_*अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 17)*_
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*﷽*
_*हैज़ , निफ़ास और जनाबत का बयान*_
_*❓सवाल : - हैज़ और निफ़ास किसे कहते हैं ।*_
_*🌟जवाब : - बालिगा औरत के आगे के मक़ाम से जो खून आदी तौर पर निकलता है और बीमारी या बच्चा पैदा होने के सबब से न हो तो उसे हैज़ कहते हैं , उसकी मुद्दत कम से कम तीन दिन और ज्यादा से ज्यादा दस दिन है , इससे कम या ज्यादा हो तो बीमारी यानी इसतिहाज़ा है , और बच्चा पैदा होने के बाद जो खून आता है उसे निफ़ास कहते हैं , निफ़ास में कमी की जानिब कोई मुद्दत मुकर्रर नहीं और ज्यादा से ज़्यादा उसका ज़माना चालीस दिन है चालीस दिन के बाद जो खून आए वह इसतिहाज़ा है ।*_
_*❓सवाल : - हैज़ व निफ़ास का हुक्म क्या है ?*_
_*🌟जवाब : - हैज़ व निफ़ास की हालत में रोज़ा रखना और नमाज़ पढ़ना हराम है उन दिनों में नमाजें मुआफ़ हैं उनकी कज़ा भी नहीं मगर रोज़ों की कज़ा और दिनों में रखना फ़र्ज़ है और हैज़ व निफ़ास वाली औरत को कुरआन मजीद पढ़ना हराम है ख्वाह देख कर पढ़े या जुबानी और उसका छूना अगरचे उसकी जिल्द | या हाशिया को हाथ या उंगली की नोक या बदन का कोई हिस्सा लगे सब हराम है । हां जुजदान में कुरआन मजीद हो तो उस | जुज़दान के छूने में हर्ज नहीं I*_
_*❓सवाल : - जिसे इहतिलाम हुआ और ऐसे मर्द व औरत कि जिन पर गुस्ल फ़र्ज़ है उनके लिए क्या हुक्म है ।*_
_*🌟जवाब : - ऐसे लोगों को गुस्ल किए बगैर नमाज़ पढ़ना , कुरआन मजीद देख कर या जुबानी पढ़ना उसका छूना और मस्जिद में जाना हराम है ।*_
_*❓सवाल : - क्या जिस पर गुस्ल फ़र्ज़ हो वह मस्जिद में नहीं जा सकता ।*_
_*🌟जवाब : - जिस पर गुस्ल फर्ज हो उसे मस्जिद के उस हिस्सा में जाना हराम है कि जो दाखिले मस्जिद है यानी नमाज़ के लिए बनाया गया है और वह हिस्सा कि जो फनाए मस्जिद है यानी इसतिंजा खाना , गुस्ल खाना और वजू गाह वगैरा तो उस जगह जाने में कोई हर्ज नहीं बशर्ते कि उनमें जाने का रास्ता दाखिले मस्जिद से होकर न गुज़रता हो ।*_
_*❓सवाल : - ऐसे मर्द व औरत कि जिन पर गुस्ल फ़र्ज़ है वह कुरआन की तालीम दे सकते हैं या नहीं ।*_
_*🌟जवाब : - ऐसे लोग एक एक कलिमह सांस तोड़ तोड़ कर पढ़ा सकते हैं और हिज्जे कराने में कोई हर्ज नहीं ।*_
_*❓सवाल : - बे वजू कुरआन शरीफ़ छूना व पढ़ना जाइज़ है या नहीं ।*_
_*🌟जवाब : - बे वजू कुरआन शरीफ छूना हराम है बेगैर छुए जुबानी या देखकर पढ़े तो कोई हर्ज नहीं ।*_
_*❓सवाल : - बे वजू पारये अम्म या किसी दूसरे पारह का छूना कैसा ।*_
_*🌟जवाब : - बे वजू पारये अम्म या किसी दूसरे पारह का छूना भी हराम है ।*_
_*📗अनवारे शरिअत, सफा 40/41/42*_
_*🖋️तालिबे दुआँ-ए- मग़फिरत एडमिन*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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