_*हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम हिस्सा- 3*_
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_*नसारा का एक फिरका है जिसका नाम सायबा है उसी क़बीले के बादशाहों का लक़ब नमरूद है, अब तक 6 ऐसे बादशाह गुज़रे हैं जिनका लक़ब नमरूद हुआ*_
_*1. नमरूद बिन कुंआन बिन हाम बिन नूह,यही हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के ज़माने का नमरूद है*_
_*2. नमरूद बिन कोश बिन कुंआन*_
_*3. नमरूद बिन संजार बिन ग़रूर बिन कोश बिन कुंआन*_
_*4. नमरूद बिन माश बिन कुंआन*_
_*5. नमरूद बिन सारोग़ बिन अरगू बिन मालिख*_
_*6. नमरूद बिन कुंआन बिन मसास बिन नुक़्ता*_
_*📕 उम्दतुल क़ारी,जिल्द 1,सफह 93*_
_*📕 हयातुल हैवान,जिल्द 1, सफह 98*_
_*अब तक 4 ऐसे बादशाह गुज़रे हैं जिन्होंने पूरी दुनिया पर हुक़ूमत की है 2 मोमिन हज़रत सिकंदर ज़ुलक़रनैन और हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम और 2 काफिर नमरूद और बख्ते नस्र, और अनक़रीब पांचवे बादशाह हज़रत इमाम मेंहदी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु होंगे जो पूरी दुनिया पर हुक़ूमत करेंगे*_
_*📕 अलइतक़ान,जिल्द 2,सफह 178*_
_*नमरूद ने 400 साल हुक़ूमत की, नमरूद के पास कुछ तिलिस्माती चीजें थी जिसकी बिना पर उसने खुदाई का दावा किया*_
_*! तांबे का एक बुत था, जब भी कोई चोर या जासूस शहर में दाखिल होता तो उस बुत से आवाज़ आती जिससे वो पकड़ा जाता*_
_*! एक नक़्क़ारा था, जब किसी की कोई चीज़ ग़ुम हो जाती तो उस पर चोब मारा जाता तो वो गुमशुदा चीज़ का पता बताती*_
_*! एक आईना था, अगर कोई शख्स ग़ुम हो जाता तो उसमे नज़र आ जाता कि इस वक़्त कहां पर है*_
_*! एक दरख़्त था, जिसके साए में लोग बैठते और उसका साया बढ़ता जाता यहां तक कि 1 लाख लोग बैठ जाते थे मगर जैसे ही 1 लाख से 1 भी ज़्यादा होता तो साया हट जाता और सब धूप में आ जाते*_
_*! एक हौज़ था, जिससे मुकदमे का फैसला होता युं कि मुद्दई और मुद्दआ अलैह दोनों को उस हौज़ में उतारा जाता जो सच्चा होता उसके नाफ से नीचे पानी रहता और झूठा उसमे डुबकी खाता*_
_*📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 1, सफह 677*_
_*नमरूद ने शहरे बाबुल में एक इमारत बनवाई जिसकी ऊंचाई 15000 फिट थी, उसने ये इमारत आसमान वालों से लड़ने के लिए बनवाई थी, मौला ने एक ऐसी हवा चलायी कि पूरी इमारत ज़मीन पर आ गयी और उसकी दहशत से लोग 73 ज़बान बोलने लगे उससे पहले तक सिर्फ एक ज़बान सुरयानी ही बोली जाती थी*_
_*📕 तफसीरे खज़ायेनुल इरफान, पारा 14, रुकू 10*_
_*नमरूद ने हज़रत इब्राहीम खलीलुल्लाह को आग में डालने के लिए जो आग जलवाई थी उसकी लपटें कई सौ फीट ऊपर तक जाती थी उसी आग की तपिश से एक मच्छर के पर व पैर जल गए, इस मच्छर ने रब की बारगाह में दुआ की तो मौला ने फरमाया कि ग़म ना कर मैं तेरे ज़रिये ही नमरूद को हलाक़ करवाऊंगा, ये मच्छर एक दिन] नमरूद की नाक के जरिए उसके दिमाग में घुस गया और अंदर ही अंदर काटना शुरू किया, उस तक़लीफ से मौत हज़ार दर्जे बेहतर थी, जब वो काटता तो नमरूद अपने सर पर चप्पलों से मारा करता, दीवार में सर मारता और इसी तरह तड़प तड़प कर मरा*_
_*📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 3, सफह 68*_
_*📕 मलफूज़ाते निज़ामुद्दीन औलिया, स 162*_
_*जब नमरूद ने आग को गुलज़ार होता देखा तो समझ गया की हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का खुदा ही सच्चा खुदा है और उसने उसी वक़्त उसकी बारगाह में क़ुरबानी करने का फैसला किया, जब ये बात हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को पता चली तो आपने फरमाया कि बगैर ईमान लाये तेरा कोई भी अमल क़ुबूल नहीं तो वो बोला कि बादशाहत तो मैं नहीं छोड़ सकता मगर क़ुरबानी की जो नज़्र मैंने मान ली है उसे तो पूरा करूंगा फिर उसने 4000 गाय अल्लाह की राह में कुर्बान की, आपकी सदाक़त को देखकर नमरूद ने आपको दरबार में मुनाज़रे के लिए बुलवाया, और आपसे कहने लगा कि तुम्हारा रब कौन है जिसकी मैं इबादत करूं तो आप बोले कि मेरा रब वो है जो मारता है और जिलाता है, इस बात का नमरूद ने गलत मतलब निकाला और कहने लगा कि ये तो मैं भी करता हूं और तब उसने दो कैदियों को बुलवाया एक को फांसी की सज़ा होने वाली थी और दूसरे को आज ही रिहाई मिलने वाली थी तो जिसको रिहाई मिलने वाली थी उसको सूली दे दी और जिसको मौत की सज़ा थी उसको रिहा कर दिया और बोला देखो मैं भी मारता हूं और जिलाता हूं,उसकी ये अहमकाना दलील सुनकर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने कहा कि मेरा रब वो है जो मशरिक से सूरज निकालता है और मग़रिब में डुबोता है अगर तू खुदा है तो मग़रिब से सूरज को निकालकर दिखा, आपकी ये बात सुनकर वो उसके होश उड़ गए जब उससे इसका जवाब नहीं बन सका तो बोला कि मेरे पास तुम्हारे लिए कोई गल्ला नहीं है तुम उसी से मांगो जिसकी इबादत करते हो, घर लौटते हुए हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम अपने झोले में रेत भरकर ले आये सुबह को जब हज़रते सारा ने झोला खोला तो उसमें खुशबूदार गेंहू मौजूद था जिसे उन्होंने पीसकर रोटियां बनाई, जब आपने पूछा कि रोटी कहा से आयी तो कहने लगीं कि रात आप ही तो गेहूं लाये थे वो समझ गए कि ये मेरा रिज़्क़ है जो मेरे रब ने मुझे दिया है*_
_*📕 तज़किरातुल अम्बिया, सफह 91-94*_
_*सबसे पहले ताज नमरूद ने पहना, रियाया पर ज़ुल्म किया, खुदाई का दावा किया, इसकी उम्र 800 साल हुई*_
_*📕 खाज़िन, जिल्द 2, सफह 124*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने कंघी बनवाई*_
_*📕 आईनये तारीख, सफह 70*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने बालों में मांग निकाली, मेहमान खाना बनवाया, नालैन पहना, हज के दौरान बाल मुंडवाए, बुतों को तोड़ा, पेशानी पर बोसा दिया*_
_*📕 महाज़िरातुल अवायिल, सफह 37-39*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने खतना किया आपसे पहले खतने का हुक्म नहीं था, मेहमान नवाज़ी की, सबसे पहले आपके बाल सफेद हुए*_
_*📕 खाज़िन,जिल्द 1,सफह 89*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने मूये ज़ेरे नाफ मूंडा*_
_*📕 अलबिदाया वननिहाया, जिल्द 1, सफह 175*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने ही पैजामा पहना*_
_*📕 फतावा रज़विया,जिल्द 10, सफह 84*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने ही हिजरत की*_
_*📕 रूहुल बयान,जिल्द 2,सफह 973*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने ही नाखून काटे और मूंछो को हलकी किया*_
_*📕 तफसीरे सावी,जिल्द 1, सफह 53*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने ही जिहाद किया और लश्करों की तरतीब दी,तलवार चलाई,मेंबर पर खुत्बा दिया और मेंहदी का खिज़ाब किया*_
_*📕 तफसीरे अज़ीज़ी,जिल्द 1, सफह 373*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने ही पानी से इस्तिन्जा किया और मिस्वाक की*_
_*📕 माअरेजुन नुबूवत,जिल्द 1, सफह 133*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने मुआनक़ा किया*_
_*📕 फतावा रज़विया, जिल्द 10, सफह 10*_
_*सबसे पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को ही क़यामत के दिन लिबास पहनाया जायेगा*_
_*📕 मिश्कात,जिल्द 2,सफह 483*_
_*जब हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम मेराज शरीफ पर गए तो हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने आपके मारेफत आपकी उम्मत को सलाम कहलवाया*_
_*📕 मिश्कात,जिल्द 1,सफह 202*_
_*जारी रहेगा.......*_
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