_*औलाद के क़ातिल*_
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_*हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है उन्होंने कहा कि मैंने हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम से पूछा कि या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम कौन सा गुनाह सबसे बड़ा है तो फ़रमाया कि तू अल्लाह का किसी को शरीक ठहराये हालांकि उसने तुझे पैदा किया फिर पूछा कि उसके बाद कौन सा तो आप सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि तू अपनी औलाद को इस डर से क़त्ल करे कि वो तेरे साथ खायेगी*_
_*📕 बुखारी शरीफ,जिल्द 2, सफह 887*_
_*आज के इस मॉडर्न दौर में Birth Control का तरीका उरूज पर है,एक दो बच्चे हो जाने के बाद मर्द या तो नसबंदी करा लेता है या फिर औरत का ही ऑपरेशन करवाकर सिलसिलाए तनासुल ही ख़त्म कर देता है, हालांकि ऐसा करना सख़्त नाजायज़ों हराम और बड़ा गुनाह है, इसी तरह उन दवाओं का इस्तेमाल भी हराम है जिससे कि हमेशा के लिए बच्चे की पैदाइश रोकी जाए, आजकल आम तौर पर लोगों का और मॉडर्न मुसलमानों का भी यही ख्याल हो गया है कि ज़्यादा बच्चे हो जायेंगे तो खाने पीने या उनकी परवरिश की दिक़्क़त हो जायेगी, यक़ीनन ऐसा अक़ीदा रखना नाजायज़ों हराम है, इंसान की क्या औक़ात कि वो किसी को खिला सके या परवरिश कर सके, बेशक़ हक़ीक़त में खिलाने पिलाने और सबकी रोज़ी का ख्याल रखने वाला सिर्फ अल्लाह है जैसा कि क़ुरान में खुद इरशाद फरमाता है कि*_
_*और ज़मीन पर चलने वाला कोई ऐसा नहीं जिसका रिज़्क़ अल्लाह के ज़िम्मे करम पर ना हो*_
_*📕 पारा 12,सूरह हूद,आयत 6*_
_*दूसरी जगह इरशाद फरमाता है कि*_
_*और अपनी औलाद को मुफलिसी की डर से क़त्ल न करो कि हम उन्हें भी रोज़ी देंगे और तुम्हे भी बेशक क़त्ल बड़ी खता है*_
_*📕 पारा 15,सूरह बनी इसराईल, आयत 31*_
_*एक और जगह इरशाद फरमाता है कि*_
_*तहक़ीक़ कि तबाह हुए वो जो अपनी औलाद को क़त्ल करते हैं अहमक़ाना जिहालत से*_
_*📕 पारा 8,सूरह इनाम,आयत 140*_
_*फ़िक़ह*_
_*सय्यदना सरकारे आलाहज़रत रज़ी अल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि 👇🏻*_
_*ऐसी दवा का इस्तेमाल जिससे हमल न होने पाए अगर किसी ज़रूरते शदीद क़ाबिले क़ुबूल शरह के सबब है तो हर्ज नहीं वरना सख्त बुरा व माअयूब है और शरअन ऐसा करना नाजायज़ों हराम है*_
_*📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9, सफह 563*_
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