Saturday, September 1, 2018



                            _*वज़ाइफ*_
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_*रिज़्क़ के लिए रोज़ाना फज्र की सुन्नत व फर्ज़ के बीच 100 बार ये तस्बीह 'सुब्हानल लाहि वबिहमदिही सुब्हानल लाहिल अज़ीम वबिहमदिही अस्तग़फिरुल्लाह' سبحان الله وبحمده سبحان الله العظيم وبحمده استغفر الله पढ़ें अव्वल आखिर दुरूदे पाक 3/3 बार, जिस दिन सुन्नत व फर्ज़ के बीच ना पढ़ सकें तो सूरज निकलने से पहले तो पढ़ ही लें, इस तस्बीह के बारे में हदीसे पाक में आता है कि एक सहाबी हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के पास तशरीफ लायें और अपनी ग़ुरबत की शिकायत की तो आप सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि तुम फरिश्तों की वो तस्बीह क्यों नहीं पढ़ते जिसकी बरकत से रोज़ी दी जाती है, वो सहाबी गए और एक हफ्ते के बाद फिर तशरीफ लाते हैं और फरमाते हैं कि या रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम मेरे पास दुनिया इस कसरत से आई है कि मैं हैरान हो गया हूं कि कहां उठाऊं और कहां रखूं*_

_*📕 अलमलफूज़, हिस्सा 1, सफह 63*_

_*कोई किसी नौकरी पर लगा है अगर उसको ये डर है कि कहीं ये जॉब मुझसे छिन ना जाए या कोई रुकावट ना लगा दे तो रोज़ाना 100 बार या इमामुन يا امامُ‘ पढ़े अव्वल आखिर 3/3 बार दरूद शरीफ, जॉब बरक़रार रहेगी इन शा अल्लाह तआला*_

_*📕 रूहानी इलाज, सफह 193*_

_*बहुत से लोग नमाज़ पढ़ते हैं मगर फिर उनसे छूट जाती है क्योंकि नमाज़ की मुहब्बत दिल में नहीं होती लिहाज़ा ऐसा अमल पढ़ा जाए कि नमाज़ की मुहब्बत दिल में पैदा हो, ये वज़ीफा मेरी अम्मी ने मुझे बचपन में बताया था जिसकी बदौलत मैने अपने दिल में नमाज़ के लिए बहुत मुहब्बत पाई इसका हवाला तो मुझे नहीं मिला मगर चुंकि ये मेरे अमल में रहा है और मैंने इसे बहुत फैज़ पाया है इसलिए बता रहा हूं, सबसे पहले तो ये करें कि जब भी जिस वक़्त की भी नमाज़ पढ़ने को मिल जाये पढ़ लीजिये कल पर बिल्कुल मत डालिए कि ये शैतानी वस्वसा होता है कि कल फज्र से शुरू करूंगा जुमा से शुरू करूंगा नहीं बल्कि इशा में ही ख्याल आया कि नमाज़ पढ़ ली जाए तो इशा ही पढ़ लीजिये कि बिल्कुल ना पढ़ने से तो एक वक़्त की पढ़ना बेहतर है, फिर जिस वक़्त की नमाज़ पढ़िए पूरी नमाज़ के बाद या अल्लाहु या रहमानु या रहीमु يا اللهُ يا رحمٰنُ يا رحيمُ ये पूरा एक हुआ इसको 21 बार पढ़ना है, अगर इसकी आदत डाल ली तो यक़ीन जानिये कि आपको सोचना नहीं पड़ेगा कि मुझको नमाज़ पढ़नी है बल्कि खुद ही आपका दिल नमाज़ की तरफ लगा रहेगा, हां बस हुरूफ की अदायगी सही रखें*_
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