_*बहारे शरीअत, हिस्सा- 02 (पोस्ट न. 49)*_
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_*💫मसअला : - छत के परनाले से बारिश का पानी गिरे वह पाक है अगचे उस पर जगह - जगह नजासत पड़ी हो अगर्चे नजासत परनाले के मुँह पर हो , अगर्चे जो पानी नजासत से मिलकर गिरता हो वह आधे से कम या बराबर या ज्यादा हो जब तक नजासत से पानी के किसी हालत में तब्दीली न आये । यही सही है और इसी पर एअतिमाद है और अगर मैंह रुक गया और पानी का बहना खत्म हो गया तो अब वह ठहरा हुआ पानी और जो छत से टपके नजिस है ।*_
_*💫मसअला : - ऐसे ही नालियों से बरसात का बहता पानी पाक है जब तक नजासत का रंग , बू या मज़ा उसमें जाहिर न हो रहा उससे वुजू करना अगर उस पानी में दिखाई पड़ने वाले नजासत के जरें ऐसे बहते जा रहे हों कि जो चुल्लू लिया जायेगा उसमें एक आध जर्रा नजासत का भी जरूर होगा जब तो हाथ में लेते ही नापाक हो गया । उससे बुजू हराम है वरना जाइज है और बचना बेहतर है ।*_
_*💫मसअला : - नाली का पानी कि बारिश के बाद ठहर गया अगर उसमें नजासत के टुकड़े मालूम हो । या रंग और बू का पता चले तो नापाक वर्ना पाक है ।*_
_*💫मसअला : - दस हाथ लम्बा दस हाथ चौड़ा जो हौज़ हो उसे दह - दर - दह कहते हैं । ऐसे ही बीस हाथ लम्बा पाँच हाथ चौड़ा या पच्चीस हाथ लम्बा चार हाथ चौड़ा । गर्ज कुल लम्बाई चौडाई सौ हाथ हो तो वह दह - दर - दह है यानी उसका क्षेत्रफल सौ हाथ हो । अगर हौज गोल हो तो उसकी गोलाई लगभग साढ़े . पैतीस हाथ हो । सौ हाथ लम्बाई न हो तो छोटा हौज़ है उसके पानी को थोड़ा कहेंगे अगर्चे कितना ही गहरा हो ।*_
_*📍तम्बीह : - हौज के बड़े छोटे होने में खुद उस हौज की नाप का एअतिबार नहीं बल्कि जो उसमें पानी है उसकी ऊपरी सतह देखी जायेगी अगर हौज बड़ा है मगर अब पानी कम होकर दह - दर - दह न रहा तो वह इस हालत में बड़ा हौज़ नहीं कहा जायेगा और हौज उसी को न कहेगे जो मस्जिदों और ईदगाहों में बना लिये जाते हैं बल्कि हर वह गडढा जिसकी पैमाइश सौ हाथ हो वह बड़ा हौज है और उससे कम है तो छोटा ।*_
_*💫मसअला : - दह - दर - दह हौज में सिर्फ इतना दल यानी गहराई काफी है कि उतनी पैमाइश में जमीन कहीं से खुली न हो और यह जो बहुत किताबों में फरमाया है कि लप या चुल्लू में पानी लेने से जमीन न खुले उसकी हाजत उसके ज्यादा रहने के लिये है कि इस्तेमाल के वक़्त अगर पानी उठाने से जमीन खुल गई तो उस वक्त पानी सौ हाथ की पैमाइश में न रहा । ऐसे हौज का पानी बहते पानी के हुक्म में है नजासत पड़ने से नापाक न होगा जब तक नजासत से रंग , या बूँ या मजा न बदले और ऐसा हौज अगर्चे नजासत पड़ने से नापाक न होगा मगर जान बूझ कर उसमें नजासत डालना मना है ।*_
_*📕बहारे शरिअत हिस्सा 2, सफा 40*_
_*📍बाकी अगले पोस्ट में*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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