_*कोई मोमीन किसी मोमीन से नफरत न करे*_
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_*📚 हदीस : हुजुर-ए-अकदस (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया👇🏻*_
_*"कोई मोमीन किसी मोमीन से नफरत न करे अगर ओ उसके किसी एक अख्लाक से नराज होगे तो दुसरे से राजी हो जाएगा..!*_
_*📕 सही मुस्लिम शरीफ़ हदीस*_
_*📝सबक : गर इमान वाला दुसरे इमान वाले से महज उसकी किसी एक खामी के वजह से नराज हो, तो उसे चाहिए की उसकी किसी अच्छाईयों को याद कर ले, क्योंकी हर शख्स किसी न किसी खसलतो के आदी है, और जो कोई शख्स अपने लिए हर किस्म से बे-ऐब साथी (दोस्त या हमसफर) की तलाश मे हो लाजमी है के वह हमेशा तन्हा रहेगा.!*_
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