_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 116)*_
―――――――――――――――――――――
_*💦इस्तिन्जे का बयान💦*_
_*🕋अल्लाह तआला फरमाता है :*_
_*📝तर्जमा : - " उस मस्जिद यानी मस्जिदे कुबा शरीफ में ऐसे लोग हैं जो पाक होने को पसन्द रखत हैं और अल्लाह दोस्त रखता है पाक होने वालों को ।*_
_*📚हदीस न . 1 - इब्ने माजा में अबू अय्यूब , जाबिर और अनस रदियल्लाहु तआला अन्हुम से रिवायत है कि जब यह आयत शरीफ नाज़िल हुई तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि ऐ गिरोहे अनसार अल्लाह तआला ने तहारत ( पाकी ) के बारे में तुम्हारी तारीफ की तो बताओ तुम्हारी तहारत क्या है ? उन्होंने अर्ज किया कि नमाज के लिये हम वुजू करते हैं , जनाबत से गुस्ल करते हैं और हम पाखाना करके पहले तीन ढेलों से जगह को पाक करते हैं उसके बाद फिर पानी से इस्तिन्जा करते हैं । फरमाया तो वह यही है इसको करते रहो ।*_
_*📚हदीस न . 2 : - अबू दाऊद और इब्ने माजा जैद इब्ने अरकम रदियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि यह पाखाने ( लैट्रीने ) जिनों और शैतानों के हाज़िर रहने की जगह हैं तो जब कोई पाखाने को जाये तो यह दुआ पढ़ ले :*_
اَعُوْذُ بِاللّٰهِ مِنَ الْخُبُپِ وَ الْخَبَائِثِ
_*" अऊजु बिल्लाहि मिनल खुबसि वल खबाइसि*_
_*📝तर्जमा - मैं अल्लाह की पनाह माँगता हूँ पलीदी और शैतानों से ।*_
_*📚हदीस न . 3 : - बुखारी शरीफ और मुस्लिम शरीफ में यह दुआ इस तरह है :*_
اَللّٰہُمَّ اِنِّیْ اَعُوْذَ بِکَ مِنَ الْخُبُثِ وَلْخَبَائِثِ
_*अल्लाहुम्मा इन्नी अऊजु बिका मिनल खुबसि वल खबाइसि*_
_*📝तर्जमा : - ऐ अल्लाह मैं तेरी पनाह माँगता हूँ पलीदी और ( नापाकी ) और शैतानों से ।*_
_*📚हदीस न4 : - अमीरुल मोमिनीन हज़रते अली रदियल्लाहु तआला अन्हु से इस तरह रिवायत है कि जिन्नात की आँखों और औलादे आदम के सतर में पर्दा यह है , कि जब पाखाने को जाये तो कह ले:*_
*_بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْم_*
_*बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम*_
_*📚हदीस न . 5 : - तिर्मिजी इब्ने माजा और दारमी उम्मुल मोमिनीन सिददीका रदियल्लाह तआला अनहा से रिवायत करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम जब बैतुलखला से बाहर आते तो यूँ फरमाते :*_
_*غُفْرَا انَکَ गुफरानाका*_
_*📝तर्जमा : - अल्लाह से मगफिरत का सवाल करता हूँ ।*_
_*📚हदीस न . 6 : - इब्ने माजा की रिवायत हजरते अनस रदियल्लाहु तआला अन्हु से इस तरह है । जब हुजूर बैतुलखला से तशरीफ लाते तो यह फरमाते :*_
اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ اَذْھَبَ عَنِّی الْاَذٰی وَعَافَانِیْ
_*अललहम्दु लिल्लाहिल लजी अजहबा अन्निल अज़ा व आफानी*_
_*📝तर्जमा : - " हम्द है अल्लाह के लिए जिसने अजीयत ( तकलीफ ) की चीज मुझ से दूर कर दी और मुझे आफियत ( आराम ) दी ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 90/91*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
No comments:
Post a Comment