_*वली की पहचान*_
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*_हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि क़यामत के दिन अल्लाह के कुछ बन्दे ऐसे होंगे जो ना नबी होंगे और ना शुहदा मगर उनके मक़ाम और बुलंदी को देखकर बाज़ अम्बिया और शुहदा भी रश्क करेंगे_*
_*📕 अबू दाऊद, जिल्द 3, सफह 288*_
*_अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुरान मुक़द्दस में इरशाद फरमाता है कि_*
*_बेशक अल्लाह के वली मुत्तक़ी ही होते हैं_*
_*📕 पारा 9, सूरह इंफाल, आयत 34*_
*_और तक़वा परहेज़गारी खशीयत बग़ैर इल्म के नामुमकिन है जैसा कि मौला क़ुरान में इरशाद फरमाता है कि_*
*_अल्लाह से उसके बन्दों में वही डरते हैं जो इल्म वाले हैं_*
_*📕 पारा 22, सूरह फातिर, आयत 28*_
*_हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि तसव्वुफ़ सिर्फ गुफ्तुगू नहीं बल्कि अमल है और फरमाते हैं कि जिस हक़ीक़त की गवाही शरीयत ना दे वो गुमराही है_*
_*📕 फुतुहूल ग़ैब, सफह 82*_
*_हज़रत मुजद्दिद उल्फ सानी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि जो शरीयत के खिलाफ हो वो मरदूद है_*
_*📕 मकतूबाते इमाम रब्बानी, हि 1, मकतूब 36*_
*_हज़रत शहाब उद्दीन सहरवर्दी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि जिसको शरीयत रद्द फरमाये वो हक़ीक़त नहीं बेदीनी है_*
_*📕 अवारेफुल मआरिफ, जिल्द 1, सफह 43*_
*_हज़रत इमाम गज़ाली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि जिस हक़ीक़त को शरीयत बातिल बताये वो हक़ीक़त नहीं बल्कि कुफ्र है_*
_*📕 तजल्लियाते शेख मुस्तफा रज़ा, सफह 149*_
*_हज़रत बायज़ीद बुस्तामी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि अगर तुम किसी को देखो कि वो हवा में उड़ता है पानी पर चलता है ग़ैब की खबरें बताता है मगर शरीयत की इत्तेबा नहीं करता तो समझलो कि वो मुल्हिद व गुमराह है_*
_*📕 सबा सनाबिल शरीफ, सफह 186*_
*_एक शख्स हज़रत जुनैद बग़दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से ये सोचकर मुरीद होने के लिए आया कि हज़रत से कोई करामात देखूंगा तो मुरीद हो जाऊंगा, वो आया और आकर आस्ताने में रहने लगा इस तरह पूरे 10 साल गुज़र गए और 10 सालों के बाद वो नामुराद होकर वापस जाने लगा, हज़रत ने उसे बुलवाया और कहा कि तुम 10 साल पहले आये यहां रहे और अब बिना बताए जा रहे हो क्यों, तो कहने लगा कि मैंने आपकी बड़ी तारीफ सुनी थी कि आप बा करामत बुज़ुर्ग हैं इसलिए आया था कि आपसे कोई करामात देखूंगा तो आपका मुरीद हो जाऊंगा मगर पिछले 10 सालों में मैंने आपसे एक भी करामात सादिर होते हुए नहीं देखी इसलिए जा रहा हूं, हज़रत जुनैद बग़दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि ऐ जाने वाले तूने पिछले 10 सालों में मेरा खाना पीना, सोना जागना, उठना बैठना सब कुछ देखा मगर क्या कभी ऐसा कोई खिलाफे शरह काम भी होते देखा, इसपर वो कहने लगा कि नहीं मैंने आपसे कभी कोई खिलाफे शरह काम होते नहीं देखा, तो आप फरमाते हैं कि ऐ शख़्स क्या इससे बड़ी भी कोई करामात हो सकती है कि 10 सालों के तवील अरसे में एक इंसान से कोई खिलाफे शरह काम ही ना हो_*
_*📕 तारीखुल औलिया, जिल्द 1, सफह 67*_
*_हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मैं एक जंगल में था भूख और प्यास का सख्त गल्बा था, अचानक मेरे सामने एक रौशनी छा गयी और एक आवाज़ आई कि ऐ अब्दुल कादिर मैं तेरा रब हूं और तुझसे बहुत खुश हूं इसलिए आजसे मैंने तुमपर हर हराम चीज़ें हलाल फरमा दी और तुम पर से नमाज़ भी माफ फरमा दी, ये सुनते ही मैंने लाहौल शरीफ पढ़ा तो फौरन वो रौशनी गायब हो गयी और एक धुवां सा रह गया फिर आवाज़ आई कि ऐ अब्दुल कादिर मैं शैतान हूं तुझसे पहले इसी जगह पर मैंने 70 औलिया इकराम को गुमराह किया है मगर तुझे तेरे इल्म ने बचा लिया, इसपर हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि ऐ मरदूद मुझे मेरे इल्म ने नहीं बल्कि रब के फज़्ल ने बचाया है, ये सुनते ही इब्लीस फरार हो गया_*
_*📕 बेहिज्जतुल असरार, सफह 120*_
_*इन सब बातों का निचोड़ ये है कि*_
*_अगर हवा में उड़ना विलायत होती तो इब्लीस लईन सबसे बड़ा वली होता कि सातवीं ज़मीन के भी नीचे तहतुस्सरा में ठहरता है मगर जैसे ही नाम लिया पास आकर बैठ जाता है कि 3500 साल से भी ज़्यादा का सफर वो पल भर में तय कर लेता है, मगर वो वली नहीं_*
*_अगर पानी पे चलना विलायत होती तो काफिर भी अपने जादू से पानी पर चला करते हैं, मगर वो वली नहीं_*
*_अगर ग़ैब की खबर देना विलायत होती तो कभी कभार नुजूमी यानि स्ट्रोलोजर भी सही भविष्यवाणी कर दिया करते हैं, मगर वो वली नहीं_*
*_नमाज़ छोड़ने वाला, दाढ़ी मुंडाने वाला, फोटो खींचने खिंचाने वाला, म्यूजिक सुनने वाला,ना महरम औरतों की सोहबत में बैठने वाला, झूठ बोलने वाला फासिक़ है हरगिज़ वली नहीं_*
*_अलहासिल जो इल्म वाला होगा वही तक़वे वाला होगा और जो तक़वे वाला होगा वही अल्लाह का वली होगा लिहाज़ा वली को उसके तक़वे से पहचाने करामात से नहीं, अगर कोई मुझसे मेरे पीरो मुर्शिद हुज़ूर ताजुश्शरिया दामत बरकातोहुमुल आलिया के बारे में पूछता है तो यक़ीन जानिये मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि मेरी बातों पर भरोसा मत करो तुम खुद जाकर एक बार अपनी आंखों से उनका दीदार कर आओ खुद बखुद समझ जाओगे कि वली कैसा होता है और करामत क्या होती है_*
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