Monday, May 4, 2020


    _*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 33)*_
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                                 *﷽*

_*🕌नमाज़ फ़ासिद करने वाली चीजें*_

_*❓सवाल : - किन चीज़ों से नमाज़ फ़ासिद हो जाती है ।*_

_*📝जवाब : - कलाम करने से ख़्वाह अमदन ( जानबूझकर ) हो या ग़लती या भूल कर । अपनी खुशी से बात करे या किसी के मजबूर करने पर बहर सूरत नमाज़ जाती रहेगी । ज़बान से किसी को सलाम करे जान कर या भूल कर नमाज़ फ़ासिद हो जाएगी इसी तरह जुबान से सलाम का जवाब देना भी नमाज़ को फ़ासिद कर देता है । किसी की छींक के जवाब में “ यरहमुकल्लाह " कहा या खुशी की खबर सुन कर जवाब में “ अलहम्दुलिल्लाह " कहा या तअज्जुब में डालने वाली खबर सुन कर जवाब में " सुबहानल्लाह " कहा या बुरी खबर सुन कर जवाब में “ इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिअून " कहा तो इन तमा मशक्लों में नमाज़ जाती रहेगी । लेकिन अगर खुद उसी को छींक आई तो हुक्म है कि चुप रहे और अगर “ अलहम्दुलिल्लाह " कह लिया तो भी नमाज़ में हरज नहीं । नमाज़ पढ़ने वाले ने अपने इमाम के अलावा दूसरे को लुक्मा दिया ( याद दिलाया ) तो नमाज़ फ़ासिद हो गई ।*_

 _*👉🏻इसी तरह अपने मुक़तदी के अलावा दूसरे का लुक्मा लेना भी नमाज़ को फ़ासिद कर देता है । और गलत लुक्मा देने से लुक्मा देने वाले की नमाज़ जाती रहती है । " अल्लाहु अकबर " की अलिफ़ को खेंच कर “ आललाहु अकबर "  या आकबर या अकबार कहना नमाज़ को फ़ासिद कर देता है इसी तरह “ अल्लाहु अकबर " की ' र ' को ' द ' पढ़ने से नमाज़ फ़ासिद हो जाती है  और " नस्तीन " को " नस्तासीन " पढ़ने से नमाज़ जाती रहती है । और अनअम्त की त को ज़बर के बजाय ज़ेर या पेश पढ़ने से नमाज़ फ़ासिद हो जाती है । आह , ओह , उफ़ तुफ़ दर्द या मुसीबत की वजह से कहे या आवाज़ के साथ रोए और हुरूफ़ ( अक्षर ) पैदा हुए तो इन सब सूरतों में नमाज़ जाती रहेगी । लेकिन अगर मरीज की जुबान से बे इखतियार “ आह ” या “ ओह " निकले तो नमाज़ फ़ासिद न हुई इसी तरह छींक , खांसी , जमाही , और डेकार में जितने हुरूफ़ मजबूरन निकलते हैं मुआफ़ हैं । दातों के अन्दर खाने की कोई चीज़ रह गई थी उस को निगल गया अगर चने से कम है तो नमाज़ मकरूह हुई और चने के बराबर है तो फ़ासिद हो गई । औरत नमाज़ पढ़ रही थी बच्चा ने उसकी छाती चूसी अगर दूध निकल आया तो नमाज़ जाती रही । नमाज़ी के आगे से गुज़रना नमाज़ को फ़ासिद नहीं करता ख्वाह गुज़रने वाला मर्द हो या औरत मगर गुज़रने वाला सख्त गुनाहगार होता है । हदीस शरीफ़ में है कि नमाज़ी के आगे से गुजरने वाला अगर जानता कि इस पर क्या गुनाह है तो ज़मीन में धंस जाने को गुज़रने से अच्छा जानता ।*_


_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 70/71/72*_

_*🤲🏻तालिबे दुआ-ए- मग़फिरत एडमिन*_

_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
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