_*📜अनवारे शरिअत (पोस्ट न. 29)*_
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*﷽*
_*🕌-नमाज़ के वाजिबात-*_
_*❓सवाल : - नमाज़ में जो चीजें वाजिब हैं उन्हें बताइए*_
_*✍🏻जवाब : - नमाज़ में यह चीजें वाजिब हैं । तकबीरे तहरीमा में लफ़्ज़े अल्लाहु अकबर होना , अलहम्दु पढ़ना , फ़र्ज़ की दो पहली रक्अतों में और सुन्नत , नफ़्ल और वित्र की हर रक्अत में अलहम्दु के साथ सूरत या तीन छोटी आयत मिलाना , फ़र्ज़ नमाज़ में दो पहली रक्अतों में किराअत करना , अलहम्दु का सूरत से पहले होना । हर रक्अत में सूरत से पहले एक ही बार अलहम्दु पढ़ना , अलहम्दु व सूरत के दरमियान किसी अजनबी का फ़ासिल न होना , किराअत के बाद मुत्तसिलन ( फ़ौरन ) रुकु करना , सजदा में दोनों पांव की तीन तीन उंगलियों का पेट ज़मीन पर लगना दोनों सजदा के दरमियान कोई रुक्न फ़ासिल न होना , तादील अरकान , कौमा यानी रुकु से सीधा खड़ा होना , जलसा यानी दोनों सजदों के दरमियान सीधा बैठना*_
_*कादयेऊला में तशहहुद के बाद कुछ न पढ़ना , हर क़ादा में पूरा तशहहुद पढ़ना , लफ़्ज़े अस्सलाम दो बार कहना , वित्र में दुआये कुनूत पढ़ना । तकबीरे कुनूत , ईदैन की छओं तकबीरें , ईदैन में दूसरी रक्अत की तकबीरे रुकु और उस तकबीर के लिए लफ्जे अल्लाहु अकबर होना , हर जहरी नमाज़ में इमाम को जहर से क़िराअत करना और गैरे जहरी में आहिस्ता , हर वाजिब और फ़र्ज़ का उसकी जगह पर होना , रुकु का हर रक्अत में एक ही बार होना और सूजूद का दो ही बार होना , दूसरी से पहले कादा न करना और चार रक्अत वाली में तीसरी पर कादा न होना , आयते सजदा पढ़ी तो सजदये तिलावत करना और सहव हो तो सजदये सह व करना दो फर्ज़ या दो वाजिब या वाजिब फ़र्ज़ के दरमियान तीन तस्बीह की मिकदार वक्फ़ा न होना , इमाम जब किराअत करे बुलन्द आवाज़ से ख्वाह आहिस्ता उस वक़्त मुक़तदी का चुप रहना और सिवाये किराअत के तमाम वाजिबात में इमाम की पैरवी करना ।*_
_*📕 अनवारे शरिअत, सफा 63/64*_
_*🤲🏻तालिबे दुआ-ए- मग़फिरत एडमिन*_
_*📮जारी रहेगा इंशाअल्लाह.....*_
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