Monday, May 4, 2020


    _*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 32)*_
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                                 *﷽*

 _*जमाअत और इमामत का बयान*_

 _*❓सवाल : - जमाअत फ़र्ज़ है या वाजिब ।*_

 _*✍🏻जवाब : - जमाअत वाजिब है , जमाअत के साथ एक नमाज़ पढ़ने से सत्ताइस ( 27 ) नमाज़ों का सवाब मिलता है । बगैर उज्र एक बार भी छोड़ने वाला गुनाहगार और छोड़ने की आदत कर लेने वाला फ़ासिक है ।*_

_*❓सवाल : - जमाअत छोड़ने के उज्र क्या क्या हैं ।*_

_*✍🏻जवाब : - अंधा या अपाहिज होना , इतना बूढ़ा या बीमार होना कि मस्जिद तक जाने से मजबूर हो , सख्त बारिश या शदीद कीचड़ का हाइल होना , आधी या सख्त अंधेरी या सख्त सर्दी का होना और पाखाना व पेशाब की सख्त हाजत ( ज़रूरत ) होना वगैरा ।*_

 _*❓सवाल : - इमामत का सब से ज्यादा हक़दार कौन है ।*_

 _*✍🏻जवाब : - इमामत का सबसे ज़्यादा हक़दार वह शख्स है जो नमाज़ व तहारत के अहकाम सब से ज़्यादा जानता हो । फिर वह शख्स जो तजवीद यानी किराअत की जानकारी ज़्यादा रखता हो । अगर कई शख़्स इन बातों में बराबर हो तो वह शख़्स ज़्यादा हक़दार है जो ज़्यादा मुत्तकी हो अगर इस में भी बराबर हों तो ज़्यादा उम्र वाला फिर जिस के अखलाक़ ज्यादा अच्छे हों फिर ज़्यादा तहज्जुद गुज़ार । गरजे कि चन्द आदमी बराबर हो तो उन में जो शरी तरजीह रखता हो वही ज़्यादा हकदार है ।*_

 _*❓सवाल : - किन लोगों को इमाम बनाना गुनाह है ।*_

 _*✍🏻जवाब : - फ़ासिके मोलिन जैसे शराबी , जुआरी , ज़िनाकार , सूदखोर , चुगलखोर और दाढ़ी मुंडाने वाला या कटा कर एक मुश्त ( मुट्ठी ) से कम रखने वाला और वह बद मज़हब कि जिस की बद मज़हबी हद्दे कुफ्र को न पहुंची हो । उन लोगों को इमाम बनाना गुनाह है । और उनके पीछे नमाज़ मकरूह तहरीमी वाजिबुल इआदा है ।*_

_*❓सवाल : - वहाबी देवबन्दी के पीछे नमाज़ पढ़ना कैसा है ।*_

 _*✍🏻जवाब : - वहाबी देवबन्दी के अक़ीदे कुफ्री हैं मस्लन उन लोगों का अकीदा यह है कि जैसा इल्म हुज़र सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को हासिल है ऐसा इल्म तो बच्चों , पागलों और जानवरों को भी हासिल है जैसा कि उनके पेशवा मोलवी अशरफ़ अली थानवी ने अपनी किताब हिफ्ज़ल ईमान में सफहा न , 8 पर हुज़र अलैहिस्सातु वस्सलाम के लिए कुल इलमे गैब का इन्कार करते हुए सिर्फ बाज़ इलमे गैब के बारे में यूं लिखा है कि “ इस में हुज़ूर की क्या तखसी है ऐसा इल्म तो जैद व उमर बल्कि हर सबी ( बच्चा ) मजनून बल्कि जमीअ़ हैवानात व बहायम के लिए भी हासिल है " मआज़ अल्लाहि रब्बिल आलमीन ।*_

_*👉🏻इसी तरह उनके पेशवाओं की किताबों में बहुत से कुफ्री अक़ीदे हैं जिन्हें वह हक़ मानते हैं इसलिए उनके पीछे नमाज़ पढ़ना नाजायज़ व गुनाह है अगर किसी ने ग़लती से पढ़ ली हो तो फिर से पढ़े अगर दोबारा नहीं पढ़ेगा तो गुनाहगार होगा ।*_

 _*📕( बहारे शरीअत )*_

_*❓सवाल : - किन लोगों को इमाम बनाना मकरूह है ।*_

_*✍🏻जवाब : - गंवार , अंधे , वलदुजिना , अमरद , कोढ़ी , फ़ालिज की बीमारी वाले , बर्स ( कोढ़ ) वाला जिस का बर्स ज़ाहिर हो । इन सबको इमाम बनाना मकरूह तनजीही है और कराहत उस वक़्त है जबकि जमाअत में और कोई उनसे बेहतर हो और अगर वही मुस्तहिक्के इमामत है तो कराहत नहीं । और अंधे की इमामत में तो खफ़ीफ़ कराहत है ।

 _*📕( बहारे शरीअत )*_


_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 68/69/70*_

_*🤲🏻तालिबे दुआ-ए- मग़फिरत एडमिन*_

_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
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