Sunday, August 26, 2018



    _*हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम हिस्सा- 2*_
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_*ये आतिशे नमरूद क़रियये कोस में धधकाई गई, ये पत्थर की चार दिवारी 90 फिट लंबी 60 फिट चौड़ी और 45 फिट ऊंची थी जिसमे एक महीने तक लकड़ियां जमा की गयी*_

_*📕 खज़ाएनुल इर्फान,पारा 17, रुकू 5*_

_*आग को 7 दिन तक दहकाया गया*_

_*📕 तफसीरे सावी,जिल्द 3,सफह 96*_

_*इस आग की बुलन्दी इतनी थी कि इसके शोले अहले शाम को दिखाई देते थे और इसकी आवाज़ 3 दिन की मुसाफत से सुनाई देती थी इसके ऊपर से भी कोई परिंदा उड़कर जा नहीं सकता था*_

_*📕 माअरेजुन नुबूवत,जिल्द 1, सफह 98*_

_*जब आग इस कदर भड़क गयी तो अब किसी को उसके पास जाने की हिम्मत ना होती थी तब इब्लीस लईन ने मुंजनीक़ बनाने का मशवरा दिया जिसे हैज़न नामी शख्स अमल में लाया, अल्लाह ने उसको ज़मीन में धंसा दिया और ये क़यामत तक धंसता ही रहेगा*_

_*📕 तफसीरे जमल,जिल्द 3,सफह 163*_

_*जिस वक़्त आपको आग में डाला गया तो हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम जन्नत से एक कमीज़ लाये और आपको पहनाया*_

_*📕 खज़ाएनुल इर्फान,पारा 12, रुकू 12*_

_*जब आप आग की तरफ जा रहे थे तो हवा और पानी का फरिश्ता हाज़िर हुआ आपसे कहा कि आप कहें तो हम ये आग बुझा सकते हैं आपने उनसे मदद लेने का इंकार किया फिर आपके पास जिब्रील अलैहिस्सलाम आये और कहा कि किसी मदद की ज़रूरत हो तो कहिये इस पर भी आपने कहा कि मुझे रब के सिवा किसी की मदद की ज़रूरत नहीं फिर अर्ज़ किया कि आप कहें तो आपकी बात रब तक पहुंचा दूं तो आपने फरमाया कि वो मेरे कहे बग़ैर भी मेरी सुनता है तो जिब्रील अलैहिस्सलाम वहां से चले गए*_

_*📕 तज़किरातुल अम्बिया,सफह 90*_

_*एक मर्तबा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम से पूछा कि ऐ जिब्रील क्या तुम्हे कभी ज़मीन पर आने के लिए मशक़्क़त भी उठानी पड़ी है इस पर वो फरमाते हैं कि या रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम बेशक 4 मर्तबा मुझे ज़मीन पर आने के लिए बहुत जल्दी करनी पड़ी है*_

_*1. पहला जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को आग में डाला जा रहा था तो मौला का हुक्म हुआ कि ऐ जिब्रील मेरे खलील के आग में पहुंचने से पहले तुम उनके पास पहुंचे तो मैंने सिदरह छोड़ा और इससे पहले कि वो आग तक पहुंचते मैं पहुंच गया*_

_*2. दूसरा जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने हज़रत इस्माईल के गले पर छुरी चलाने का कसद किया तो मौला ने फरमाया कि ऐ जिब्रील इससे पहले कि इस्माईल के गले पर छुरी चले फौरन जन्नत से एक दुम्बा लेकर इस्माईल के लिए फिदिया बनाओ तो मैं सिदरह से जन्नत गया वहां से दुम्बा लिया फिर ज़मीन पर आकर इस्माईल को हटाकर वो दुम्बा लिटा दिया और वो ज़बह हो गया*_

_*3. तीसरा जब हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम को उनके भाइयों ने कुंअे में फेंक दिया और वो पानी की तरफ बढ़ रहे थे तो मौला ने मुझे हुक्म दिया तो इससे पहले कि वो पानी तक पहुंचते मैं एक तख्त लेकर पहुंच गया और उनको बा आसानी उस पर बिठाया*_

_*4. चौथा जब आपका दनदाने मुबारक शहीद हुआ और खून की बूंदें ज़मीन की तरफ बढ़ रही थी तो मुझे हुक्म मिला कि आपका खून ज़मीन पर गिरने से पहले अपने हाथों में ले लूं तो मैं सिदरह से ज़मीन पर आया हालांकि आपका खून जिस्म से जुदा होकर ज़मीन की तरफ बढ़ रहा था  मगर उसके ज़मीन तक पहुंचने से पहले मैं पहुंचा और उसको अपने हाथों में ले लिया*_

_*📕 तफसीर रूहुल बयान,जिल्द 3, सफह 411*_

_*सिदरतुल मुंतहा ज़मीन से 50000 साल की दूरी पर है, सोचिये कि 50000 साल की दूरी आन की आन में तय कर रहे हैं और ये ताक़त मेरे आक़ा के एक ग़ुलाम की है तो अंदाजा लगाइये कि जब एक ग़ुलाम की ताक़त का ये हाल है तो नबियों के नबी जनाब सय्यदुल अम्बिया सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की ताक़त का क्या हाल होगा*_

_*📕 अलमलफूज़,जिल्द 4, सफह 7*_

_*जब आप आग में गए तो मेंढ़क हाज़िर हुआ और अपने आशिक़े रसूल होने की गवाही इस तरह दी कि अपने मुंह में पानी भरकर लाता और आग में डालकर उसे बुझाने की कोशिश करता, हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने इसे मारने के लिए मना फरमाया है, अगर ख्वाब में मेंढ़क देखे तो ये इबादते इलाही में मसरूफ होने की दलील है और अगर बहुत ज़्यादा मेंढ़क देखे तो ये] किसी आने वाली मुसीबत की निशान देही है सदक़ा करे*_

_*📕 हयातुल हैवान,जिल्द 2, सफह 68--86*_

_*वहीं छिपकली या गिरगिट वो बदतरीन जानवर है जो नबी अलैहिस्सलाम की आग में फूंक मारकर उसे भड़काने की कोशिश कर रही थी, हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने इसे फासिक कहा है और मुस्लिम शरीफ की रिवायत है कि उसे पहली ही ज़र्ब में मारने पर 100 नेकी और दूसरे में उससे कम फिर उससे कम*_

_*📕 खाज़िन,जिल्द 4,सफह 244*_
_*📕 मुस्लिम,जिल्द 2,सफह 358*_

_*जब आप आग में पहुंचे तो रब ने आग से फरमाया कि "ऐ आग ठंडी और सलामती वाली हो जा इब्राहीम पर" तो उस वक़्त ज़मीन पर जितनी भी आग थी सब के सब ठंडी हो गयी और उलेमा फरमाते हैं कि अगर मौला सलामती का लफ्ज़ ना फरमाता तो आग इतनी ठंडी हो जाती कि उसकी ठंडक इंसान को नुकसान पहुंचा देती*_

_*📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 1,सफह 10*_

_*सबसे पहले आप पर ईमान लाने वाले हज़रत लूत अलैहिस्सलाम हैं जबकि आप आग से बाहर आये*_

_*📕 जलालैन,हाशिया 8,सफह 337*_

_*आपको 80 साल की उम्र में खतना करने का हुक्म दिया गया जिसे आपने अपने हाथों से अंजाम दिया*_

_*📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1,सफह 810*_

_*जिस वक़्त हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम पैदा हुए उस वक़्त आपकी उम्र 106 साल की थी और जब हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम पैदा हुए तब आपकी उम्र 120 साल थी, यानि हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम से 14 साल बड़े हैं*_

_*📕 अलइतक़ान,जिल्द 2,सफह 176*_

_*आपकी कितनी औलाद है इसमें काफी इख्तेलाफ है, जलालैन में है कि आपके 4 बेटे थे इस्माईल-इस्हाक़-मदयन और मदायन, अलइतक़ान में अल्लाम जलाल उद्दीन सुयूती ने 12 लिखे इस्माईल-इस्हाक़-मान-ज़मरान-सराह-नफ्श-नफ्शान-अमीम-कीसान-सूरा-लूतान-नाफिश, तफसीरे नईमी में 8 का ज़िक्र है इस्माईल-इस्हाक़-मदयन-मदायन-ज़मरान-बक़्शान-यशबक़-नूह*_

_*📕 जलालैन,जिल्द 1,सफह 328*_
_*📕 अलइतक़ान,जिल्द 2,सफह 185*_
_*📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1, सफह 870*_

_*जारी रहेगा......*_
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