी की खबर पर यह आयत पढ़े ।*_
_*اِنَّا لِلّٰهِ وَاِنَّ اِلِیْهِ رٰجِعُنْ*_
  _*📝तर्जमा : - हम अल्लाह के लिए हैं और हमको उसी की तरफ फिरना है । या अल्लाह की तारीफ की नियत से पूरी सुरए फातिहा या आयतुल कुर्सी या सुरए हश्र की पिछली तीन आयतें*_
_*ھُواللّٰهُ الّ‌َذِیْ*_
_*पढीं ।और इन सब सूरतों में कुर्आन शरीफ पढ़ने की नियत न हो तो कुछ हर्ज नहीं । ऐसे ही तीनों कुल बगैर कुल के लफ्ज़ बनियत सना पढ़ सकता है और लफ्जे कुल के साथ नहीं पढ़ सकता अगर्चे सना ही की नियत से हो क्यूँकि इस सूरत में उनका कुर्आन होना तय है इसमें नियत को कुछ दखल नहीं ।*_

_*💫मसअला - बेवुजु को कुर्आन मजीद या उसकी किसी आयत का छूना हराम है बिना छुये जुबानी देख कर पढ़े तो कोई हर्ज नहीं ।*_

_*💫मसअला : - रुपये पर आयत लिखी हो तो उन सबको यानी बे वुजू वालों जिन पर नहाना जरूरी है और हैज और निफास वालियों को उसका छूना हराम है । हाँ अगर थैली में हो तो थैली उठाना जायज़ है । ऐसे ही जिस बर्तन या गिलास पर सूरत या आयत लिखी हो उसका छूना भी उनको हराम है और उसका इस्तेअमाल सब को मकरूह मगर जबकि खास शिफा की नियत हो ।*_

_*💫मसअला : - कुर्आन शरीफ देखने में उन सब पर कुछ हर्ज नहीं अगरचे हुरूफ पर नज़र पड़े और अल्फाज़ समझ में आयें और ख्याल में पढ़े जायें ।*_

_*💫मसअला - और उन सब को फिक्ह , तफसीर और हदीस की किताबों का छूना मकरुह है और अगर उनको किसी कपड़े से छूना चाहे अगरचे उसको पहने या ओढ़े हुए हो तो कोई हर्ज नहीं मगर उन किताबों में आयत की जगह हाथ रखना हराम है ।*_

_*💫मसअला : - इन सब को तोरात , ज़बूर इन्जील को पढ़ना छूना मकरूह है ।*_

_*💫मसअला : - दुरूद शरीफ और दुआओं के पढ़ने में उन्हें कुछ हर्ज नहीं मगर अच्छा यह है कि तुज या कुल्ली कर के पढ़ें ।*_

_*💫मसअला : - उन सब को अजान का जवाब देना जाइज है ।*_

_*💫मसला : - मुसहफ शरीफ ( कुर्आन ) अगर ऐसा हो जाये कि पढ़ने के काम में न आये तो उसे कफना कर लहद खोद कर , ऐसी जगह दफन करें जहाँ पैर पड़ने का खतरा न हो ।*_

_*💫मसअला - काफिर को मुसहफ न छूने दिया जाये और हुरूफों को उससे बचाया जाये ।*_

_*💫मसअला : - कुर्आन सब किताबों से ऊपर रखें फिर तफसीर फिर हदीस फिर बाकी दीनियात मरतबे के एअतिबार से ।*_

_*💫मसअला : - किताब पर कोई दूसरी चीज़ न रखी जाये यहाँ तक कि कलम दवात और यहाँ तक कि सन्दूक जिस में किताब हो उस पर भी कोई चीज़ न रखी जाये ।*_

_*💫मसअला : - मसाइल या दीनियात की किताबों के वरकों में पुडिया बाँधना । जिस दस्तरख्वान पर कुछ लिखा हुआ हो उसको काम में लाना या बिछौने पर कुछ लिखा हो तो उसको काम में लाना मना है ।*_


_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 37/38*_

_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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