Monday, May 4, 2020



_*अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 09)*_
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                                 *﷽*

_*सवाल : - बिदअत किसे कहते हैं । और उसकी कितनी किस्में हैं।*_

 _*जवाब : - इसतिलाहे शरा ( इस्लामी बूली ) में बिदअत ऐसी चीज़ के ईजाद करने को कहते हैं जो हुज़र अलैहिस्सलाम के ज़ाहिरी ज़माना में न हो ख्वाह वह चीज़ दीनी हो या दुनियावी

 _*📔( अशिअतुल्लमआत जिल्द अव्वल सफा 125 )*_

_*और बिदअत की तीन किस्में हैं ।*_

_*(1)बिदअते हसना*_
 _*(2)बिदअते सय्येआ*_
_*(3)बिदअते मुबाहा*_

_*बिदअते हसना वह बिदअत है जो कुरान व हदीस के वसूल व कवाइद के मुताबिक़ हो और उन्हीं पर कियास किया गया हो उस की दो किस्में हैं । अव्वल बिदअतेवाजिबा जैसे कुरान व हदीस समझने के लिए इल्मे नहू का सीखना और गुमराह फ़िरके मसलन खारजी , राफ़जी , कादियानी और वहाबी वगैरा पर रद के लिए दलाइल कायम करना ।*_

_*दोम बिदअते मुसतहब्बा जैसे मदरसों की तामीर और हर वह नेक काम जिसका रवाज इबतिदाए ज़माना में नहीं था जैसे अज़ान के बाद सलात पुकारना , दुरै मुखतार बाबुल अज़ान में हैं कि अज़ान के बाद अस्सलातु वस्सल्लमु अलैक या रसूलल्लाह पुकारना , माहे रबीउल आख़र सन् 781 हिजरी में जारी हुआ और यह बिदअते हसना है ।*_


_*सवाल : - बिदअते सयएआ किसे कहते हैं । और उसकी कितनी किस्में हैं !*_

 _*जवाब : - बिदअते सय्येा वह बिदअत है जो कुरान व हदीस के उसूल व कवाइद के मुखालिफ़ हो।*_

_*📔( अशिअतुल्लम आतजिल्द अव्वल सफ़ा 125 )*_

 _*उसकी दो किस्में हैं । अव्वल बिदअते मुहर्रमा जैसे हिन्दुस्तान की मुख्वजा ताजियादारी

 _*📓( फतावा अजीजिया रिसाला ताज़ियादारी आला हज़रत )*_

 और जैसे अहलेसुन्नत व जमाअत के खिलाफ़ नए अक़ीदा वालों के मजाहिब

 _*📔( अशिअतुल्लमआत जिल्द अव्वल सफा 125 )*_

 _*दोम बिदअते मकरुहा जैसे जुमा व ईंदैन का खुतबा गैरे अरबी में पढ़ना ।*_

 _*सवाल : - बिदअते मुबाहा किसे कहते हैं ।*_

 _*जवाब : - जो चीज़ हुजूर अलैहिस्सलाम के ज़ाहिरी ज़माना में न हो और जिसके करने न करने पर सवाब व अज़ाब न हो उसे बिदअते मुबाहा कहते हैं।*_

 _*📔( अशिअ तुल्लमआत जिल्द अव्वल सफा 125 }*_

 _*जैसे खाने पीने में कुशादगी इख़तियार करना और रेल गाड़ी वगैरा में सफर करना ।*_

 _*सवाल : - हदीस शरीफ़ में है कि हर बिदअत गुमराही है तो इससे कौन सी बिदअत मुराद है ।*_

 _*जवाब : - इस हदीस शरीफ़ से सिर्फ बिदअते सय्येआ मुराद है।*_

_*📚(देखिए मिरकात शरह मिशकात जिल्द अव्वल सफा 179 और | अशिअतुल्लमलात जिल्द अव्वल सफा 125 )*_

 _*इसलिए कि अगर | बिदअत की तमाम किस्में मुराद ली जाएं जैसे कि जाहिरे हदीस से मफहूम होता है तो फिकह , इल्मे कलाम और सर्फ व नहू व वगैरा की तदवीन और उनका पढ़ना पढ़ाना सब जलालत व गुमराही हो जाएगा ।*_
_*सवाल : - क्या बिदअत का हसना और सय्येआ होना हदीस शरीफ से भी साबित है ।*_

जवाब : - हां बिदअत का हसना और सय्येआ होना हदीस से भी साबित है तिरमिज़ी शरीफ़ में है कि हज़रते उमर फारूके आज़म रज़ियल्लाहु तआला अनहू ने तरावीह की बाकायदा जमाअत काइम करने के बाद फ़रमाया कि यह बहुत अच्छी बिदअत है।*_

 _*📗( मिशकात सफा 115 )*_

_*और मुस्लिम शरीफ़ में हज़रते जरीर रज़ियल्लाहु अनहू से रिवायत है कि रसूले करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फ़रमाया कि जो इस्लाम में किसी अच्छे तरीका को राइज करेगा तो उसको अपने राइज करने का भी सवाब मिलेगा और उन लोगों के अमल करने का भी सवाब मिलेगा जो उसके बाद उस तरीका पर अमल करते रहेंगे और अमल करने वालों के सवाब में कोई कमी भी न होगी*_
                       _*और जो शख्स मज़हबे इस्लाम में किसी बुरे तरीका को राइज करेगा तो उस शख्स पर उस के राइज करने का भी गुनाह होगा और उन लोगों के अमल करने का भी गुनाह होगा जो उसके बाद उस तरीका पर अमल करते रहेंगे और अमल करने वालों के गुनाह में कोई कमी भी न होगी।*_

 _*📗( मिशकात सफा 33 )*_

_*सवाल : - क्या मीलाद शरीफ़ की महफ़िल मुनअक़िद करना बिदअते सय्येआ है ।*_

 _*जवाब : - मीलाद शरीफ़ की महफ़िल मुनअक़िद करना उस में हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम की पैदाइश के हालात और दीगर फ़जाइल व मनाकिब बयान करना बरकत का बाइस है । उसे बिदअते सय्येआ कहना गुमराही व बदमज़हबी है ।*_

_*सवाल : - क्या हुजूर अलैहिस्सलाम के ज़माने में मय्यत का तीजा होता था ।*_

 _*जवाब : - मय्यत का तीजा और इसी तरह दसवां , बीसवां और चालीसवां वगैरह हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम के ज़ाहिरी जमाना में नहीं होता था बल्कि यह सब बाद की ईजाद हैं और  बिदअते हसना हैं इसलिए कि इनमें मय्यत के ईसाले सवाब के लिए कुरान ख्वानी होती है । सदक़ा खैरात किया जाता है और गुरबा व मसाकीन को खाना खिलाया जाता है और यह सब सवाब के काम हैं । हां इस मौक़ा पर दोस्त व अहबाब और अज़ीज़ व अकारीब की दावत करना ज़रूर बिदअते सय्येआ है।*_

 _*📚( शामी जिल्द अव्वल सफा स. 629 फ़तहुल क़दीर जिल्द दोम सफा 102 )*_


_*📗अनवारे शरिअत, सफा 21/22/23/24*_

_*🖋️तालिबे दुआँ:- क़मर रज़ा ह़नफ़ी*_

_*📮जारी रहेगा.....*_
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