_*वही का बयान*_
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_*📮सवाल👇🏻*_
_*फ़रिश्ते को वही किस तरह मिलती थी*_
_*✍🏻जवाब👇🏻*_
_*अल्लाह तबारक व तआला को जब किसी नबी के पास वही भेजना मंज़ूर व मक़सूद होता था तो फ़रिश्ते को रूहानी तौर पर उस वही का इलका फरमाता था या वह फ़रिश्ता उस वही को लौह महफुज से याद करके लाता और नबी को सुना देता था*_
_*📕 अल इंतक़ाम फी उलूमुल कुरआन जिल्द 1, सफा 58*_
_*📮सवाल👇🏻*_
_*वही का नुजुल किन किन तरीक़ों से नाजिल होती थी*_
_*✍🏻जवाब👇🏻*_
_*वही इन पॉच तरीक़ों मे से किसी एक तरीके से नाजिल होती थी*_
_*✒1- घंटी की ऑवाज के साथ,*_
_*✒2- जिब्राईल अलैहीस्सलाम किसी इंन्सानी शक्ल मे आकर,*_
_*✒3- जिब्राईल अलैहीस्सलाम अपनी असल सूरत मे आकर,*_
_*✒4- बराहेरास्त और बिला वास्ता अल्लाह तआला से हमकलामी,*_
_*✒5- जिब्राईल अलैहिस्सलाम का कीसी भी सूरत मे बिगैर सामने आए कल्बे मुबारक मे वही इलका कर देना.!*_
_*हजरत शाह अब्दुल हक मुहद्दीस देहलवी फरमाते है उलमा किराम ने वही के कई मर्तबा बयान किए है*_
_*1)- सच्च ख्वाब हदीस मे है कि नबीए करीम सल्लल्लाहु तआला अलैही व सल्लम को इब्तिदा मे जो चीज सबसे पहले जाहिर हुई वह सच्चे ख्वाब है*_
_*2)- वही का यह था कि जिब्राईल अलैहीस्सलाम नबीए करीम अलैहीस्सलाम वस्सलाम के कल्ब शरीफ मे इलका करते थे बग़ैर इसके कि हुजुर सल्लल्लाहु तआला अलैही व सल्लम को देख*_
_*3)- वही का यह था कि जिब्राईल अलैहीस्सलाम किसी आदमी की सूरत इख्तियार करके हुजुर सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम के पास आते और पैग़ाम इलाही पहुँचाते थे ताकि जो कुछ इरशाद बारी है उसे याद फरमाए*_
_*📕 मदारिज नुबुव्वत बाब सोम जिल्द 2, सफा 54 से 57 तक*_
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