Friday, September 28, 2018



                     _*नमाज़ का बयान*_
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*_बच्चा जब 7 साल का हो जाए तो उसे नमाज़ का हुक्म दो और और जब 10 साल का हो जाए तो मारकर पढ़ाओ_*

_*📕 अबु दाऊद, जिल्द 1, सफह 77*_

*_मोमिन और काफिर के दरमियान फर्क़ सिर्फ नमाज़ का है_*

_*📕 निसाई, जिल्द 1, सफह 81*_

*_क़यामत के दिन बन्दे से आमाल में सबसे पहले पूछ नमाज़ की होगी_*

_*📕 कंज़ुल उम्माल, जिल्द 2, सफह 282*_

*_जिसकी अस्र की नमाज़ फौत हो गई उसका अमल ज़ाया हो गया_*

_*📕 बुखारी, जिल्द 1, सफह 78*_

*_जो शख्स जानबूझकर एक वक़्त की नमाज़ छोड़ दे तो उसलपर से अल्लाह का ज़िम्मा उठ गया_*

_*📕 अलइतहाफ, जिल्द 6, सफह 392*_

*_नमाज़ में सुस्ती करने वाले क़यामत के दिन सुअर की सूरत में उठेंगे_*

_*📕 क्या आप जानते हैं, सफह 439*_

*_जहन्नम में एक वादी है जिसका नाम वैल है उसकी गर्मी का ये हाल है कि उससे जहन्नम भी पनाह मांगता है उसमे बे नमाज़ी डाले जायेंगे_*

_*📕 पारा 30, सूरह माऊन, आयत 4*_
_*📕 बहारे शरीयत, हिस्सा 3, सफह 7*_

*_जो नमाज़ों को उनके वक़्त पर पढ़े और उसके आदाब की हिफाज़त करे तो मौला पर अहद है कि उसको जन्नत में दाखिल करे और जिसने नमाज़ों को छोड़ा या पढ़ने में उसके आदाब व अरकान सही ना रखा तो उस पर कोई अहद नहीं चाहे तो उसे बख्शे और चाहे अज़ाब दे_*

_*📕 मज्मउज़ ज़वायेद, जिल्द 1, सफह 302*_

*_हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बारगाह में एक औरत हाज़िर हुई और कहा कि आप अल्लाह से मेरी सिफारिश फरमा दीजिये कि मुझसे बहुत बड़ा गुनाह सरज़द हो गया है आपने पूछा कि क्या तो कहने लगी कि मैंने ज़िना कराया और उससे जो बच्चा पैदा हुआ उसे क़त्ल कर दिया, हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फरमाते हैं कि ऐ फासिक़ा फाजिरा औरत निकल यहां से कहीं तेरी नहूसत की वजह से हम पर भी अज़ाब नाज़िल ना हो जाए वो वहां से चली गई, हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम हाज़िर हुए और फरमाया कि आपने उस तौबा करने वाली औरत को क्यों वापस कर दिया तो आप फरमाते हैं कि मैंने उससे ज़्यादा बुराई वाला कोई ना देखा तो हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम फरमाते हैं कि जो शख्स जानबूझकर नमाज़ छोड़ता है वो इस औरत से भी ज़्यादा बदकार है_*

_*📕 किताबुल कबायेर, सफह 44*_

*_जो शख्स नमाज़ नहीं पढ़ता उसे दुनिया और आखिरत में क्या सज़ाएं मिलती है वो भी मुलाहज़ा फरमा लें_*

_*5 दुनिया की सज़ा*_

*_उसकी उम्र में बरकत खत्म हो जायेगी_*

*_उसके चेहरे से नूर हट जायेगा_*

*_उसके किसी आमाल का अज्र नहीं मिलेगा_*

 *_उसकी कोई दुआ क़ुबूल नहीं होगी_*

*_उसे नेकों की दुआ से भी फैज़ नहीं मिलेगा_*

*_3 मरते वक़्त की सज़ा_*

*_वो ज़लील होकर मरेगा_*

*_भूखा मरेगा_*

*_प्यासा मरेगा ऐसा कि अगर दुनिया के तमाम समन्दर का भी पानी पिला दिया जाए तब भी उसकी प्यास ना बुझेगी_*

*_3 क़ब्र की सज़ा_*

*_उस पर क़ब्र तंग होगी ऐसी कि उसकी पसलियां टूटकर उस दूसरे में पैवस्त हो जायेंगी_*

*_उसके नीचे आग जला दी जाएगी_*

*_उसकी क़ब्र में शुजाउल अक़रा नाम का एक गंजा सांप मुक़र्रर किया जायेगा जो उसे सज़ा देगा, उसकी आंखें आग की और नाखून लोहे के हैं और उसकी आवाज़ बिजली की गरज की तरह है, तो अगर फज्र की नमाज़ नहीं पढ़ी तो वो फज्र से लेकर ज़ुहर तक मारता रहेगा अगर ज़ुहर पढ़ ली होगी तो छोड़ देगा वरना ज़ुहर से अस्र तक मारेगा और युंही हमेशा चलता रहेगा, और उसकी एक ज़र्ब से मुर्दा 70 गज ज़मीन में धंस जायेगा_*

_*3 हश्र की सज़ा*_

*_उससे सख्ती से हिसाब लिया जायेगा_*

*_रब तआला उससे नाराज़ होगा_*

*_उसे जहन्नम में दाखिल किया जायेगा_*

_*📕 मुक़ाशिफातुल क़ुलूब, सफह 392*_

*_और अब नमाज़ के फायदे भी पढ़ लीजिए_*

*_कशाईश रिज़्क़ मिलेगा_*

*_अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रहेगा_*

*_नामये आमाल दाहिने हाथ में मिलेगा_*

*_पुल सिरात से बिजली की तरह गुज़र जायेगा_*

*_जन्नत में दाखिल होगा_*

_*📕 किताबुल कबायेर, सफह 41*_

_*अब इनाम चाहिए या सज़ा फैसला आप खुद करें मर्ज़ी आपकी क्योंकि जिस्म है आपका*_

*_अगर इन सबको पढ़कर दिल में कुछ खौफ पैदा हो गया हो और तौबा का इरादा रखते हों तो फौरन ये काम करें कि एक अच्छे हाफिज़ को लगाकर सबसे पहले क़ुरान को मखरज से पढ़ना सीखें और नमाज़ के तमाम मसायल को जानने के लिए अब्दुल सत्तार हमदानी की किताब मोमिन की नमाज़ जो कि हिंदी में भी मौजूद है ले आयें, सबसे पहले अपनी नमाज़ सही कर लीजिए इन शा अल्लाह दुनिया और आखिरत दोनों सही हो जाएगी_*

*_आज से बल्कि अभी से नमाज़ शुरू कर दीजिए और जो नमाज़ें क़ज़ा हो चुकीं उन्हें अदा करना शुरू करें, जिसकी नमाज़ें बहुत ज़्यादा हैं तो उनके लिए शरीयत ने कुछ सहूलत दी है मैं पहले बता चूका हूं आज फिर बता देता हूं, मसलन एक शख्स 40 साल की उम्र तक पहुंच गया और उसने नमाज़ें माज़ अल्लाह क़ज़ा कर रखी है तो बालिग़ होने के बाद से हर दिन की 20 रकात नमाज़ पढ़नी होगी पांचों वक़्त की फर्ज़ और इशा की वित्र,तो इस तरह 1 साल की 365 फज्र की और इतनी ही ज़ुहर अस्र मग़रिब इशा और वित्र, अब इसी हिसाब से कितने साल की नमाज़ क़ज़ा हुई है उसे पढ़ना होगा यानि 40 साल में से 12 साल निकाल दीजिए बचे 28 साल तो उसे 28 साल की नमाज़ पढ़नी होगी, और ये नमाज़ें मकरूह वक़्तों के अलावा यानि सूरज निकलने के 20 मिनट बाद और सूरज डूबने से 20 मिनट पहले और निस्फुन्नहार जो कि सूरज के बीचों बीच आने को कहते हैं ये पूरे साल में 39 मिनट से लेकर 47 मिनट तक होता है इनमे छोड़कर कभी भी पढ़ सकते हैं, बेहतर ये है की सुन्नते ग़ैर मुअक़्किदा और नफ़्लों की जगह क़ज़ा पढ़ी जाए और बेहतर यही है कि ये नमाज़ें घर में छिपकर पढ़ी जाए कि नमाज़ क़ज़ा करना गुनाह है और उसको ज़ाहिर करना ये भी गुनाह है, और अगर मस्जिद में ही पढ़ता है तो बाकी नमाज़ें पढ़ने में तो हर्ज नहीं कि किसी को इल्म नहीं होगा कि क्या पढ़ता है मगर वित्र पढ़ने में ये करे कि तीसरी रकात में जो कानो तक हाथ उठाकर अल्लाहो अकबर कहते हैं तो अल्लाहो अकबर कहे मगर हाथ ना उठाये और अगर घर में पढ़ता है तो हाथ भी उठाये, आलाहज़रत जल्द से जल्द इन नमाज़ों को आसानी से अदा करने के लिए फरमाते हैं कि_*

 *_नियत युं करें "सब में पहली वो फज्र जो मुझसे क़ज़ा हुई" अल्लाहु अकबर कहकर नियत बांध ले, युंही फज्र की जगह ज़ुहर अस्र मग़रिब इशा वित्र कहकर सिर्फ नमाज़ का नाम बदलता रहे बाकी सब उसी तरह कहे_*

*_सना छोड़ दें और क़याम में बिस्मिल्लाह से शरू करें बाद सूरह फातिहा के कोई सूरत मिलाकर रुकू करे और तस्बीह 3 मर्तबा की जगह सिर्फ 1 बार पढ़ें फिर युंही सजदों में भी 1 बार ही तस्बीह पढ़ें, 2 रकात पर क़ायदा करने के बाद तीसरी और चौथी रकात के क़याम में सिर्फ 3 बार सुब्हान अल्लाह कहें और रुकू करे आखरी क़ायदे में अत्तहयात के बाद सिर्फ अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्येदेना मुहम्मदिवं व आलेही कहकर सलाम फेर दें, वित्र की तीनो रकात में सूरह मिलेगी मगर दुआये क़ुनूत की जगह सिर्फ अल्लाहुम्मग़ फिरली कह लेना काफी है_*

*_फरमाते हैं कि अगर किसी ने पक्का इरादा कर लिया कि अब मैं आईन्दा नमाज़ नहीं छोड़ूंगा और अपनी क़ज़ा नमाज़ अपनी ताकत भर अदा करता रहूंगा और फर्ज़ कीजिये 1 ही दिन बाद उसका इन्तेक़ाल हो जाए तो मौला तआला अपनी रहमत से उसकी सब नमाज़ों को अदा लिख देगा_*

_*सुब्हान अल्लाह, सुब्हान अल्लाह, सुब्हान अल्लाह*_

_*📕 अलमलफूज़, हिस्सा 1, सफह 62*_

_*तो तौबा कीजिये और अपनी नमाज़ों को अदा करना शुरू कीजिये कि मौत का कोई भरोसा नहीं कि कब आ जाये*_
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