_*सूरह फातिहा*_
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_*सूरह फातिहा के 55 नाम हैं जो कि क़ुर्आन में ही मज़कूर हैं*_
_*📕 अलइतकान, जिल्द 1, सफह 67*_
_*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि सूरह फातिहा की मिस्ल कोई भी सूरह तौरैत-ज़बूर-इंजील और खुद क़ुर्आन मुक़द्दस में भी नहीं है*_
_*📕 तिर्मिज़ी, जिल्द 2, सफह 318*_
_*हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि सूरह फातिहा हर मर्ज़ से शिफा है*_
_*📕 वज़ाइफे रज़वियह, सफह 126*_
_*फज्र की सुन्नत और फर्ज़ के दर्मियान 41 बार सूरह फातिहा इस तरह पढ़ें कि (बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीमिल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन) इस तरह हर 41 बार पढ़कर मरीज़ पर दम करें और पानी में भी दम करके पिला सकते हैं,इन शा अल्लाह तआला शिफा हासिल होगी*_
_*📕 जन्नती ज़ेवर, सफह 459*_
_*हाजत बरारी के लिए इसी तरह 40 बार पढ़ने की ताकीद हज़रत ख्वाजा निज़ाम उद्दीन औलिया रज़ियल्लाहु तआला अन्हु भी फरमाते हैं मगर इसके पढ़ने में हर बार (अर्रहमानिर रहीम) को 3 बार कहना है और हर बार आखिर में 3 मर्तबा आमीन कहना है, और सबसे आखिर में अपने मक़सद के लिए दुआ करें, और हाजत बरारी के लिए कोई वक़्त मुतय्यन नहीं है जब चाहें पढ़ें*_
_*📕 फवादुल फवाद, सफह 74*_
_*इस्तेखारा करने के लिए सबसे पहले शीरीनी पर मौला अली मुश्किल कुशा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु की नियाज़ दें फिर एक कागज़ पर (इहदिनस सिरातल मुस्तक़ीम) लिखें (क़ुर्आन में देखकर अरबी में लिखें) और एक तश्त में पानी भरकर उसके बीच में कागज़ को डाल दें, और इस तरह तश्त के सामने बैठें कि रुख क़िबला जानिब हो अब बिस्मिल्लाह शरीफ के साथ सूरह फातिहा पढ़ना शुरू कर दें, अगर कागज़ अपनी तरफ आया तो काम बहुत जल्द होगा इन शा अल्लाह अगर कागज़ दाहिने तरफ लगा तो भी कामयाबी है अगर किब्ला रुख गया तो काम होगा मगर मुश्किल से और अगर बायें जानिब लगा तो फिर उस काम में नुक्सान है बेहतर है कि उसको तर्क कर दें, और जो भी हुक्म आये शीरीनी को तकसीम करें या खुद ही खा लें*_
_*📕 शम्ये शबिस्ताने रज़ा, जिल्द 4, सफह 485*_
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