_*अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 23)*_
―――――――――――――――――――――
*﷽*
_*तादादे रक्आत और नीयत का बयान*_
_*❓सवाल : - अगर नीयत के अलफ़ाज़ भूल कर कुछ के कुछ जुबान से निकल गए तो नमाज़ होगी या नहीं ।*_
_*🌟जवाब : - नीयत दिल के पक्के इरादा को कहते हैं यानी नीयत में जुबान का एतबार नहीं तो अगर दिल में मसलन ज़ुहर का इरादा किया और ज़बान से लफ्जे अस्र निकल गया तो जुहर की नमाज़ हो जाएगी ।*_
_*❓सवाल : - कज़ा नमाज़ की नीयत किस तरह करनी चाहिए ।*_
_*🌟जवाब : - जिस रोज़ और जिस वक़्त की नमाज़ कजा हो उस रोज़ और उस वक़्त की नीयत क़जा में ज़रूरी है मसलन अगर जुमा के रोज़ फज्र की नमाज़ कज़ा हो गई तो इस तरह नीयत करे कि नीयत की मैंने दो ( 2 ) रकअत नमाजे कज़ा जुमा के फ़ज़्र फ़र्ज़ की अल्लाह तआला के लिए मुह मेरा तरफ़ काबा शरीफ़ के अल्लाहु अकबर ।*_
_*❓सवाल : - अगर कई साल की नमाजें क़ज़ा हों तो नीयत कैसे करे ।*_
_*🌟जवाब : - ऐसी सूरत में जो नमाज़ मसलन ज़ुहर की क़ज़ा पढ़नी है तो इस तरह नीयत करे नीयत की मैंने चार ( 4 ) रक्अत नमाज़ क़ज़ा जो मेरे ज़िम्मे बाकी है उनमें से पहले ज़ूहर फ़र्ज़ की अल्लाह तआला के लिए मुंह मेरा तरफ़ काबा शरीफ के अल्लाहु अकबर । इसी पर दूसरी क़ज़ा नमाज़ों की नीयतों को कियास करना चाहिए ।*_
_*❓सवाल : - पांच वक़्त की नमाज़ों में कुल कितनी रक्अत कजा पढ़ी जाएगी ।*_
_*🌟जवाब : - बीस ( 20 ) रक्अत*_
_*दो ( 2 ) रक्अत फ़ज़ू*_
_*चार ( 4 ) रक्अत ज़ुहर*_
_*चार ( 4 ) रक्अत अस्र*_
_*तीन ( 3 ) रक्अत मगरिब*_
_*चार ( 4 ) रक्अत इशा और*_
_*तीन ( 3 ) रक्अत वित्र*_
_*📍खुलासा यह कि फ़र्ज़ और वित्र की कज़ा है सुन्नत नमाज़ों की कज़ा नहीं।*_
_*📗अनवारे शरिअत, सफा 53/54*_
_*🖋️तालिबे दुआँ-ए- मग़फिरत एडमिन*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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*﷽*
_*तादादे रक्आत और नीयत का बयान*_
_*❓सवाल : - अगर नीयत के अलफ़ाज़ भूल कर कुछ के कुछ जुबान से निकल गए तो नमाज़ होगी या नहीं ।*_
_*🌟जवाब : - नीयत दिल के पक्के इरादा को कहते हैं यानी नीयत में जुबान का एतबार नहीं तो अगर दिल में मसलन ज़ुहर का इरादा किया और ज़बान से लफ्जे अस्र निकल गया तो जुहर की नमाज़ हो जाएगी ।*_
_*❓सवाल : - कज़ा नमाज़ की नीयत किस तरह करनी चाहिए ।*_
_*🌟जवाब : - जिस रोज़ और जिस वक़्त की नमाज़ कजा हो उस रोज़ और उस वक़्त की नीयत क़जा में ज़रूरी है मसलन अगर जुमा के रोज़ फज्र की नमाज़ कज़ा हो गई तो इस तरह नीयत करे कि नीयत की मैंने दो ( 2 ) रकअत नमाजे कज़ा जुमा के फ़ज़्र फ़र्ज़ की अल्लाह तआला के लिए मुह मेरा तरफ़ काबा शरीफ़ के अल्लाहु अकबर ।*_
_*❓सवाल : - अगर कई साल की नमाजें क़ज़ा हों तो नीयत कैसे करे ।*_
_*🌟जवाब : - ऐसी सूरत में जो नमाज़ मसलन ज़ुहर की क़ज़ा पढ़नी है तो इस तरह नीयत करे नीयत की मैंने चार ( 4 ) रक्अत नमाज़ क़ज़ा जो मेरे ज़िम्मे बाकी है उनमें से पहले ज़ूहर फ़र्ज़ की अल्लाह तआला के लिए मुंह मेरा तरफ़ काबा शरीफ के अल्लाहु अकबर । इसी पर दूसरी क़ज़ा नमाज़ों की नीयतों को कियास करना चाहिए ।*_
_*❓सवाल : - पांच वक़्त की नमाज़ों में कुल कितनी रक्अत कजा पढ़ी जाएगी ।*_
_*🌟जवाब : - बीस ( 20 ) रक्अत*_
_*दो ( 2 ) रक्अत फ़ज़ू*_
_*चार ( 4 ) रक्अत ज़ुहर*_
_*चार ( 4 ) रक्अत अस्र*_
_*तीन ( 3 ) रक्अत मगरिब*_
_*चार ( 4 ) रक्अत इशा और*_
_*तीन ( 3 ) रक्अत वित्र*_
_*📍खुलासा यह कि फ़र्ज़ और वित्र की कज़ा है सुन्नत नमाज़ों की कज़ा नहीं।*_
_*📗अनवारे शरिअत, सफा 53/54*_
_*🖋️तालिबे दुआँ-ए- मग़फिरत एडमिन*_
_*📮जारी रहेगा.....*_
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