_*💫इस्लामी मालूमात 2 (पोस्ट न. 08)*_
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_*📝सवाल न . 42 - हजरते कतादा बिन नौमान रदियल्लाहु तआला अन्हु जंगे उहद में हुजूर - ए - अकरम के चेहरे को बचाने के लिए अपना चेहरा दुश्मनों के सामने किए हुए थे । दुश्मन का एक तीर उनकी आँख में लगने से उनकी आँख बहकर रूखसार में आ गई फिर हुजूर ने क्या किया ?*_
_*✍🏻जवाब - हुजूर - ए - अकरम ने उनकी आँख को उनके हल्के में रख दिया और दुआ फरमाई कि या अल्लाह कतादा की आँख को बचा ले जिसने तेरे रसूल के चेहरे को बचाया । मशहूर है कि उनकी वह आँख दूसरी आँख से ज्यादा रौशन हो गई ।*_
_*📝सवाल न . 43 - शबे मेराज के सफर पर हजरते जिब्रील ने किन किन चीजों से भरे हुए कितने प्याले पेश किए और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने किस चीज से भरे प्याले को कबूल फरमाया ?*_
_*✍🏻जवाब - दो प्याले - - एक शराब और दूसरा दूध से भरा हुआ था । रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने दूध से भरा प्याला कबूल फरमाया ।*_
_*📝सवाल न . 44 - वलीउलअर्द ( जिसको जमीन निगल गई ) किसका लकब है और क्यूँ ?*_
_*✍🏻जवाब - हजरते खबैब रदियल्लाह तआला अन्ह का - - कुफ्फारे मक्का ने आपको कत्ल करके सूली पर चढ़ा दिया था । हुजूर - ए अकरम को वही के जरिए इत्तेला हई तो आपने फरमाया कि जो शख्स खुबैब की लाश उतार लाएगा उसके लिए जन्नत है । यह सुनकर हजरते जुबैर बिन अवाम और हजरते मिकदाद बिन असवद रदीयल्लाह अन्हुमा छुपके वहां पहुंचे.। चालीस कफ्फार सली के पहरेदार बनकर सो रहे थे । उन्हों ने लाश को उतारा और घोड़े पर रख कर चल दिया ।*_
_*✨चालीस दिन के बाद भी लाश तरोताजा थी और जख्मो से ताजा खून टपक रहा था । सुबह को सत्तर कुफ्फारे कुरैश तेज रफ्तार घोडों पर पीछा करने के लिए चल पड़े और उन दोनों हजरात के पास पहुँच गए । उन हजरात ने जब देखा कि कुफ्फार करीब आ गए हैं और वह गिरफ्तार कर लिए जायेंगे तब उन्होंने हजरते खुबैब रदियल्लाहु अन्हु की लाश मुबारक को जमीन पर रख दिया । खुदा की शान कि जमीन फट गई और लाश मुबारक को निगल गई और जमीन फटने का निशान भी बाकी न रहा । इसलिए हजरते खुबैब को वलीउलअर्द कहते है ।*_
_*📮जारी रहेगा इन्शाअल्लाह.....*_
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