Tuesday, September 25, 2018



                       _*रद्दे वहाबीयत*_
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_*कुरान कहता है*_

_*"सब मिल कर अल्लाह की रस्सी को मज़बूती से थाम लो और फिर्क़ों में मत बटो...।"*_

_*📕 सुर: आले इमरान 3/103*_

_*मगर चूंके मुनाफिकिन ने उममत को जान बूझ कर फ़िरक़ों में बाँट दिया है इसलिए क़ुरान कहता है*_

_*"और वह जिन्होने मस्जिद बनाई (इस्लाम को) नुकसान पोंहचाने को और कुफ़्र के सबब और मुसलमानों में तफर्राका डालने को और वह (मुनाफ़िक़) भलाई की कसमें भी खाएंग मगर अल्लाह गवाह है के वह बेशक झुटे हैं,*_

_*📕 सूरह तौबा 09/107*_

_*ऐ ईमान वालों!अपने बाप और अपने भाईओ को दोस्त न समझो अगर वह ईमान पर कुफ़्र पसंद करें और तुम में जो कोई उनसे दोस्ती करेगा तो वही जालिम है*_

_*📕 सूरह तौबा 09/23*_

_*और इन मेंसे किसी की मय्यत पे कभी नमाज़ न पढ़ना और न इनकी कब्र पे खड़े होना, बेशक वह अल्लाह व उसके रसूल से मुन्कर हुए और फिसक में ही मर गए*_

_*📕 सूरह तौबा 09/84*_

_*इन सब वाज़ेअ अहकामात के बावजूद अगर आशिके रसूल, गुस्ताखे नबी, फ़ासिक़ और मुनाफ़िक़ सब ही मुस्लमान हैं तो अल्लाह के इस फरमान का क्या.?*_

_*नबी ﷺ के इल्मे ग़ैब पे जब मुनाफ़िक़ीन ने हंसी किआ तो अल्लाह ने फ़रमाया*_

_*"बहाने न बनाओ तुम काफिर हो चुके हो मुस्लमान होकर"*_

_*📕 सूरह तौबा 09/66*_

_*आज भी मुनाफ़क़ीन नबी अलैहिस्सलाम में कमियां ही तलाश करने की कोशिश कर रहे हैं*_

_*अल्लाह ने मुनाफिक मर्दों, मुनाफ़िक़ औरतों और काफीरों को जहन्नम की आग का वादा दिया है जिस में (मुनाफ़िक़ और काफिर) हमेशा रहेंगे*_

_*📕 सूरह तौबा 09/68*_

_*इससे से साफ़ ज़ाहिर होता है के  कलमा पढ़ने वाला अगर  गुस्ताखी कर  दे तो वह मुस्लमान नहीं रह जाता,*_

_*इसलिये यह कहना गलत हुवा के हर फ़िरक़ा हक़ पे है, किओंकी गुस्ताख कभी हक़ पे नहीं होते*_

_*(इसलिए) काफिरों और मुनाफिको पे सख्ती करो और इनका ठिकाना दोज़ख है*_

_*📕 सूरह तौबा 09/73*_

_*बल्कि हमें तो अल्लाह ने यह तक कहा है के*_

_*"(ए नबी ﷺ) जब मुनाफ़िक़ तुम्हारे हुज़ूर हाज़िर होते हैं, कहते हैं के हम गवाही देते हैं के हुज़ूर बेशक-यक़ीनन अल्लाह के रसूल हैं और अल्लाह जानता है के तुम इसके रसूल हो, और अल्लाह गवाही देता है के मुनाफ़िक़ ज़रूर झूठे हैं,*_

_*📕 सूरह मुनाफिकून 63/01*_

_*इसलिए के वह (मुनाफ़िक़) ज़ुबान से ईमान लाए फिर दिल से काफीर हुए तो उनके दिलों पर मुहर करदी गई, तो अब वह कुछ नहीं समझते*_

_*📕 सूरह मुनाफिकून 63/03*_

_*अल्लाह हमे हक़ बात समझने की तोफीक अता फरमाये और ता हश्र सुन्नीयत पे क़ाएम रखे। 🌹आमीन*_
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