Monday, May 4, 2020



    _*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 45)*_
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                                 *﷽*

_*💫सजदए तिलावत का बयान*_

_*❓सवाल : - सजदए तिलावत किसे कहते हैं ।*_

_*✍🏻जवाब : - कुरआन में चौदा मुक़ामात ( जगह ) ऐसे हैं कि जिन के पढ़ने या सुनने से सजदा करना वाजिब होता है उसे सजदए तिलावत कहते हैं ।*_

_*❓सवाल : - सजदए तिलावत का तरीका है ।*_

_*✍🏻जवाब : - सजदए तिलावत का मसनून तरीका यह है की खड़ा होकर अल्लाहु अकबर कहता हुआ सजदा में जाए और कम से कम तीन बार सुबहान रब्बियल अअ़ला कहे फिर अल्लाहु अकबर कहता हुआ खड़ा हो जाए बस ।नसमें अल्लाहु अकबर कहते हुए न हाथ उठाना है और न इसमें तशहहुद है और न सलाम ।*_

 _*❓सवाल : - अगर बैठकर सजदा किया तो सजदा अदा होगा या नहीं ।*_

 _*✍🏻जवाब : - अदा हो जाएगा मगर मसनून यही है कि खड़ा हो कर सजदा में जाए और सजदा के बाद फिर खड़ा हो ।*_

 _*❓सवाल : - सजदए तिलावत के शाराइत क्या हैं ।*_
 
_*✍🏻जवाब : - सजदए तिलावत के लिए तहरीमा के अलावा वह तमाम शर्तें हैं जो नमाज़ के लिए हैं मसलन ( जैसे ) तहारत , सत्रे औरत , इसतिकबाले किबला और नीयत वगैरा ।*_

 _*❓सवाल : - सजदए तिलावत की नीयत किस तरह की जाती है ।*_

_*✍🏻जवाब : - नीयत की मैंने सजदए तिलावत की अल्लाह तआला के वास्ते मुंह मेरा तरफ़ काबा शरीफ़ के अल्लाहु अकबर ।*_

 _*❓सवाल : - उर्दू जुबाना में आयते सदजा का तर्जुमा पढ़ा तो सजदा वाजिब होगा या नहीं ।*_

 _*✍🏻जवाब : - उर्दू जुबान या किसी जुबान में आयते सजदा का तर्जुमा पढ़ने और सुनने से भी सजदा वाजिब होता है ।*_

 _*❓सवाल : - क्या आयते सजदा पढ़ने के बाद फ़ौरन सजदा करना  वाजिब होता है ।*_

_*✍🏻जवाब : - अगर आयते सजदा नमाज़ के बाहर पढ़ी है तो फौरन सजदा कर लेना वाजिब नहीं हां बेहतर है कि फौरन कर ले और वजू हो तो ताखीर मकरूह तनजीही है ।*_

 _*❓सवाल : - अगर नमाज़ में आयते सजदा पढ़ी तो क्या हुक्म है ।*_

_*जवाब : - अगर नमाज़ में आयते सजदा पढ़ी तो फौरन सजदा कर लेना वाजिब है । तीन आयत से ज्यादा की ताखीर करेगा तो गुनाहगार होगा । और अगर फौरन नमाज़ का सजदा कर लिया यानी आयते सजदा के बाद तीन आयत से ज्यादा न पढ़ा और रुकू करके सजदा कर लिया तो अगरचे सजदए तिलावत की नीयत न हो सजदा अदा हो जाएगा ।*_

_*📕( बहारे शरीअत )*_ 

_*❓सवाल : - एक मज्लिस में सजदा की एक आयत को कई बार पढ़ा तो एक सजदा वाजिब होगा या कई सजदा ।*_

 _*✍🏻जवाब : - एक मज्लिस में सजदा की एक आयत को कई बार - बार पढ़ने या सुनने से एक ही सजदा वाजिब होता है ।*_

 _*❓सवाल : - मज्लिस में आयत पढ़ी या सुनी और सजदा कर लिया फिर उसी मज्लिस  में वही आयत पढ़ी या सुनी तो दूसरा सजदा वाजिब होगा या नहीं ।*_

 _*✍🏻जवाब : - दूसरा सजदा नहीं वाजिब होगा वही पहला सजदा काफ़ी है ।*_ 

_*❓सवाल : - मज्लिस बदलने और न बदलने की सूरतें क्या हैं ?*_

_*जवाब - दो एक लुकमा खाना , दो एक घूंट पीना , खड़ा हो जाना , दो एक कदम चलना , सलाम का जवाब देना , दो एक बात करना , और मस्जिद या मकान के एक गोशा से दूसरे गोशा की तरफ चलना इन तमाम सूरतों में मज्लिस न बदलेगी । हां अगर मकान बड़ा है जैसे शाही महल तो ऐसे मकान में एक गोशा से दूसरे में जाने से बदल जाएगी , और तीन लुकमा खाना , तीन घूंट पीना , तीन कलिमे बोलना , तीन क़दम मैदान में चलना और निकाह या खरीदो फरोख्त करना इन तमाम सूरतों में मज्लिस बदल जाएगी ।*_



_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 92/93/94*_

_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
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